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सरसी/ कबीर/ समुदर छंद* विधान 27 मात्रा प्रति चरण, 16-11 पर यति, चार चरण, - दो- दो चरण समतुकांत, चरणान्त गुरु लघु अनिवार्य । यहाँ हौसलों की उड़ान को,करना होता श्रम। भाग्य भरोसे कुछ मिलता है, पालो ना ये भ्रम।। लोग यहाँ पर बस कहते हैं, करना तुम ना शर्म। मनुज उसको यहाँ कहते जो,केवल करते कर्म।। मानव बनकर ही रहना तुम,यही तुम्हारा धर्म। फूँक-फूँक कर ही पग धरना है,मानो धरती गर्म।। वैर किसी से क्यों करना है,जानो सबकी खैर। मृत्यु को ऐसा यहाँ मानो,करने निकले सैर।। ©Bharat Bhushan pathak

#छंदशः_रचनाएँ #छंदज्ञान #सरसी_छंद #प्रयत्न  सरसी/ कबीर/ समुदर छंद*

विधान 27 मात्रा प्रति चरण, 16-11 पर यति, चार चरण, - दो- दो चरण समतुकांत, चरणान्त गुरु लघु अनिवार्य ।
यहाँ हौसलों की उड़ान को,करना होता श्रम।
भाग्य भरोसे कुछ मिलता है, पालो ना ये भ्रम।।
लोग यहाँ पर बस कहते हैं, करना  तुम ना शर्म।
मनुज उसको यहाँ कहते जो,केवल करते कर्म।।
मानव बनकर ही रहना तुम,यही तुम्हारा धर्म।
फूँक-फूँक कर ही पग धरना है,मानो धरती गर्म।।
वैर किसी से क्यों करना है,जानो सबकी खैर।
मृत्यु को ऐसा यहाँ मानो,करने निकले सैर।।

©Bharat Bhushan pathak

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Unsplash नाथ अनाथ सनाथहि हो जब माता पिता अरु संगन भ्राता। क्लेश नहीं जब द्वेष नहीं तब दृश्य अतीव मनोरम छाता।। ©Bharat Bhushan pathak

#प्रयत्न_करते_रहो #छंदज्ञान #प्रयत्न #छंद  Unsplash नाथ अनाथ सनाथहि हो जब माता पिता अरु संगन भ्राता।
क्लेश नहीं जब द्वेष नहीं तब दृश्य अतीव मनोरम छाता।।

©Bharat Bhushan pathak

#छंद #छंदज्ञान #प्रयत्न#प्रयत्न_करते_रहो hindi poetry on life poetry hindi poetry poetry lovers#मत्तगयंदसवैयाछंदप्रयास

9 Love

#Motivational

सामजिक सुधारणा व्हावी यासाठी प्रयत्न केला आहे तरी आपण आपल्या परीवार नातेवाईक आणि समाज यांच्या सोबतीने प्रशासन अधिकारी यांच्या लक्षात आणू

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सरसी/ कबीर/ समुदर छंद* विधान 27 मात्रा प्रति चरण, 16-11 पर यति, चार चरण, - दो- दो चरण समतुकांत, चरणान्त गुरु लघु अनिवार्य । यहाँ हौसलों की उड़ान को,करना होता श्रम। भाग्य भरोसे कुछ मिलता है, पालो ना ये भ्रम।। लोग यहाँ पर बस कहते हैं, करना तुम ना शर्म। मनुज उसको यहाँ कहते जो,केवल करते कर्म।। मानव बनकर ही रहना तुम,यही तुम्हारा धर्म। फूँक-फूँक कर ही पग धरना है,मानो धरती गर्म।। वैर किसी से क्यों करना है,जानो सबकी खैर। मृत्यु को ऐसा यहाँ मानो,करने निकले सैर।। ©Bharat Bhushan pathak

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विधान 27 मात्रा प्रति चरण, 16-11 पर यति, चार चरण, - दो- दो चरण समतुकांत, चरणान्त गुरु लघु अनिवार्य ।
यहाँ हौसलों की उड़ान को,करना होता श्रम।
भाग्य भरोसे कुछ मिलता है, पालो ना ये भ्रम।।
लोग यहाँ पर बस कहते हैं, करना  तुम ना शर्म।
मनुज उसको यहाँ कहते जो,केवल करते कर्म।।
मानव बनकर ही रहना तुम,यही तुम्हारा धर्म।
फूँक-फूँक कर ही पग धरना है,मानो धरती गर्म।।
वैर किसी से क्यों करना है,जानो सबकी खैर।
मृत्यु को ऐसा यहाँ मानो,करने निकले सैर।।

©Bharat Bhushan pathak

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Unsplash नाथ अनाथ सनाथहि हो जब माता पिता अरु संगन भ्राता। क्लेश नहीं जब द्वेष नहीं तब दृश्य अतीव मनोरम छाता।। ©Bharat Bhushan pathak

#प्रयत्न_करते_रहो #छंदज्ञान #प्रयत्न #छंद  Unsplash नाथ अनाथ सनाथहि हो जब माता पिता अरु संगन भ्राता।
क्लेश नहीं जब द्वेष नहीं तब दृश्य अतीव मनोरम छाता।।

©Bharat Bhushan pathak

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सामजिक सुधारणा व्हावी यासाठी प्रयत्न केला आहे तरी आपण आपल्या परीवार नातेवाईक आणि समाज यांच्या सोबतीने प्रशासन अधिकारी यांच्या लक्षात आणू

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