White मैने तेरी लाखों मजबूरियों को समझा
तूने तो मेरी हर मजबूरियों का फ़ायदा ही उठाया
बस इसी सोच में रह गया
की कभी तू भी समझेगी मुझे
की तू भी कभी एक मज़बूरी को भी समझेगी।
अब आस लगाऊं तुझ से क्या
अब पास बुलाऊं तुझे क्या
जब तू मुझे जानी ही नहीं
तू मुझे पहचानी ही नहीं।
©Deependra Dubey
#दर्द शायरी दर्द