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New दर्द भरे नगमे Status, Photo, Video

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White मैने तेरी लाखों मजबूरियों को समझा तूने तो मेरी हर मजबूरियों का फ़ायदा ही उठाया बस इसी सोच में रह गया की कभी तू भी समझेगी मुझे की तू भी कभी एक मज़बूरी को भी समझेगी। अब आस लगाऊं तुझ से क्या अब पास बुलाऊं तुझे क्या जब तू मुझे जानी ही नहीं तू मुझे पहचानी ही नहीं। ©Deependra Dubey

#शायरी #दर्द  White मैने तेरी लाखों मजबूरियों को समझा 
तूने तो मेरी हर मजबूरियों का फ़ायदा ही उठाया 
बस इसी सोच में रह गया 
की कभी तू भी समझेगी मुझे 
की तू भी कभी एक मज़बूरी को भी समझेगी।
अब आस लगाऊं तुझ से क्या 
अब पास बुलाऊं तुझे क्या
जब तू मुझे जानी ही नहीं
तू मुझे पहचानी ही नहीं।

©Deependra Dubey

#दर्द शायरी दर्द

11 Love

चालाकी से भरे हुए, मिलते सहमे डरे हुए, पैमाने भर ख़ुदग़र्ज़ी, रहते ज़िद पे अड़े हुए, देर न लगती मिटने में, पहले ही अधमरे हुए, पलकें नीची पांडव सी, फक़त शर्म से गड़े हुए, फूलों की डाली खाली, पत्तों तक हैं झरे हुए, हम भी ये बदलाव यहां, देख-देखकर बड़े हुए, भीड़ तमाशाई 'गुंजन', लोग-बाग हैं खड़े हुए, -शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ०प्र० ©Shashi Bhushan Mishra

#चालाकी #कविता  चालाकी  से  भरे हुए,
मिलते  सहमे डरे हुए,

पैमाने  भर  ख़ुदग़र्ज़ी,
रहते ज़िद पे अड़े हुए,

देर न लगती मिटने में,
पहले ही  अधमरे हुए,

पलकें नीची पांडव सी,
फक़त शर्म से गड़े हुए,

फूलों की डाली खाली,
पत्तों  तक  हैं  झरे हुए,

हम भी ये बदलाव यहां,
देख-देखकर  बड़े  हुए,

भीड़  तमाशाई  'गुंजन',
लोग-बाग  हैं  खड़े हुए,
-शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
     प्रयागराज उ०प्र०

©Shashi Bhushan Mishra

#चालाकी से भरे हुए#

16 Love

White मैने तेरी लाखों मजबूरियों को समझा तूने तो मेरी हर मजबूरियों का फ़ायदा ही उठाया बस इसी सोच में रह गया की कभी तू भी समझेगी मुझे की तू भी कभी एक मज़बूरी को भी समझेगी। अब आस लगाऊं तुझ से क्या अब पास बुलाऊं तुझे क्या जब तू मुझे जानी ही नहीं तू मुझे पहचानी ही नहीं। ©Deependra Dubey

#शायरी #दर्द  White मैने तेरी लाखों मजबूरियों को समझा 
तूने तो मेरी हर मजबूरियों का फ़ायदा ही उठाया 
बस इसी सोच में रह गया 
की कभी तू भी समझेगी मुझे 
की तू भी कभी एक मज़बूरी को भी समझेगी।
अब आस लगाऊं तुझ से क्या 
अब पास बुलाऊं तुझे क्या
जब तू मुझे जानी ही नहीं
तू मुझे पहचानी ही नहीं।

©Deependra Dubey

#दर्द शायरी दर्द

11 Love

चालाकी से भरे हुए, मिलते सहमे डरे हुए, पैमाने भर ख़ुदग़र्ज़ी, रहते ज़िद पे अड़े हुए, देर न लगती मिटने में, पहले ही अधमरे हुए, पलकें नीची पांडव सी, फक़त शर्म से गड़े हुए, फूलों की डाली खाली, पत्तों तक हैं झरे हुए, हम भी ये बदलाव यहां, देख-देखकर बड़े हुए, भीड़ तमाशाई 'गुंजन', लोग-बाग हैं खड़े हुए, -शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ०प्र० ©Shashi Bhushan Mishra

#चालाकी #कविता  चालाकी  से  भरे हुए,
मिलते  सहमे डरे हुए,

पैमाने  भर  ख़ुदग़र्ज़ी,
रहते ज़िद पे अड़े हुए,

देर न लगती मिटने में,
पहले ही  अधमरे हुए,

पलकें नीची पांडव सी,
फक़त शर्म से गड़े हुए,

फूलों की डाली खाली,
पत्तों  तक  हैं  झरे हुए,

हम भी ये बदलाव यहां,
देख-देखकर  बड़े  हुए,

भीड़  तमाशाई  'गुंजन',
लोग-बाग  हैं  खड़े हुए,
-शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
     प्रयागराज उ०प्र०

©Shashi Bhushan Mishra

#चालाकी से भरे हुए#

16 Love

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