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साल की आखिरी बारिश के साथ ये साल भी चला गया ©सूरज

#बारिश #कोट्स  साल की आखिरी बारिश के साथ ये साल भी चला गया

©सूरज

#बारिश के साथ साल भी चला गया।

12 Love

#शायरी #तेरी #चला #गया #तू

#तू #चला #गया #पर #तेरी खुशबू छोड़ गया

1,206 View

फूलों में वफ़ा कहां

171 View

अपनी पहचान को मिटाना नहीं, दरिया बन, समंदर में समाना नहीं। फासलों में भी गहराई होती है, नज़दीकी अक्सर तबाही लाती है। किसी के कद से खुद को छोटा न कर, अपनी मिट्टी से जुड़ रिश्ता तोड़ा न कर। जो उड़ गए ऊँचाईयों की ओर, उनके कदमों तले रह गई ज़मीन की डोर। हर दरिया को समंदर की चाह नहीं होती, हर मोती के लिए साज़िश राह नहीं होती। ख़ुदी को बुलंद कर, गिरना मुमकिन है, याद रख, उड़ान में भी गिरावट का दिन है। जो दूर रहकर पास की बात करते हैं, वो अपने मुकाम की बुनियाद रखते हैं। ©नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर #शायरी  अपनी पहचान को मिटाना नहीं,
दरिया बन, समंदर में समाना नहीं।

फासलों में भी गहराई होती है,
नज़दीकी अक्सर तबाही लाती है।

किसी के कद से खुद को छोटा न कर,
अपनी मिट्टी से जुड़ रिश्ता तोड़ा न कर।

जो उड़ गए ऊँचाईयों की ओर,
उनके कदमों तले रह गई ज़मीन की डोर।

हर दरिया को समंदर की चाह नहीं होती,
हर मोती के लिए साज़िश राह नहीं होती।

ख़ुदी को बुलंद कर, गिरना मुमकिन है,
याद रख, उड़ान में भी गिरावट का दिन है।

जो दूर रहकर पास की बात करते हैं,
वो अपने मुकाम की बुनियाद रखते हैं।

©नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर अपने अंदर समंदर सा सुकून रख, ऊपर से शांत, अंदर जुनून रख। जो भीड़ के साथ चला, खो गया, जो अलग रहा, खुदा जैसा हो गया।

10 Love

साल की आखिरी बारिश के साथ ये साल भी चला गया ©सूरज

#बारिश #कोट्स  साल की आखिरी बारिश के साथ ये साल भी चला गया

©सूरज

#बारिश के साथ साल भी चला गया।

12 Love

#शायरी #तेरी #चला #गया #तू

#तू #चला #गया #पर #तेरी खुशबू छोड़ गया

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फूलों में वफ़ा कहां

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अपनी पहचान को मिटाना नहीं, दरिया बन, समंदर में समाना नहीं। फासलों में भी गहराई होती है, नज़दीकी अक्सर तबाही लाती है। किसी के कद से खुद को छोटा न कर, अपनी मिट्टी से जुड़ रिश्ता तोड़ा न कर। जो उड़ गए ऊँचाईयों की ओर, उनके कदमों तले रह गई ज़मीन की डोर। हर दरिया को समंदर की चाह नहीं होती, हर मोती के लिए साज़िश राह नहीं होती। ख़ुदी को बुलंद कर, गिरना मुमकिन है, याद रख, उड़ान में भी गिरावट का दिन है। जो दूर रहकर पास की बात करते हैं, वो अपने मुकाम की बुनियाद रखते हैं। ©नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर #शायरी  अपनी पहचान को मिटाना नहीं,
दरिया बन, समंदर में समाना नहीं।

फासलों में भी गहराई होती है,
नज़दीकी अक्सर तबाही लाती है।

किसी के कद से खुद को छोटा न कर,
अपनी मिट्टी से जुड़ रिश्ता तोड़ा न कर।

जो उड़ गए ऊँचाईयों की ओर,
उनके कदमों तले रह गई ज़मीन की डोर।

हर दरिया को समंदर की चाह नहीं होती,
हर मोती के लिए साज़िश राह नहीं होती।

ख़ुदी को बुलंद कर, गिरना मुमकिन है,
याद रख, उड़ान में भी गिरावट का दिन है।

जो दूर रहकर पास की बात करते हैं,
वो अपने मुकाम की बुनियाद रखते हैं।

©नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर अपने अंदर समंदर सा सुकून रख, ऊपर से शांत, अंदर जुनून रख। जो भीड़ के साथ चला, खो गया, जो अलग रहा, खुदा जैसा हो गया।

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