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#vksrivastav #viral #SAD  Unsplash छूट जाता है यहीं सब चाहे जितना पकड़ो
टूट जाता है हर घमंड चाहे
जितना अकड़ो

©Vk srivastav

छूट जाता है यहीं सब #SAD #Shayari #viral #vksrivastav

108 View

White तहजीब सीखने की खातिर घर से निकले हम ,,,हिचकियों में अपनों को सवारते हम ,,, सत्तू की पोटली में मां को निहारते हम ,,, कुछ पीछे छूट जाने की कसक को दिल मैं दफन किए घर से निकले हम,,,, अच्छा लगता है हमको भी मिट्टी में मिलना अपनी नाल को खेतों में दबाना,,, पर निकल चुके हैं हम खुद से दूर बहुत दूर,,, मेडो में बहता पानी खेतों में चरती गईया,,, गेहूं के संग उगता बथुआ,,, वो चूल्हे की मिट्टी वो सिलगती आग में सिकती रोटी,, छूट रहा है सब कुछ मेरी मुट्ठी से रेत सा ©reena sagar

#कविता #sad_quotes  White तहजीब सीखने की खातिर घर से निकले हम  ,,,हिचकियों में अपनों को सवारते हम ,,, सत्तू की पोटली में मां को निहारते हम ,,, कुछ पीछे छूट जाने की कसक को दिल मैं दफन किए घर से निकले हम,,,, अच्छा लगता है हमको भी मिट्टी में मिलना अपनी नाल को खेतों में दबाना,,, पर  निकल चुके हैं हम खुद से दूर बहुत दूर,,, मेडो में बहता पानी खेतों में चरती गईया,,, गेहूं के संग उगता बथुआ,,, वो चूल्हे की मिट्टी वो सिलगती आग में सिकती रोटी,, छूट रहा है सब कुछ मेरी मुट्ठी से रेत सा

©reena sagar

#sad_quotes छूट रहा है सब कुछ

13 Love

White ये रील्स वालों की दुनियां, एक रंगमंच, एक व्यापार, वास्तविक कुछ नहीं, जो दिखता सब व्यापार, ना मर्यादा, ना संस्कार, मनोरंजन के नाम पर खुल गया , फुहड़ता, अपशब्द और बेशर्मी का बाजार, किस्म-किस्म के किरदार है, कोई सुनाता दुःखड़े अपने , कोई हँसता झूठी मुस्कान, कोई बना ज्ञान का सागर, कोई करता भोग-विलास, फैशन के नाम पर कम होते कपड़े, क्या खुला है अध-नग्नता का बाजार, फूहड़ गाने, अश्लील डांस, क्या लगता नहीं मुजरा बाजार, दुःख और पीड़ा इस बात की भारत में हो रहा अशिक्षा ,अज्ञानता का प्रचार, बच्चे क्या, बूढ़े क्या,सब है इसके गुलाम, ये मेरे अपने विचार है, जिन्हे लगता सत्य वो भी जरा विचार करे , क्या यूँ ही फलती-फूलती रहेगी ये रील्स की दुनियां , फिर सोचिये एक दिन ये दुकान हर घर में खुलेगी, सोचिये क्या होगा भविष्य नयी पीढ़ी का, क्या बन पाएंगे विश्व गुरु या वो भी.....| ©Sonam kuril

#विचार #reelskiduniya #Sad_Status  White  ये रील्स वालों की दुनियां,
एक रंगमंच, एक व्यापार,
वास्तविक कुछ नहीं, जो दिखता सब व्यापार,
ना मर्यादा, ना संस्कार,
मनोरंजन के नाम पर खुल गया ,
फुहड़ता, अपशब्द और बेशर्मी का बाजार,
किस्म-किस्म के किरदार है,
कोई सुनाता दुःखड़े अपने ,
कोई हँसता झूठी मुस्कान,
कोई बना ज्ञान का सागर,
कोई करता भोग-विलास,
फैशन के नाम पर कम होते कपड़े,
क्या खुला है अध-नग्नता का बाजार,
फूहड़ गाने, अश्लील डांस,
क्या लगता नहीं मुजरा बाजार,
दुःख और पीड़ा इस बात की 
भारत में हो रहा अशिक्षा ,अज्ञानता का प्रचार,
बच्चे क्या, बूढ़े क्या,सब है इसके गुलाम,
ये मेरे अपने विचार है,
जिन्हे लगता सत्य वो भी जरा विचार करे ,
क्या यूँ ही फलती-फूलती रहेगी ये रील्स की दुनियां ,
फिर सोचिये एक दिन ये दुकान हर घर में खुलेगी,
सोचिये क्या होगा भविष्य नयी पीढ़ी का,
क्या बन पाएंगे विश्व गुरु  या वो भी.....|

©Sonam kuril

#Sad_Status #reelskiduniya ये रील्स वालों की दुनियां, एक रंगमंच, एक व्यापार, वास्तविक कुछ नहीं, जो दिखता सब व्यापार, ना मर्यादा, ना संस्कार

17 Love

White कौड़ी दाम लगे नहीं, फिर कैसा इनकार। खुली ऑंख होता नहीं, सपनों का व्यापार।। रहो कहीं तुम प्यार में, मिला करो इकबार। सफल निरापद लोक में, सपनों का व्यापार।। कुसुम कली कच्ची अभी, तितली लख मंडराया। विकसित कुसुम नहीं कली, भंवरा नहिं निअराय।। प्रेम जगत में सार है, प्रेम-शक्ति अन् अन्त। मर्यादित हो प्रेम तो, प्रेम रुप भगवन्त।। ©Shiv Narayan Saxena

#love_shayari  White कौड़ी  दाम  लगे नहीं, फिर  कैसा इनकार।
 खुली ऑंख होता नहीं, सपनों का व्यापार।।

रहो  कहीं  तुम  प्यार में, मिला करो इकबार।
 सफल निरापद लोक में, सपनों का व्यापार।।

कुसुम  कली  कच्ची अभी, तितली लख मंडराया।
 विकसित कुसुम नहीं कली, भंवरा नहिं निअराय।।

प्रेम जगत में सार है, प्रेम-शक्ति अन् अन्त।
मर्यादित हो  प्रेम  तो,  प्रेम  रुप  भगवन्त।।

©Shiv Narayan Saxena

#love_shayari सपनों का व्यापार.

22 Love

#vksrivastav #viral #SAD  Unsplash छूट जाता है यहीं सब चाहे जितना पकड़ो
टूट जाता है हर घमंड चाहे
जितना अकड़ो

©Vk srivastav

छूट जाता है यहीं सब #SAD #Shayari #viral #vksrivastav

108 View

White तहजीब सीखने की खातिर घर से निकले हम ,,,हिचकियों में अपनों को सवारते हम ,,, सत्तू की पोटली में मां को निहारते हम ,,, कुछ पीछे छूट जाने की कसक को दिल मैं दफन किए घर से निकले हम,,,, अच्छा लगता है हमको भी मिट्टी में मिलना अपनी नाल को खेतों में दबाना,,, पर निकल चुके हैं हम खुद से दूर बहुत दूर,,, मेडो में बहता पानी खेतों में चरती गईया,,, गेहूं के संग उगता बथुआ,,, वो चूल्हे की मिट्टी वो सिलगती आग में सिकती रोटी,, छूट रहा है सब कुछ मेरी मुट्ठी से रेत सा ©reena sagar

#कविता #sad_quotes  White तहजीब सीखने की खातिर घर से निकले हम  ,,,हिचकियों में अपनों को सवारते हम ,,, सत्तू की पोटली में मां को निहारते हम ,,, कुछ पीछे छूट जाने की कसक को दिल मैं दफन किए घर से निकले हम,,,, अच्छा लगता है हमको भी मिट्टी में मिलना अपनी नाल को खेतों में दबाना,,, पर  निकल चुके हैं हम खुद से दूर बहुत दूर,,, मेडो में बहता पानी खेतों में चरती गईया,,, गेहूं के संग उगता बथुआ,,, वो चूल्हे की मिट्टी वो सिलगती आग में सिकती रोटी,, छूट रहा है सब कुछ मेरी मुट्ठी से रेत सा

©reena sagar

#sad_quotes छूट रहा है सब कुछ

13 Love

White ये रील्स वालों की दुनियां, एक रंगमंच, एक व्यापार, वास्तविक कुछ नहीं, जो दिखता सब व्यापार, ना मर्यादा, ना संस्कार, मनोरंजन के नाम पर खुल गया , फुहड़ता, अपशब्द और बेशर्मी का बाजार, किस्म-किस्म के किरदार है, कोई सुनाता दुःखड़े अपने , कोई हँसता झूठी मुस्कान, कोई बना ज्ञान का सागर, कोई करता भोग-विलास, फैशन के नाम पर कम होते कपड़े, क्या खुला है अध-नग्नता का बाजार, फूहड़ गाने, अश्लील डांस, क्या लगता नहीं मुजरा बाजार, दुःख और पीड़ा इस बात की भारत में हो रहा अशिक्षा ,अज्ञानता का प्रचार, बच्चे क्या, बूढ़े क्या,सब है इसके गुलाम, ये मेरे अपने विचार है, जिन्हे लगता सत्य वो भी जरा विचार करे , क्या यूँ ही फलती-फूलती रहेगी ये रील्स की दुनियां , फिर सोचिये एक दिन ये दुकान हर घर में खुलेगी, सोचिये क्या होगा भविष्य नयी पीढ़ी का, क्या बन पाएंगे विश्व गुरु या वो भी.....| ©Sonam kuril

#विचार #reelskiduniya #Sad_Status  White  ये रील्स वालों की दुनियां,
एक रंगमंच, एक व्यापार,
वास्तविक कुछ नहीं, जो दिखता सब व्यापार,
ना मर्यादा, ना संस्कार,
मनोरंजन के नाम पर खुल गया ,
फुहड़ता, अपशब्द और बेशर्मी का बाजार,
किस्म-किस्म के किरदार है,
कोई सुनाता दुःखड़े अपने ,
कोई हँसता झूठी मुस्कान,
कोई बना ज्ञान का सागर,
कोई करता भोग-विलास,
फैशन के नाम पर कम होते कपड़े,
क्या खुला है अध-नग्नता का बाजार,
फूहड़ गाने, अश्लील डांस,
क्या लगता नहीं मुजरा बाजार,
दुःख और पीड़ा इस बात की 
भारत में हो रहा अशिक्षा ,अज्ञानता का प्रचार,
बच्चे क्या, बूढ़े क्या,सब है इसके गुलाम,
ये मेरे अपने विचार है,
जिन्हे लगता सत्य वो भी जरा विचार करे ,
क्या यूँ ही फलती-फूलती रहेगी ये रील्स की दुनियां ,
फिर सोचिये एक दिन ये दुकान हर घर में खुलेगी,
सोचिये क्या होगा भविष्य नयी पीढ़ी का,
क्या बन पाएंगे विश्व गुरु  या वो भी.....|

©Sonam kuril

#Sad_Status #reelskiduniya ये रील्स वालों की दुनियां, एक रंगमंच, एक व्यापार, वास्तविक कुछ नहीं, जो दिखता सब व्यापार, ना मर्यादा, ना संस्कार

17 Love

White कौड़ी दाम लगे नहीं, फिर कैसा इनकार। खुली ऑंख होता नहीं, सपनों का व्यापार।। रहो कहीं तुम प्यार में, मिला करो इकबार। सफल निरापद लोक में, सपनों का व्यापार।। कुसुम कली कच्ची अभी, तितली लख मंडराया। विकसित कुसुम नहीं कली, भंवरा नहिं निअराय।। प्रेम जगत में सार है, प्रेम-शक्ति अन् अन्त। मर्यादित हो प्रेम तो, प्रेम रुप भगवन्त।। ©Shiv Narayan Saxena

#love_shayari  White कौड़ी  दाम  लगे नहीं, फिर  कैसा इनकार।
 खुली ऑंख होता नहीं, सपनों का व्यापार।।

रहो  कहीं  तुम  प्यार में, मिला करो इकबार।
 सफल निरापद लोक में, सपनों का व्यापार।।

कुसुम  कली  कच्ची अभी, तितली लख मंडराया।
 विकसित कुसुम नहीं कली, भंवरा नहिं निअराय।।

प्रेम जगत में सार है, प्रेम-शक्ति अन् अन्त।
मर्यादित हो  प्रेम  तो,  प्रेम  रुप  भगवन्त।।

©Shiv Narayan Saxena

#love_shayari सपनों का व्यापार.

22 Love

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