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New ओ दीवानी ग़ज़ल Status, Photo, Video

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हमने ख़ुद को ज़िंदा जलते देखा है रोशन दिन आँखों में ढलते देखा है सांस-सांस पीर कसमसाती रहती मुर्दा सपने पांवपांव चलते देखा है उगते सूरज के जलवे देखे हर दिन उदास शाम को भी उतरते देखा है ख़्वाहिशें, सारे ही रंग उतार देती है उम्रदराज़ को भी, मचलते देखा है दरवाजे पर नहीं कोई दस्तक हुई हर सुब्ह उन्हें वैसे गुज़रते देखा है दिन बुरे हों, तो ये दरिया भी सूखे बुलंदियों को भी, बिखरते देखा है ©Lalit Saxena

#शायरी  हमने ख़ुद को ज़िंदा जलते देखा है 
रोशन दिन आँखों में ढलते देखा है 

सांस-सांस पीर कसमसाती रहती 
मुर्दा सपने पांवपांव चलते देखा है 

उगते सूरज के जलवे देखे हर दिन
उदास शाम को भी उतरते देखा है 

ख़्वाहिशें, सारे ही रंग उतार देती है
उम्रदराज़ को भी, मचलते देखा है 

दरवाजे पर नहीं कोई  दस्तक हुई
हर सुब्ह उन्हें वैसे गुज़रते देखा है 

दिन बुरे हों, तो ये दरिया भी सूखे
बुलंदियों को भी, बिखरते देखा है

©Lalit Saxena

ग़ज़ल

19 Love

White ओ पहली मुलाकात..... दिल मे दबी हुई वो हसी लगती है हमे आँखो मे अभी भी वैसी ही फसी सब कुछ लुटा दिया है हमने तुम पर मगर दिल धडकते ही आ जाते है होशपर आप को देखा तो ऐसा लगा की उडणे लगे है हवा में वैसे तो चाॅंद तारे शामिल है हमारे मिलन के गॅंवा में कुछ तो खास थी आप में वो बात याद आती है हमें ओ पहली मुलाकात ओ पहली मुलाकात. ©Mayuri Bhosale

#कविता #ओ  White ओ पहली मुलाकात.....

दिल मे दबी हुई वो हसी 
लगती है हमे आँखो मे अभी भी वैसी ही फसी
सब कुछ लुटा दिया है हमने तुम पर 
मगर दिल धडकते ही आ जाते है होशपर 
आप को देखा तो ऐसा लगा की उडणे लगे है हवा में 
वैसे तो चाॅंद तारे शामिल है हमारे मिलन के गॅंवा में
कुछ तो खास थी आप में वो बात 
याद आती है हमें ओ पहली मुलाकात ओ पहली मुलाकात.

©Mayuri Bhosale

#ओ पहली मुलाकात

11 Love

Unsplash सहेली..... में जो भी लिखता हूं वह कहानी बन जाती है.. सहेली को हम समझे या ना समझे.. पर वह हमारी दीवानी बन जाती है.. हमारा उनसे मिलना और बिछड़ जाना.. उसके लिए पहेलियां बन जाती है.. लाला.... ©Mahesh Patel

 Unsplash सहेली.....
 में जो भी लिखता हूं वह कहानी बन जाती है..
सहेली को हम समझे या ना समझे..
पर वह हमारी दीवानी बन जाती है..
हमारा उनसे मिलना और बिछड़ जाना..
उसके लिए पहेलियां बन जाती है..
लाला....

©Mahesh Patel

सहेली... दीवानी... लाला...

17 Love

#good_night #Quotes  White 
जीना हैं अकेले फिर भी लोगों के पीछे दुख के मेले हैं 
किसी के साथ होते हुए भी ना जाने क्यों हम अब भी अकेले हैं 
जलते हैं अकेले ही यादों के दरिया में भी बुझती नहीं वो आग  
तफ़्दिशे जलन भी झेले हैं
किसी के साथ होते हुए भी ना जाने क्यों मगर और भी अकेले हैं

नसीब का लिखा वो ही जाने तक़दीर का दिया हुआ
 दर्द_ए _नसीब हम ने भी झेले है 
अब इस के बाद न जाने नसीब में क्या है
 ना आओ साथ हमारे जिंदगी में हमारे बहुत झमेले हैं

ना याद आते अब वो लम्हे ना याद आते हो तुम कभी
 इस कदर मेरे सफ़र में ओ मुसाफ़िर 
कि अब  तन्हाई इस कदर मेरी यादों में घुल गई कि 
ना अब कोई मिलता ना अब कभी बिछड़ता 
शायद अब हम अपने आप से भी नहीं मिलते कि 
अब हम अपने ध्यान से उतरे हुए से आसुओं के रेले हैं

के ना अब कभी कहना मुझसे कि साथ चलने को 
तुम्हारे हम अपना सब कुछ छोड़ चलते हैं 
अब ना  मिलेंगे हम ना वो हमारी मोहब्बत 
मिलेंगे तो सिर्फ हम और हमारी तन्हाई जिसको दिया तुमने 
और हमने वो जख्म सदियों से झेले है 

फिर ये खेल ना खेलो हमारे साथ समझ जरा ज़ख्मी हु 
और टूटे हुए इस कदर की फ़िर ना जुड़ सकू दोबारा 

जो खेल लोगों ने सदियों से खेले हैं मत आजमा ए ज़ालिम
 कि आवाज़ तक नहीं आएगी मेरे दर्द कि हम 
अब अकेले बहुत अकेले हैं

©Sonuzwrites

#good_night ग़ज़ल ✍️

171 View

#शायरी

ओ कान्हा!

180 View

हमने ख़ुद को ज़िंदा जलते देखा है रोशन दिन आँखों में ढलते देखा है सांस-सांस पीर कसमसाती रहती मुर्दा सपने पांवपांव चलते देखा है उगते सूरज के जलवे देखे हर दिन उदास शाम को भी उतरते देखा है ख़्वाहिशें, सारे ही रंग उतार देती है उम्रदराज़ को भी, मचलते देखा है दरवाजे पर नहीं कोई दस्तक हुई हर सुब्ह उन्हें वैसे गुज़रते देखा है दिन बुरे हों, तो ये दरिया भी सूखे बुलंदियों को भी, बिखरते देखा है ©Lalit Saxena

#शायरी  हमने ख़ुद को ज़िंदा जलते देखा है 
रोशन दिन आँखों में ढलते देखा है 

सांस-सांस पीर कसमसाती रहती 
मुर्दा सपने पांवपांव चलते देखा है 

उगते सूरज के जलवे देखे हर दिन
उदास शाम को भी उतरते देखा है 

ख़्वाहिशें, सारे ही रंग उतार देती है
उम्रदराज़ को भी, मचलते देखा है 

दरवाजे पर नहीं कोई  दस्तक हुई
हर सुब्ह उन्हें वैसे गुज़रते देखा है 

दिन बुरे हों, तो ये दरिया भी सूखे
बुलंदियों को भी, बिखरते देखा है

©Lalit Saxena

ग़ज़ल

19 Love

White ओ पहली मुलाकात..... दिल मे दबी हुई वो हसी लगती है हमे आँखो मे अभी भी वैसी ही फसी सब कुछ लुटा दिया है हमने तुम पर मगर दिल धडकते ही आ जाते है होशपर आप को देखा तो ऐसा लगा की उडणे लगे है हवा में वैसे तो चाॅंद तारे शामिल है हमारे मिलन के गॅंवा में कुछ तो खास थी आप में वो बात याद आती है हमें ओ पहली मुलाकात ओ पहली मुलाकात. ©Mayuri Bhosale

#कविता #ओ  White ओ पहली मुलाकात.....

दिल मे दबी हुई वो हसी 
लगती है हमे आँखो मे अभी भी वैसी ही फसी
सब कुछ लुटा दिया है हमने तुम पर 
मगर दिल धडकते ही आ जाते है होशपर 
आप को देखा तो ऐसा लगा की उडणे लगे है हवा में 
वैसे तो चाॅंद तारे शामिल है हमारे मिलन के गॅंवा में
कुछ तो खास थी आप में वो बात 
याद आती है हमें ओ पहली मुलाकात ओ पहली मुलाकात.

©Mayuri Bhosale

#ओ पहली मुलाकात

11 Love

Unsplash सहेली..... में जो भी लिखता हूं वह कहानी बन जाती है.. सहेली को हम समझे या ना समझे.. पर वह हमारी दीवानी बन जाती है.. हमारा उनसे मिलना और बिछड़ जाना.. उसके लिए पहेलियां बन जाती है.. लाला.... ©Mahesh Patel

 Unsplash सहेली.....
 में जो भी लिखता हूं वह कहानी बन जाती है..
सहेली को हम समझे या ना समझे..
पर वह हमारी दीवानी बन जाती है..
हमारा उनसे मिलना और बिछड़ जाना..
उसके लिए पहेलियां बन जाती है..
लाला....

©Mahesh Patel

सहेली... दीवानी... लाला...

17 Love

#good_night #Quotes  White 
जीना हैं अकेले फिर भी लोगों के पीछे दुख के मेले हैं 
किसी के साथ होते हुए भी ना जाने क्यों हम अब भी अकेले हैं 
जलते हैं अकेले ही यादों के दरिया में भी बुझती नहीं वो आग  
तफ़्दिशे जलन भी झेले हैं
किसी के साथ होते हुए भी ना जाने क्यों मगर और भी अकेले हैं

नसीब का लिखा वो ही जाने तक़दीर का दिया हुआ
 दर्द_ए _नसीब हम ने भी झेले है 
अब इस के बाद न जाने नसीब में क्या है
 ना आओ साथ हमारे जिंदगी में हमारे बहुत झमेले हैं

ना याद आते अब वो लम्हे ना याद आते हो तुम कभी
 इस कदर मेरे सफ़र में ओ मुसाफ़िर 
कि अब  तन्हाई इस कदर मेरी यादों में घुल गई कि 
ना अब कोई मिलता ना अब कभी बिछड़ता 
शायद अब हम अपने आप से भी नहीं मिलते कि 
अब हम अपने ध्यान से उतरे हुए से आसुओं के रेले हैं

के ना अब कभी कहना मुझसे कि साथ चलने को 
तुम्हारे हम अपना सब कुछ छोड़ चलते हैं 
अब ना  मिलेंगे हम ना वो हमारी मोहब्बत 
मिलेंगे तो सिर्फ हम और हमारी तन्हाई जिसको दिया तुमने 
और हमने वो जख्म सदियों से झेले है 

फिर ये खेल ना खेलो हमारे साथ समझ जरा ज़ख्मी हु 
और टूटे हुए इस कदर की फ़िर ना जुड़ सकू दोबारा 

जो खेल लोगों ने सदियों से खेले हैं मत आजमा ए ज़ालिम
 कि आवाज़ तक नहीं आएगी मेरे दर्द कि हम 
अब अकेले बहुत अकेले हैं

©Sonuzwrites

#good_night ग़ज़ल ✍️

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#शायरी

ओ कान्हा!

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