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आज के युवा

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पल्लव की डायरी योजनाओं की धुंध से ओझल जनमानस उनकी नीतियां जीवन कपकपाती है सर्द और सुन्न हो गये मन मस्तिष्क ओले राशन पानी पर गिराकर महंगाई का कहर रसोई पर बरसाती है मानक सफ़लता के सरकारों के पास है गफलत में हम, दम तोड़े जाते है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव"

#कविता #sadak  पल्लव की डायरी
योजनाओं की धुंध से ओझल जनमानस
उनकी नीतियां जीवन कपकपाती है
सर्द और सुन्न हो गये मन मस्तिष्क
ओले राशन पानी पर गिराकर
महंगाई का कहर रसोई पर बरसाती है
मानक सफ़लता के सरकारों के पास है
गफलत में हम, दम तोड़े जाते है
                                            प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

#sadak मानक सफलता के सरकारों के पास है

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White चाहे वह हम उम्र हो या फिर छोटे या बड़े बच्चे मोहल्ले में सभी एक समान थे,सब के साथ bhaeeyapa था... बात करूंगी पिकनिक की हमारी पिकनिक ,😁 दिवाली के बाद की पिकनिक ,💞अब ये दिवाली के बाद पिकनिक क्यों,??😁 क्योंकि हमें कुछ मिट्टी के बर्तन मिल जाते थे और हम उसमें बड़े चाव से अपनी छोटी सी पिकनिक मनाते, न न,कोई ताम झाम नहीं बस कोई दाल ले आया और कोई चावल कोई अपने घर से दो आलू चुरा के ले आता और हम अधिनिर्णीत बने मकान में लकड़ी और ईंटों का जुगाड़ कर एक चूल्हा बना देते और इसी चूल्हे में अधपके चावल, दाल और आलू का चोखा खाकर हम बड़े खुश हो जाते पास पड़े पत्ते ही हमारा थाल बनते♥️ वो बचपन... उफ्फ🥺 ©divya Sharma

#संस्मरण  White  चाहे वह हम उम्र हो या फिर छोटे या बड़े बच्चे मोहल्ले में सभी एक समान थे,सब के साथ bhaeeyapa था... बात करूंगी पिकनिक की हमारी पिकनिक ,😁 दिवाली के बाद की पिकनिक ,💞अब ये दिवाली के बाद पिकनिक क्यों,??😁 क्योंकि हमें कुछ मिट्टी के बर्तन मिल जाते थे और हम उसमें बड़े चाव से अपनी छोटी सी पिकनिक मनाते,
न न,कोई ताम  झाम  नहीं  
बस कोई दाल ले आया और कोई चावल कोई अपने घर से दो आलू चुरा के ले  आता 
और हम अधिनिर्णीत बने मकान में लकड़ी और ईंटों का जुगाड़ कर एक चूल्हा बना देते और इसी  चूल्हे में अधपके चावल, दाल और आलू का चोखा खाकर हम बड़े खुश हो जाते
पास पड़े पत्ते ही हमारा  थाल बनते♥️
वो बचपन...
उफ्फ🥺

©divya Sharma

White शैतान की दासतान वे कहते है। जब आप आश की एक छोटी - सी उमीद निराशा में बदल जाती है। तब काली दुनिया से कोई हमारे लिए आएसान करने के लिए तैयार रहता है। फिर वों कहते है। ना हर आएसान की कोई न कोई कीमीत होती है। ©ARBAJ Khan

#लव  White शैतान की दासतान
वे कहते है। जब आप आश की एक छोटी - सी  उमीद निराशा में बदल जाती है। तब काली दुनिया से कोई हमारे लिए आएसान करने के लिए तैयार रहता है।
फिर वों कहते है। ना हर आएसान की कोई न कोई कीमीत होती है।

©ARBAJ Khan

काली दुनिया के शैतान के खोफ

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आज के युवा

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पल्लव की डायरी योजनाओं की धुंध से ओझल जनमानस उनकी नीतियां जीवन कपकपाती है सर्द और सुन्न हो गये मन मस्तिष्क ओले राशन पानी पर गिराकर महंगाई का कहर रसोई पर बरसाती है मानक सफ़लता के सरकारों के पास है गफलत में हम, दम तोड़े जाते है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव"

#कविता #sadak  पल्लव की डायरी
योजनाओं की धुंध से ओझल जनमानस
उनकी नीतियां जीवन कपकपाती है
सर्द और सुन्न हो गये मन मस्तिष्क
ओले राशन पानी पर गिराकर
महंगाई का कहर रसोई पर बरसाती है
मानक सफ़लता के सरकारों के पास है
गफलत में हम, दम तोड़े जाते है
                                            प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

#sadak मानक सफलता के सरकारों के पास है

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White चाहे वह हम उम्र हो या फिर छोटे या बड़े बच्चे मोहल्ले में सभी एक समान थे,सब के साथ bhaeeyapa था... बात करूंगी पिकनिक की हमारी पिकनिक ,😁 दिवाली के बाद की पिकनिक ,💞अब ये दिवाली के बाद पिकनिक क्यों,??😁 क्योंकि हमें कुछ मिट्टी के बर्तन मिल जाते थे और हम उसमें बड़े चाव से अपनी छोटी सी पिकनिक मनाते, न न,कोई ताम झाम नहीं बस कोई दाल ले आया और कोई चावल कोई अपने घर से दो आलू चुरा के ले आता और हम अधिनिर्णीत बने मकान में लकड़ी और ईंटों का जुगाड़ कर एक चूल्हा बना देते और इसी चूल्हे में अधपके चावल, दाल और आलू का चोखा खाकर हम बड़े खुश हो जाते पास पड़े पत्ते ही हमारा थाल बनते♥️ वो बचपन... उफ्फ🥺 ©divya Sharma

#संस्मरण  White  चाहे वह हम उम्र हो या फिर छोटे या बड़े बच्चे मोहल्ले में सभी एक समान थे,सब के साथ bhaeeyapa था... बात करूंगी पिकनिक की हमारी पिकनिक ,😁 दिवाली के बाद की पिकनिक ,💞अब ये दिवाली के बाद पिकनिक क्यों,??😁 क्योंकि हमें कुछ मिट्टी के बर्तन मिल जाते थे और हम उसमें बड़े चाव से अपनी छोटी सी पिकनिक मनाते,
न न,कोई ताम  झाम  नहीं  
बस कोई दाल ले आया और कोई चावल कोई अपने घर से दो आलू चुरा के ले  आता 
और हम अधिनिर्णीत बने मकान में लकड़ी और ईंटों का जुगाड़ कर एक चूल्हा बना देते और इसी  चूल्हे में अधपके चावल, दाल और आलू का चोखा खाकर हम बड़े खुश हो जाते
पास पड़े पत्ते ही हमारा  थाल बनते♥️
वो बचपन...
उफ्फ🥺

©divya Sharma

White शैतान की दासतान वे कहते है। जब आप आश की एक छोटी - सी उमीद निराशा में बदल जाती है। तब काली दुनिया से कोई हमारे लिए आएसान करने के लिए तैयार रहता है। फिर वों कहते है। ना हर आएसान की कोई न कोई कीमीत होती है। ©ARBAJ Khan

#लव  White शैतान की दासतान
वे कहते है। जब आप आश की एक छोटी - सी  उमीद निराशा में बदल जाती है। तब काली दुनिया से कोई हमारे लिए आएसान करने के लिए तैयार रहता है।
फिर वों कहते है। ना हर आएसान की कोई न कोई कीमीत होती है।

©ARBAJ Khan

काली दुनिया के शैतान के खोफ

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