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New poem on road safety in hindi Status, Photo, Video

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in hindi on success

108 View

#Teachersday  कच्चे माटी से मन को जिसने,
एक सकल साॅंचे में ढाला है।
चंचल बालक के मन को तुम्हीं ने,
अज्ञान स्याह से निकाला है।
जीवन में हमारे नि:संदेह यही तो,
एक उम्मीद का दीप जलाते है।
यक़ीनन,..ये शिक्षक कहां भुलाए जाते है?

©Ritika Vijay Shrivastava

#Teachersday in hindi love in hindi poetry in hindi hindi poetry love poetry in hindi hindi poetry on life

108 View

अब ध्वस्त हर उन्माद चाहिए.. ये बर्बरताएं, बर्बाद चाहिए.. न्याय नीति का निनाद चाहिए- हे कृष्ण, फिर शंखनाद चाहिए। दुशासनों की हो रही जयकार, उजालों में भी पसरा अंधकार, झूठी खबरों का होता प्रचार, अब,महाभारत की याद चाहिए- हे कृष्ण, फिर शंखनाद चाहिए। पाप, पापी हो रहे खूंखार, दुर्जनों, खोटो से ढका संसार, दृष्टिवान अंधो का हुआ विस्तार, सुदर्शन चक्र का आघात चाहिए- हे कृष्ण, फिर शंखनाद चाहिए। विधर्मियों से भर गया बाजार, मानकों का बचा ना आधार, त्रस्त पीड़ित जन मन करें पुकार, ये बर्बरताएं बर्बाद चाहिए- हे कृष्ण, फिर शंखनाद चाहिए। डॉ आनंद दाधीच 'दधीचि' 🇮🇳 ©Anand Dadhich

#kaviananddadhich #poetananddadhich #कविता #poetsofindia #safety  अब ध्वस्त हर उन्माद चाहिए.. 
ये बर्बरताएं, बर्बाद चाहिए.. 
न्याय नीति का निनाद चाहिए-
हे कृष्ण, फिर शंखनाद चाहिए।
     दुशासनों की हो रही जयकार,
     उजालों में भी पसरा अंधकार,
     झूठी खबरों का होता प्रचार,
     अब,महाभारत की याद चाहिए-
     हे कृष्ण, फिर शंखनाद चाहिए।
पाप, पापी हो रहे खूंखार,
दुर्जनों, खोटो से ढका संसार,
दृष्टिवान अंधो का हुआ विस्तार,
सुदर्शन चक्र का आघात चाहिए-
हे कृष्ण, फिर शंखनाद चाहिए।
     विधर्मियों से भर गया बाजार,
     मानकों का बचा ना आधार,
     त्रस्त पीड़ित जन मन करें पुकार,
      ये बर्बरताएं बर्बाद चाहिए-
     हे कृष्ण, फिर शंखनाद चाहिए।

डॉ आनंद दाधीच 'दधीचि' 🇮🇳

©Anand Dadhich
#poem  White बहुत हौसलों से 
तेरी राहों पर चला ज़िन्दगी 
पर अब कदम 
जवाब दे रहे हैं,
हो सके तो कुछ 
सुकून के पल दे दे 
नहीं तो तुझसे सीखे सबक 
मुझमे धुआँ हो रहे हैं...

©मेरे ख़यालात.. (Jai Pathak)

#poem hindi poetry on life

135 View

#Road  मांझी तेरी कस्ती के तलबदार बहुत है ,
इस शहर में कुछ , मग़र शहर के उसपार बहुत है ।
जिस शहर में खोली है तूने सीसें की दुकान ,
अक्सर व‌हां पत्थर के खरीददार बहुत है।।

©Banna govardhan

#Road Entrance examination love shayari hindi shayari on life shayari in hindi hindi shayari @Rakesh Srivastava @R...Ojha @chetan parihar K

126 View

#HeartfeltMessage #India #poem  हमनवा की यादों मे रोए बैठे हैं।
रहनुमा की पलको पर खोए बैठे हैं।
हम तो आशिक हैं सदियों पुराने,
सागर की गहराई में हीरे संजोए बैठे हैं।

#HeartfeltMessage #India #poem #Shayari poetry on love love poetry in hindi hindi poetry on life

81 View

#Videos

in hindi on success

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एक सकल साॅंचे में ढाला है।
चंचल बालक के मन को तुम्हीं ने,
अज्ञान स्याह से निकाला है।
जीवन में हमारे नि:संदेह यही तो,
एक उम्मीद का दीप जलाते है।
यक़ीनन,..ये शिक्षक कहां भुलाए जाते है?

©Ritika Vijay Shrivastava

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अब ध्वस्त हर उन्माद चाहिए.. ये बर्बरताएं, बर्बाद चाहिए.. न्याय नीति का निनाद चाहिए- हे कृष्ण, फिर शंखनाद चाहिए। दुशासनों की हो रही जयकार, उजालों में भी पसरा अंधकार, झूठी खबरों का होता प्रचार, अब,महाभारत की याद चाहिए- हे कृष्ण, फिर शंखनाद चाहिए। पाप, पापी हो रहे खूंखार, दुर्जनों, खोटो से ढका संसार, दृष्टिवान अंधो का हुआ विस्तार, सुदर्शन चक्र का आघात चाहिए- हे कृष्ण, फिर शंखनाद चाहिए। विधर्मियों से भर गया बाजार, मानकों का बचा ना आधार, त्रस्त पीड़ित जन मन करें पुकार, ये बर्बरताएं बर्बाद चाहिए- हे कृष्ण, फिर शंखनाद चाहिए। डॉ आनंद दाधीच 'दधीचि' 🇮🇳 ©Anand Dadhich

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न्याय नीति का निनाद चाहिए-
हे कृष्ण, फिर शंखनाद चाहिए।
     दुशासनों की हो रही जयकार,
     उजालों में भी पसरा अंधकार,
     झूठी खबरों का होता प्रचार,
     अब,महाभारत की याद चाहिए-
     हे कृष्ण, फिर शंखनाद चाहिए।
पाप, पापी हो रहे खूंखार,
दुर्जनों, खोटो से ढका संसार,
दृष्टिवान अंधो का हुआ विस्तार,
सुदर्शन चक्र का आघात चाहिए-
हे कृष्ण, फिर शंखनाद चाहिए।
     विधर्मियों से भर गया बाजार,
     मानकों का बचा ना आधार,
     त्रस्त पीड़ित जन मन करें पुकार,
      ये बर्बरताएं बर्बाद चाहिए-
     हे कृष्ण, फिर शंखनाद चाहिए।

डॉ आनंद दाधीच 'दधीचि' 🇮🇳

©Anand Dadhich
#poem  White बहुत हौसलों से 
तेरी राहों पर चला ज़िन्दगी 
पर अब कदम 
जवाब दे रहे हैं,
हो सके तो कुछ 
सुकून के पल दे दे 
नहीं तो तुझसे सीखे सबक 
मुझमे धुआँ हो रहे हैं...

©मेरे ख़यालात.. (Jai Pathak)

#poem hindi poetry on life

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#Road  मांझी तेरी कस्ती के तलबदार बहुत है ,
इस शहर में कुछ , मग़र शहर के उसपार बहुत है ।
जिस शहर में खोली है तूने सीसें की दुकान ,
अक्सर व‌हां पत्थर के खरीददार बहुत है।।

©Banna govardhan

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#HeartfeltMessage #India #poem  हमनवा की यादों मे रोए बैठे हैं।
रहनुमा की पलको पर खोए बैठे हैं।
हम तो आशिक हैं सदियों पुराने,
सागर की गहराई में हीरे संजोए बैठे हैं।

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