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........... ©Rajesh Arora

#मोटिवेशनल  ...........

©Rajesh Arora

बेटियां 'हिंदी मोटिवेशनल कोट्स' शायरी मोटिवेशनल मोटिवेशनल कविता इन हिंदी प्रेरणादायक मोटिवेशनल कोट्स

14 Love

White Nature lover ....... ©Nature lover

#मोटिवेशनल  White Nature lover 
.......

©Nature lover

मोटिवेशनल कोट्स मोटिवेशनल कोट्स हिंदी प्रेरणादायक मोटिवेशनल कोट्स मोटिवेशनल कविता इन हिंदी शायरी मोटिवेशनल

13 Love

White लौट जाते है पंछी घोंसलों को देन ढलते ढलते, सुकून सबको घर पर ही मिलता है ©Radhe manju

#मोटिवेशनल #लाइफ #sad_quotes  White लौट जाते है पंछी घोंसलों को देन ढलते ढलते,
सुकून सबको घर पर ही मिलता है

©Radhe manju

#sad_quotes मोटिवेशनल स्टेटस हिंदी शायरी मोटिवेशनल प्रेरणादायक मोटिवेशनल कोट्स मोटिवेशनल कविता इन हिंदी मोटिवेशनल कोट्स हिंदी #लाइफ

20 Love

#मोटिवेशनल  White प्यार अगर खुद से हो
 तो जिंदगी में आनंद ही आनंद है ...

©Shivam Rajput

मोटिवेशनल कोट्स प्रेरणादायक मोटिवेशनल कोट्स मोटिवेशनल कविता इन हिंदी शायरी मोटिवेशनल मोटिवेशनल स्टेटस हिंदी

72 View

White बात नहीं कलयुग की है तुम सतयुग सा रह पाओगी वादा नहीं मांगा है तुमसे तुम सच ही सब कुछ बताओगी द्वापर में जैसे राधा ने कृष्णा को जैसे चाहा था प्रेम विरह के चलते भी रिश्ता अपना निभाया था मैं राम सा कर्तव्य निभाउंगा तुम सीता सा साथ रह पाओगी जब बात आएगी इज़्ज़त पर तेरी मैं सिर्फ तुझपर ही यकीन रख पाऊंगा कलयुग का एक लड़का हूं मैं कलयुग से हारा बैठा हूं लड़ जाउंगा मैं सबसे तुम्हारे लिए क्या तुम पार्वती सा प्रेम निभाओगी बात नहीं कलयुग की है तुम सतयुग सा रह पाओगी....... ©Abhishek Ranjan

#मोटिवेशनल #Sad_Status  White बात नहीं कलयुग की है
तुम सतयुग सा रह पाओगी
वादा नहीं मांगा है तुमसे
तुम सच ही सब कुछ बताओगी
द्वापर में जैसे राधा ने 
कृष्णा को जैसे चाहा था
प्रेम विरह के चलते भी
रिश्ता अपना निभाया था
मैं राम सा कर्तव्य निभाउंगा
तुम सीता सा साथ रह पाओगी
जब बात आएगी इज़्ज़त पर तेरी
मैं सिर्फ तुझपर ही यकीन रख पाऊंगा
कलयुग का एक लड़का हूं मैं
कलयुग से हारा बैठा हूं
लड़ जाउंगा मैं सबसे तुम्हारे लिए
क्या तुम पार्वती सा प्रेम निभाओगी
बात नहीं कलयुग की है
तुम सतयुग सा रह पाओगी.......

©Abhishek Ranjan

#Sad_Status प्रेरणादायक मोटिवेशनल कोट्स मोटिवेशनल स्टेटस हिंदी शायरी मोटिवेशनल

11 Love

अपना अब तक का जीवन मैंने आघातों में व्यतीत किया हैं उतने प्रकृति में रंग भी नहीं हैं जितने घाव मेरे मन पर है उतनी मेघों ने वर्षा नहीं की होगी जितने अश्रु मेरे नैनों ने झरे हैं उतने द्रवित करने वाले विचार कदाचित झेल भी ना पाए कोई जितनी विस्मित कर देने वाली स्मृतियां अपने हृदय में लिए मै घूमती रहती हु मुझे अब जीवन से कोई मोह नहीं बचा है बस तुम्हारे साथ की इच्छा जाने कैसे अजर अमर हो गई है हृदय में विश्वास शब्द मेरे लिए किसी बुरे स्वप्न जैसा ही है फिर भी साहस एकत्रित कर,मै तुम पर करना चाहती हु मुझे अपने हिस्से की धूप भी प्रिय रही है माँग कर लाई हुई छांव का मैं,परित्याग ही करुंगी मेरे लिए सम्मान का स्थान श्वास से भी शीर्ष हैं मेरी प्रार्थनाओं सा पवित्र प्रेम किया हैं मैने,तुम से तुम्हारे जीवन में कदाचित मेरा कोई स्थान न था न है न होगा कभी और मैं भी इतनी स्वाभिमानी हु कि,प्रेम की भिक्षा तो मांगने से रही अभिलाषा अवश्य थी,तुम से प्रेम पाने की शेष ही रहेगी,शायद संभव है मै कभी न कह सकीं,तुम से बीती बातें स्मरण हो तो लगता हैं उचित हीं किया,नहीं कहा जहां मेरे शब्दों का स्थान नहीं था मेरी भावनाओं को क्या ही मिलता जहां मेरी पीड़ा,मेरी वेदना,मेरी उपस्थिति, अनुपस्थिति सब एक जैसी निर्मूलय ही थी वहा भावनाएं व्यक्त कर के भी क्या ही हो जाता संभवतः जीवन इसे ही कहते है जहां हम,सभी इच्छाओं का परित्याग करना सीखते हैं अब तक तो मैने जीवन के विषय में इतना ही जाना है इंद्रधनुष जैसे तुम मेरे हिस्से में आ जाते,तो शायद रंग भी आ जाते अब हर इच्छा पर तथास्तु कह दिया जाए कहा संभव हैमेरे हृदय में तुम्हारा स्थान आशुतोष के बिल्कुल निकट हैं तुम्हारा सम्मान मेरे लिए मेरे सम्मान से भी शीर्ष पर है,सदैव रहेगा भी मैं,किन्तु अपने स्वाभिमान का परित्याग नहीं कर सकती अब तक भी,सभी लड़ाइयों के बाद मैने स्वाभिमान ही अर्जित किया है यह न रहा तो मैं भी नहीं रहूंगी मैं तुम्हारे समक्ष बड़ी निष्ठा से आजीवन नतमस्तक हो सकती हु मेरा प्रेम मुझे कोमल और शशक्त दोनों ही बनाता है तुम यद्यपि मेरी दृष्टि,मेरी इच्छा,मेरा मौन तुम से जुड़ने की निष्फल चेष्टाएं या तो देख नहीं पाए या फिर इनके लिए तुम्हारे हृदय में कोई स्थान कभी बना ही नहीं मुझे कोई खेद नहीं है प्रेम सदैव उन्मुक्त करता है तो मैं अपनी सभी अपेक्षाओं से मुक्त करती हु तुम्हे मेरा एकल प्रेम मेरे लिए पर्याप्त है आशुतोष से प्रार्थना हैं तुम्हे जीवन में वो सब कुछ प्राप्त हो जिसकी तुम्हे अभिलाषा है कदाचित तुम्हारा सुख देख कर,हृदय थोड़ी शांति अनुभव कर सके मैं,अत्यंत कठिन मनुष्यों की श्रेणी में आती होंगी शायद मुझ से प्रेम कर पाना असंभव ही है मान लिया हैं मैने अब न तो कोई लालसा बची है ना कोई इच्छा अब जीवन का एक मात्र ध्येय है,शांति,कदाचित चिर निद्रा में लीन हो प्राप्त हो सके कहा ना,अत्यंत कठिन मनुष्यों की श्रेणी में आती हु मैं तुम मेरे जीवन में आए,तुम से दो घड़ी के लिए जुड़ पाई मैं सदैव प्रकृति की आभारी रहूंगी तुम से मेरे जीवन का व्याकरण बदला मैने प्रेम किया,प्रेम चुना,प्रेम जिया मेरा एकल प्रेम, मृत्यपरांत भी मुझ में युगों युगों तक जीवित रहेगा तुम सदैव उदित होना आदित्य की तरह अपनी कीर्ति से दीप्तिमान करना समूचा विश्व,कदाचित मैं कोई बनफूल हु और कमलापति के वक्षस्थल पर तो सदैव वैजयंती के पुष्प शोभित होते हैं तो ये सौभाग्य इस जीवन में मेरा होने से रहा अपनी सभी आकांक्षाओ और मौन प्रेम के साथ शीघ्र ही तुम्हारे जीवन से विदा ले कर किसी लंबी यात्रा पर जाने का मन है,ऐसी यात्रा जहां श्वास के साथ सभी भावनाओं का भी अंत हो सके मनुष्य होने का इतना दंड,कदाचित प्रयाप्त ही हैं..... ©ashita pandey बेबाक़

#मोटिवेशनल #leafbook  अपना अब तक का जीवन मैंने  आघातों में व्यतीत किया हैं 
उतने प्रकृति में रंग भी नहीं हैं जितने घाव मेरे मन पर है
उतनी मेघों ने वर्षा नहीं की होगी जितने अश्रु मेरे नैनों ने झरे हैं 
उतने द्रवित करने वाले विचार कदाचित झेल भी ना पाए कोई
जितनी विस्मित कर देने वाली स्मृतियां अपने हृदय में लिए मै घूमती रहती हु मुझे अब जीवन से कोई मोह नहीं बचा है
बस तुम्हारे साथ की इच्छा जाने कैसे अजर अमर हो गई है हृदय में
विश्वास शब्द मेरे लिए किसी बुरे स्वप्न जैसा ही है
फिर भी साहस एकत्रित कर,मै तुम पर करना चाहती हु मुझे अपने हिस्से की धूप भी प्रिय रही है 
माँग कर लाई हुई छांव का मैं,परित्याग ही करुंगी मेरे लिए सम्मान का स्थान श्वास से भी शीर्ष हैं 
मेरी प्रार्थनाओं सा पवित्र प्रेम किया हैं  मैने,तुम से
तुम्हारे जीवन में कदाचित मेरा कोई स्थान न था न है न होगा कभी और मैं भी
इतनी स्वाभिमानी हु कि,प्रेम की भिक्षा तो मांगने से रही अभिलाषा अवश्य थी,तुम से प्रेम पाने की शेष ही रहेगी,शायद
संभव है मै कभी न कह सकीं,तुम से बीती बातें स्मरण हो तो लगता हैं 
उचित हीं किया,नहीं कहा जहां मेरे शब्दों का स्थान नहीं था मेरी भावनाओं को क्या ही मिलता
जहां मेरी पीड़ा,मेरी वेदना,मेरी उपस्थिति, अनुपस्थिति सब एक जैसी निर्मूलय ही थी
वहा भावनाएं व्यक्त कर के भी  क्या ही हो जाता संभवतः जीवन इसे ही कहते है
जहां हम,सभी इच्छाओं का परित्याग करना सीखते हैं अब तक तो मैने जीवन के विषय में इतना ही जाना है
इंद्रधनुष जैसे तुम मेरे हिस्से में आ जाते,तो शायद रंग भी आ जाते अब हर इच्छा पर तथास्तु कह दिया जाए
कहा संभव हैमेरे हृदय में तुम्हारा स्थान आशुतोष के बिल्कुल निकट हैं 
तुम्हारा सम्मान मेरे लिए मेरे सम्मान से भी शीर्ष पर है,सदैव रहेगा भी मैं,किन्तु अपने स्वाभिमान का परित्याग नहीं कर सकती
अब तक भी,सभी लड़ाइयों के बाद मैने स्वाभिमान ही अर्जित किया है यह न रहा तो मैं भी नहीं रहूंगी
मैं तुम्हारे समक्ष बड़ी निष्ठा से आजीवन नतमस्तक हो सकती हु मेरा प्रेम मुझे कोमल और शशक्त दोनों ही बनाता है
तुम यद्यपि मेरी दृष्टि,मेरी इच्छा,मेरा मौन तुम से जुड़ने की निष्फल चेष्टाएं या तो देख नहीं पाए
या फिर इनके लिए तुम्हारे हृदय में कोई स्थान कभी बना ही नहीं
मुझे कोई खेद नहीं है प्रेम सदैव उन्मुक्त करता है तो मैं अपनी सभी अपेक्षाओं से मुक्त करती हु तुम्हे
मेरा एकल प्रेम मेरे लिए पर्याप्त है आशुतोष से प्रार्थना हैं 
तुम्हे जीवन में वो सब कुछ प्राप्त हो जिसकी तुम्हे अभिलाषा है कदाचित तुम्हारा सुख देख कर,हृदय थोड़ी शांति अनुभव कर सके
मैं,अत्यंत कठिन मनुष्यों की श्रेणी में आती होंगी शायद मुझ से प्रेम कर पाना असंभव ही है मान लिया हैं मैने
अब न तो कोई लालसा बची है ना कोई इच्छा
अब जीवन का एक मात्र ध्येय है,शांति,कदाचित चिर निद्रा में लीन हो प्राप्त हो सके
कहा ना,अत्यंत कठिन मनुष्यों की श्रेणी में आती हु मैं
तुम मेरे जीवन में आए,तुम से दो घड़ी के लिए जुड़ पाई मैं सदैव प्रकृति की आभारी रहूंगी
तुम से मेरे जीवन का व्याकरण बदला मैने प्रेम किया,प्रेम चुना,प्रेम जिया 
मेरा एकल प्रेम, मृत्यपरांत भी मुझ में युगों युगों तक जीवित रहेगा तुम सदैव उदित होना 
आदित्य की तरह अपनी कीर्ति से दीप्तिमान करना समूचा विश्व,कदाचित मैं कोई बनफूल हु
और कमलापति के वक्षस्थल पर तो सदैव वैजयंती के पुष्प शोभित होते हैं 
तो ये सौभाग्य इस जीवन में मेरा होने से रहा अपनी सभी आकांक्षाओ और मौन प्रेम के साथ 
शीघ्र ही तुम्हारे जीवन से विदा ले कर किसी लंबी यात्रा पर जाने का मन है,ऐसी यात्रा जहां 
श्वास के साथ सभी भावनाओं का भी अंत हो सके मनुष्य होने का इतना दंड,कदाचित
प्रयाप्त ही हैं.....

©ashita pandey  बेबाक़

#leafbook शायरी मोटिवेशनल प्रेरणादायक मोटिवेशनल कोट्स मोटिवेशनल स्टेटस हिंदी

16 Love

........... ©Rajesh Arora

#मोटिवेशनल  ...........

©Rajesh Arora

बेटियां 'हिंदी मोटिवेशनल कोट्स' शायरी मोटिवेशनल मोटिवेशनल कविता इन हिंदी प्रेरणादायक मोटिवेशनल कोट्स

14 Love

White Nature lover ....... ©Nature lover

#मोटिवेशनल  White Nature lover 
.......

©Nature lover

मोटिवेशनल कोट्स मोटिवेशनल कोट्स हिंदी प्रेरणादायक मोटिवेशनल कोट्स मोटिवेशनल कविता इन हिंदी शायरी मोटिवेशनल

13 Love

White लौट जाते है पंछी घोंसलों को देन ढलते ढलते, सुकून सबको घर पर ही मिलता है ©Radhe manju

#मोटिवेशनल #लाइफ #sad_quotes  White लौट जाते है पंछी घोंसलों को देन ढलते ढलते,
सुकून सबको घर पर ही मिलता है

©Radhe manju

#sad_quotes मोटिवेशनल स्टेटस हिंदी शायरी मोटिवेशनल प्रेरणादायक मोटिवेशनल कोट्स मोटिवेशनल कविता इन हिंदी मोटिवेशनल कोट्स हिंदी #लाइफ

20 Love

#मोटिवेशनल  White प्यार अगर खुद से हो
 तो जिंदगी में आनंद ही आनंद है ...

©Shivam Rajput

मोटिवेशनल कोट्स प्रेरणादायक मोटिवेशनल कोट्स मोटिवेशनल कविता इन हिंदी शायरी मोटिवेशनल मोटिवेशनल स्टेटस हिंदी

72 View

White बात नहीं कलयुग की है तुम सतयुग सा रह पाओगी वादा नहीं मांगा है तुमसे तुम सच ही सब कुछ बताओगी द्वापर में जैसे राधा ने कृष्णा को जैसे चाहा था प्रेम विरह के चलते भी रिश्ता अपना निभाया था मैं राम सा कर्तव्य निभाउंगा तुम सीता सा साथ रह पाओगी जब बात आएगी इज़्ज़त पर तेरी मैं सिर्फ तुझपर ही यकीन रख पाऊंगा कलयुग का एक लड़का हूं मैं कलयुग से हारा बैठा हूं लड़ जाउंगा मैं सबसे तुम्हारे लिए क्या तुम पार्वती सा प्रेम निभाओगी बात नहीं कलयुग की है तुम सतयुग सा रह पाओगी....... ©Abhishek Ranjan

#मोटिवेशनल #Sad_Status  White बात नहीं कलयुग की है
तुम सतयुग सा रह पाओगी
वादा नहीं मांगा है तुमसे
तुम सच ही सब कुछ बताओगी
द्वापर में जैसे राधा ने 
कृष्णा को जैसे चाहा था
प्रेम विरह के चलते भी
रिश्ता अपना निभाया था
मैं राम सा कर्तव्य निभाउंगा
तुम सीता सा साथ रह पाओगी
जब बात आएगी इज़्ज़त पर तेरी
मैं सिर्फ तुझपर ही यकीन रख पाऊंगा
कलयुग का एक लड़का हूं मैं
कलयुग से हारा बैठा हूं
लड़ जाउंगा मैं सबसे तुम्हारे लिए
क्या तुम पार्वती सा प्रेम निभाओगी
बात नहीं कलयुग की है
तुम सतयुग सा रह पाओगी.......

©Abhishek Ranjan

#Sad_Status प्रेरणादायक मोटिवेशनल कोट्स मोटिवेशनल स्टेटस हिंदी शायरी मोटिवेशनल

11 Love

अपना अब तक का जीवन मैंने आघातों में व्यतीत किया हैं उतने प्रकृति में रंग भी नहीं हैं जितने घाव मेरे मन पर है उतनी मेघों ने वर्षा नहीं की होगी जितने अश्रु मेरे नैनों ने झरे हैं उतने द्रवित करने वाले विचार कदाचित झेल भी ना पाए कोई जितनी विस्मित कर देने वाली स्मृतियां अपने हृदय में लिए मै घूमती रहती हु मुझे अब जीवन से कोई मोह नहीं बचा है बस तुम्हारे साथ की इच्छा जाने कैसे अजर अमर हो गई है हृदय में विश्वास शब्द मेरे लिए किसी बुरे स्वप्न जैसा ही है फिर भी साहस एकत्रित कर,मै तुम पर करना चाहती हु मुझे अपने हिस्से की धूप भी प्रिय रही है माँग कर लाई हुई छांव का मैं,परित्याग ही करुंगी मेरे लिए सम्मान का स्थान श्वास से भी शीर्ष हैं मेरी प्रार्थनाओं सा पवित्र प्रेम किया हैं मैने,तुम से तुम्हारे जीवन में कदाचित मेरा कोई स्थान न था न है न होगा कभी और मैं भी इतनी स्वाभिमानी हु कि,प्रेम की भिक्षा तो मांगने से रही अभिलाषा अवश्य थी,तुम से प्रेम पाने की शेष ही रहेगी,शायद संभव है मै कभी न कह सकीं,तुम से बीती बातें स्मरण हो तो लगता हैं उचित हीं किया,नहीं कहा जहां मेरे शब्दों का स्थान नहीं था मेरी भावनाओं को क्या ही मिलता जहां मेरी पीड़ा,मेरी वेदना,मेरी उपस्थिति, अनुपस्थिति सब एक जैसी निर्मूलय ही थी वहा भावनाएं व्यक्त कर के भी क्या ही हो जाता संभवतः जीवन इसे ही कहते है जहां हम,सभी इच्छाओं का परित्याग करना सीखते हैं अब तक तो मैने जीवन के विषय में इतना ही जाना है इंद्रधनुष जैसे तुम मेरे हिस्से में आ जाते,तो शायद रंग भी आ जाते अब हर इच्छा पर तथास्तु कह दिया जाए कहा संभव हैमेरे हृदय में तुम्हारा स्थान आशुतोष के बिल्कुल निकट हैं तुम्हारा सम्मान मेरे लिए मेरे सम्मान से भी शीर्ष पर है,सदैव रहेगा भी मैं,किन्तु अपने स्वाभिमान का परित्याग नहीं कर सकती अब तक भी,सभी लड़ाइयों के बाद मैने स्वाभिमान ही अर्जित किया है यह न रहा तो मैं भी नहीं रहूंगी मैं तुम्हारे समक्ष बड़ी निष्ठा से आजीवन नतमस्तक हो सकती हु मेरा प्रेम मुझे कोमल और शशक्त दोनों ही बनाता है तुम यद्यपि मेरी दृष्टि,मेरी इच्छा,मेरा मौन तुम से जुड़ने की निष्फल चेष्टाएं या तो देख नहीं पाए या फिर इनके लिए तुम्हारे हृदय में कोई स्थान कभी बना ही नहीं मुझे कोई खेद नहीं है प्रेम सदैव उन्मुक्त करता है तो मैं अपनी सभी अपेक्षाओं से मुक्त करती हु तुम्हे मेरा एकल प्रेम मेरे लिए पर्याप्त है आशुतोष से प्रार्थना हैं तुम्हे जीवन में वो सब कुछ प्राप्त हो जिसकी तुम्हे अभिलाषा है कदाचित तुम्हारा सुख देख कर,हृदय थोड़ी शांति अनुभव कर सके मैं,अत्यंत कठिन मनुष्यों की श्रेणी में आती होंगी शायद मुझ से प्रेम कर पाना असंभव ही है मान लिया हैं मैने अब न तो कोई लालसा बची है ना कोई इच्छा अब जीवन का एक मात्र ध्येय है,शांति,कदाचित चिर निद्रा में लीन हो प्राप्त हो सके कहा ना,अत्यंत कठिन मनुष्यों की श्रेणी में आती हु मैं तुम मेरे जीवन में आए,तुम से दो घड़ी के लिए जुड़ पाई मैं सदैव प्रकृति की आभारी रहूंगी तुम से मेरे जीवन का व्याकरण बदला मैने प्रेम किया,प्रेम चुना,प्रेम जिया मेरा एकल प्रेम, मृत्यपरांत भी मुझ में युगों युगों तक जीवित रहेगा तुम सदैव उदित होना आदित्य की तरह अपनी कीर्ति से दीप्तिमान करना समूचा विश्व,कदाचित मैं कोई बनफूल हु और कमलापति के वक्षस्थल पर तो सदैव वैजयंती के पुष्प शोभित होते हैं तो ये सौभाग्य इस जीवन में मेरा होने से रहा अपनी सभी आकांक्षाओ और मौन प्रेम के साथ शीघ्र ही तुम्हारे जीवन से विदा ले कर किसी लंबी यात्रा पर जाने का मन है,ऐसी यात्रा जहां श्वास के साथ सभी भावनाओं का भी अंत हो सके मनुष्य होने का इतना दंड,कदाचित प्रयाप्त ही हैं..... ©ashita pandey बेबाक़

#मोटिवेशनल #leafbook  अपना अब तक का जीवन मैंने  आघातों में व्यतीत किया हैं 
उतने प्रकृति में रंग भी नहीं हैं जितने घाव मेरे मन पर है
उतनी मेघों ने वर्षा नहीं की होगी जितने अश्रु मेरे नैनों ने झरे हैं 
उतने द्रवित करने वाले विचार कदाचित झेल भी ना पाए कोई
जितनी विस्मित कर देने वाली स्मृतियां अपने हृदय में लिए मै घूमती रहती हु मुझे अब जीवन से कोई मोह नहीं बचा है
बस तुम्हारे साथ की इच्छा जाने कैसे अजर अमर हो गई है हृदय में
विश्वास शब्द मेरे लिए किसी बुरे स्वप्न जैसा ही है
फिर भी साहस एकत्रित कर,मै तुम पर करना चाहती हु मुझे अपने हिस्से की धूप भी प्रिय रही है 
माँग कर लाई हुई छांव का मैं,परित्याग ही करुंगी मेरे लिए सम्मान का स्थान श्वास से भी शीर्ष हैं 
मेरी प्रार्थनाओं सा पवित्र प्रेम किया हैं  मैने,तुम से
तुम्हारे जीवन में कदाचित मेरा कोई स्थान न था न है न होगा कभी और मैं भी
इतनी स्वाभिमानी हु कि,प्रेम की भिक्षा तो मांगने से रही अभिलाषा अवश्य थी,तुम से प्रेम पाने की शेष ही रहेगी,शायद
संभव है मै कभी न कह सकीं,तुम से बीती बातें स्मरण हो तो लगता हैं 
उचित हीं किया,नहीं कहा जहां मेरे शब्दों का स्थान नहीं था मेरी भावनाओं को क्या ही मिलता
जहां मेरी पीड़ा,मेरी वेदना,मेरी उपस्थिति, अनुपस्थिति सब एक जैसी निर्मूलय ही थी
वहा भावनाएं व्यक्त कर के भी  क्या ही हो जाता संभवतः जीवन इसे ही कहते है
जहां हम,सभी इच्छाओं का परित्याग करना सीखते हैं अब तक तो मैने जीवन के विषय में इतना ही जाना है
इंद्रधनुष जैसे तुम मेरे हिस्से में आ जाते,तो शायद रंग भी आ जाते अब हर इच्छा पर तथास्तु कह दिया जाए
कहा संभव हैमेरे हृदय में तुम्हारा स्थान आशुतोष के बिल्कुल निकट हैं 
तुम्हारा सम्मान मेरे लिए मेरे सम्मान से भी शीर्ष पर है,सदैव रहेगा भी मैं,किन्तु अपने स्वाभिमान का परित्याग नहीं कर सकती
अब तक भी,सभी लड़ाइयों के बाद मैने स्वाभिमान ही अर्जित किया है यह न रहा तो मैं भी नहीं रहूंगी
मैं तुम्हारे समक्ष बड़ी निष्ठा से आजीवन नतमस्तक हो सकती हु मेरा प्रेम मुझे कोमल और शशक्त दोनों ही बनाता है
तुम यद्यपि मेरी दृष्टि,मेरी इच्छा,मेरा मौन तुम से जुड़ने की निष्फल चेष्टाएं या तो देख नहीं पाए
या फिर इनके लिए तुम्हारे हृदय में कोई स्थान कभी बना ही नहीं
मुझे कोई खेद नहीं है प्रेम सदैव उन्मुक्त करता है तो मैं अपनी सभी अपेक्षाओं से मुक्त करती हु तुम्हे
मेरा एकल प्रेम मेरे लिए पर्याप्त है आशुतोष से प्रार्थना हैं 
तुम्हे जीवन में वो सब कुछ प्राप्त हो जिसकी तुम्हे अभिलाषा है कदाचित तुम्हारा सुख देख कर,हृदय थोड़ी शांति अनुभव कर सके
मैं,अत्यंत कठिन मनुष्यों की श्रेणी में आती होंगी शायद मुझ से प्रेम कर पाना असंभव ही है मान लिया हैं मैने
अब न तो कोई लालसा बची है ना कोई इच्छा
अब जीवन का एक मात्र ध्येय है,शांति,कदाचित चिर निद्रा में लीन हो प्राप्त हो सके
कहा ना,अत्यंत कठिन मनुष्यों की श्रेणी में आती हु मैं
तुम मेरे जीवन में आए,तुम से दो घड़ी के लिए जुड़ पाई मैं सदैव प्रकृति की आभारी रहूंगी
तुम से मेरे जीवन का व्याकरण बदला मैने प्रेम किया,प्रेम चुना,प्रेम जिया 
मेरा एकल प्रेम, मृत्यपरांत भी मुझ में युगों युगों तक जीवित रहेगा तुम सदैव उदित होना 
आदित्य की तरह अपनी कीर्ति से दीप्तिमान करना समूचा विश्व,कदाचित मैं कोई बनफूल हु
और कमलापति के वक्षस्थल पर तो सदैव वैजयंती के पुष्प शोभित होते हैं 
तो ये सौभाग्य इस जीवन में मेरा होने से रहा अपनी सभी आकांक्षाओ और मौन प्रेम के साथ 
शीघ्र ही तुम्हारे जीवन से विदा ले कर किसी लंबी यात्रा पर जाने का मन है,ऐसी यात्रा जहां 
श्वास के साथ सभी भावनाओं का भी अंत हो सके मनुष्य होने का इतना दंड,कदाचित
प्रयाप्त ही हैं.....

©ashita pandey  बेबाक़

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