विद्वानो की किताबें
विद्वानों की किताबों में है ज्ञान का खज़ाना,
हर पन्ने पर बसा है अनमोल अफसाना।
बुद्धि का प्रकाश वहां चुपचाप सजा है,
पर पढ़ने को अब आँखों का सहारा छूटा है।
हर शब्द में गूंजती है अनुभव की गहराई,
पर नज़र की थकान ने कर दी दूरी बड़ी लंबाई।
कभी जो पन्नों से बातें होती थीं रोज़,
अब वो हसरतें रह गईं अधूरी सी खोज।
उन किताबों में छुपे रत्न तक पहुंचने की चाह,
पर आँखें अब थकन में कर देतीं आह।
दिल चाहता है फिर से वो पन्ने पलटें,
पर आंखों की रौशनी ही अब साथ नहीं चलती।
ज्ञान का खज़ाना अब भी वहीं रखा है,
पर आंखों की ये शिकायत हमें रोकती है।
शायद शब्दों का प्रकाश कहीं और से आएगा,
और फिर से मन के भीतर का ज्ञान जाग जाएगा।
©Writer Mamta Ambedkar
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