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New gojol urdu ghazal Status, Photo, Video

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White उस दर्दमंद शख्स को आराम क्या मिले जिसको दवा मिले न किसी की दुआ मिले हम लोग साथ साथ हैं तब तक ही ज़िंदगी जब तक न मेरी मौत को मेरा पता मिले तुझको भी इंतजार है चाहत के अक्स का मुझको भी है तलाश कोई आइना मिले ये क्या कि रोज़ इश्क़ ओ मुहब्बत पे बात हो अब गुफ्तगू का कोई तो पहलू नया मिले अपनी उदासियां न किसी को दिखाइए दुनिया तो चाहती है कोई मुददआ मिले अहसाँ के तौर पर न मुआफी कुबूल है मैं हूं गुनाहगार तो मुझको सज़ा मिले अश्कों की इस किताब को रखिए संभाल करऔर तब दिखाइए जब इसे पारसा मिले सत्य चंदन ©Satya Chandan

#ghazal  White उस दर्दमंद शख्स को आराम क्या मिले
जिसको दवा मिले न किसी की दुआ मिले
हम लोग साथ साथ हैं तब तक ही ज़िंदगी
जब तक न मेरी मौत को मेरा पता मिले
तुझको भी इंतजार है चाहत के अक्स का
मुझको भी है तलाश कोई आइना मिले
ये क्या कि रोज़ इश्क़ ओ मुहब्बत पे बात हो
अब गुफ्तगू का कोई तो पहलू नया मिले
अपनी उदासियां न किसी को दिखाइए
दुनिया तो चाहती है कोई मुददआ मिले
अहसाँ के तौर पर न मुआफी कुबूल है
मैं हूं गुनाहगार तो मुझको सज़ा मिले
अश्कों की इस किताब को रखिए संभाल करऔर तब दिखाइए जब इसे पारसा मिले
सत्य चंदन

©Satya Chandan

#ghazal

10 Love

White hi friend apnara kemn achen sobai valo laglo ©Rakesh

#Thinking  White hi friend apnara kemn achen sobai valo laglo

©Rakesh

#Thinking urdu poetry sad urdu poetry

10 Love

मुल्क में फिरका परस्ती को हवा दी तुमने यानि अंग्रेज की फिर याद दिला दी तुमने चादर असमत की कभी सर पे जला दी तुमने कभी मजलूम की गर्दन भी उड़ा दी तुमने रूह जब छोड गई तन तो सदा दी तुमने ए मसीहाओ बहुत देर लगा दी तुमने तुमने हमदर्दी व इख्लाक की कब्रे खोदी अपने ही मुल्क की तहजीब गवां दी तुमने जिस कहानी से तफरीक की बू आती है क्या कयामत है कि वो बच्चों को सुना दी तुमने हम अगर शमा मुहब्बत भी जलाये तो जलन हो तुमको सारे गुलशन में तो ऐ रमजानी आग लगा दी तुमने 17/6/15 ©MSA RAMZANI

 मुल्क में फिरका परस्ती को हवा दी तुमने 
यानि अंग्रेज की फिर याद दिला दी तुमने

चादर असमत की कभी सर पे जला दी तुमने 
कभी मजलूम की गर्दन भी उड़ा दी तुमने 

रूह जब छोड गई तन तो सदा दी तुमने 
ए मसीहाओ बहुत देर लगा दी तुमने

तुमने हमदर्दी व इख्लाक की कब्रे खोदी 
अपने ही मुल्क की तहजीब गवां दी तुमने

जिस कहानी से तफरीक की बू आती है 
क्या कयामत है कि वो बच्चों को सुना दी तुमने

हम अगर शमा मुहब्बत भी जलाये तो जलन हो तुमको 
सारे गुलशन में तो ऐ रमजानी आग लगा दी तुमने
17/6/15

©MSA RAMZANI

Ghazal

17 Love

शहर ए उल्फत में जिसे देखा था हू-ब-हू वो तेरे जैसा था तेरी यादे थी मेरी हमराही वरना मैं और घना सहरा था भीगी भीगी थी निगाहें उसकी हिज्र में मेरे वो भी रोया था आज भी दिल में बसा रखा है दर्दे उल्फत जो कभी पाया था इश्क की तपती हुई राहो मे टूटी दीवार का मैं साया था क्या मुहब्बत में महकते दिन थे टूटकर उसने मुझे चाहा था महकी महकी है, फिजाय रमजानी कौन ख्वाबो में मेरे आया था 14/10/15- ©MSA RAMZANI

 शहर ए उल्फत में जिसे देखा था 
हू-ब-हू वो तेरे जैसा था

तेरी यादे थी मेरी हमराही 
वरना मैं और घना सहरा था

भीगी भीगी थी निगाहें उसकी 
हिज्र में मेरे वो भी रोया था

आज भी दिल में बसा रखा है 
दर्दे उल्फत जो कभी पाया था

इश्क की तपती हुई राहो मे 
टूटी दीवार का मैं साया था

क्या मुहब्बत में महकते दिन थे 
टूटकर उसने मुझे चाहा था

महकी महकी है, फिजाय रमजानी
कौन ख्वाबो में मेरे आया था

14/10/15-

©MSA RAMZANI

Ghazal

10 Love

White उसी रफ़्तार से चलती है गाड़ी तुम्हारे प्यार से चलती है गाड़ी ©Rajneesh Kumar

#शायरी #ghazal  White उसी रफ़्तार से चलती है गाड़ी
तुम्हारे प्यार से चलती है गाड़ी

©Rajneesh Kumar

#ghazal se

14 Love

White tanhaiyon me akshar rat guzarti hai meri dard milta deti hai ye khamoshiyan lagta hai apna bhi hai koi ©foxstar nargis

#GoodNight  White tanhaiyon me akshar rat guzarti hai meri dard milta deti hai ye khamoshiyan lagta hai apna bhi hai koi

©foxstar nargis

#GoodNight urdu poetry deep poetry in urdu sad urdu poetry urdu poetry sad sad poetry

18 Love

White उस दर्दमंद शख्स को आराम क्या मिले जिसको दवा मिले न किसी की दुआ मिले हम लोग साथ साथ हैं तब तक ही ज़िंदगी जब तक न मेरी मौत को मेरा पता मिले तुझको भी इंतजार है चाहत के अक्स का मुझको भी है तलाश कोई आइना मिले ये क्या कि रोज़ इश्क़ ओ मुहब्बत पे बात हो अब गुफ्तगू का कोई तो पहलू नया मिले अपनी उदासियां न किसी को दिखाइए दुनिया तो चाहती है कोई मुददआ मिले अहसाँ के तौर पर न मुआफी कुबूल है मैं हूं गुनाहगार तो मुझको सज़ा मिले अश्कों की इस किताब को रखिए संभाल करऔर तब दिखाइए जब इसे पारसा मिले सत्य चंदन ©Satya Chandan

#ghazal  White उस दर्दमंद शख्स को आराम क्या मिले
जिसको दवा मिले न किसी की दुआ मिले
हम लोग साथ साथ हैं तब तक ही ज़िंदगी
जब तक न मेरी मौत को मेरा पता मिले
तुझको भी इंतजार है चाहत के अक्स का
मुझको भी है तलाश कोई आइना मिले
ये क्या कि रोज़ इश्क़ ओ मुहब्बत पे बात हो
अब गुफ्तगू का कोई तो पहलू नया मिले
अपनी उदासियां न किसी को दिखाइए
दुनिया तो चाहती है कोई मुददआ मिले
अहसाँ के तौर पर न मुआफी कुबूल है
मैं हूं गुनाहगार तो मुझको सज़ा मिले
अश्कों की इस किताब को रखिए संभाल करऔर तब दिखाइए जब इसे पारसा मिले
सत्य चंदन

©Satya Chandan

#ghazal

10 Love

White hi friend apnara kemn achen sobai valo laglo ©Rakesh

#Thinking  White hi friend apnara kemn achen sobai valo laglo

©Rakesh

#Thinking urdu poetry sad urdu poetry

10 Love

मुल्क में फिरका परस्ती को हवा दी तुमने यानि अंग्रेज की फिर याद दिला दी तुमने चादर असमत की कभी सर पे जला दी तुमने कभी मजलूम की गर्दन भी उड़ा दी तुमने रूह जब छोड गई तन तो सदा दी तुमने ए मसीहाओ बहुत देर लगा दी तुमने तुमने हमदर्दी व इख्लाक की कब्रे खोदी अपने ही मुल्क की तहजीब गवां दी तुमने जिस कहानी से तफरीक की बू आती है क्या कयामत है कि वो बच्चों को सुना दी तुमने हम अगर शमा मुहब्बत भी जलाये तो जलन हो तुमको सारे गुलशन में तो ऐ रमजानी आग लगा दी तुमने 17/6/15 ©MSA RAMZANI

 मुल्क में फिरका परस्ती को हवा दी तुमने 
यानि अंग्रेज की फिर याद दिला दी तुमने

चादर असमत की कभी सर पे जला दी तुमने 
कभी मजलूम की गर्दन भी उड़ा दी तुमने 

रूह जब छोड गई तन तो सदा दी तुमने 
ए मसीहाओ बहुत देर लगा दी तुमने

तुमने हमदर्दी व इख्लाक की कब्रे खोदी 
अपने ही मुल्क की तहजीब गवां दी तुमने

जिस कहानी से तफरीक की बू आती है 
क्या कयामत है कि वो बच्चों को सुना दी तुमने

हम अगर शमा मुहब्बत भी जलाये तो जलन हो तुमको 
सारे गुलशन में तो ऐ रमजानी आग लगा दी तुमने
17/6/15

©MSA RAMZANI

Ghazal

17 Love

शहर ए उल्फत में जिसे देखा था हू-ब-हू वो तेरे जैसा था तेरी यादे थी मेरी हमराही वरना मैं और घना सहरा था भीगी भीगी थी निगाहें उसकी हिज्र में मेरे वो भी रोया था आज भी दिल में बसा रखा है दर्दे उल्फत जो कभी पाया था इश्क की तपती हुई राहो मे टूटी दीवार का मैं साया था क्या मुहब्बत में महकते दिन थे टूटकर उसने मुझे चाहा था महकी महकी है, फिजाय रमजानी कौन ख्वाबो में मेरे आया था 14/10/15- ©MSA RAMZANI

 शहर ए उल्फत में जिसे देखा था 
हू-ब-हू वो तेरे जैसा था

तेरी यादे थी मेरी हमराही 
वरना मैं और घना सहरा था

भीगी भीगी थी निगाहें उसकी 
हिज्र में मेरे वो भी रोया था

आज भी दिल में बसा रखा है 
दर्दे उल्फत जो कभी पाया था

इश्क की तपती हुई राहो मे 
टूटी दीवार का मैं साया था

क्या मुहब्बत में महकते दिन थे 
टूटकर उसने मुझे चाहा था

महकी महकी है, फिजाय रमजानी
कौन ख्वाबो में मेरे आया था

14/10/15-

©MSA RAMZANI

Ghazal

10 Love

White उसी रफ़्तार से चलती है गाड़ी तुम्हारे प्यार से चलती है गाड़ी ©Rajneesh Kumar

#शायरी #ghazal  White उसी रफ़्तार से चलती है गाड़ी
तुम्हारे प्यार से चलती है गाड़ी

©Rajneesh Kumar

#ghazal se

14 Love

White tanhaiyon me akshar rat guzarti hai meri dard milta deti hai ye khamoshiyan lagta hai apna bhi hai koi ©foxstar nargis

#GoodNight  White tanhaiyon me akshar rat guzarti hai meri dard milta deti hai ye khamoshiyan lagta hai apna bhi hai koi

©foxstar nargis

#GoodNight urdu poetry deep poetry in urdu sad urdu poetry urdu poetry sad sad poetry

18 Love

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