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New gazal o pardesi return home Status, Photo, Video

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ये मकान भले आलिशान लगता है तिरे बगैर तो घर शमसान लगता है ये फ़िजा भी आनी जानी ही तो है अबके मौसम भी बेईमान लगता है दफ़न हैं माँ बाप के अरमान जिसमें आज तक मनहूस वो मकान लगता है कुछ गैरों की ख़ुशी से जल गया दिल कुछ अपने गमों से परेशान लगता है सीना ठोंक कर कहते क्यूँ नहीं तुम सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तान लगता है ©Adv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात)

#शायरी #Home  ये मकान भले आलिशान लगता है 
तिरे बगैर तो घर शमसान लगता है 

ये फ़िजा भी आनी जानी ही तो है 
अबके मौसम भी बेईमान लगता है 

दफ़न हैं माँ बाप के अरमान जिसमें 
आज तक मनहूस वो मकान लगता है 

कुछ गैरों की ख़ुशी से जल गया दिल 
कुछ अपने गमों से परेशान लगता है 

सीना ठोंक कर कहते क्यूँ नहीं तुम 
सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तान लगता है

©Adv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात)

#Home

13 Love

White 221 212 2 221 2122 थी आरज़ू कभी कू -ए- यार के निदा की इस शहर जादे के सर-खुश यार के मक़ा की अब जो है वो नहीं अब तो तर्क रहते होंगे बा -खूब जानते हैं वो यार के समा की ख्वाहिश कभी नहीं कि मंसूब की अता हो कुछ तो खबर रही होगी यार के वफ़ा की पूछा बहाल -ए- खिल का हाले नालां का भी मारोज़ -ए- बयां क्या है यार के नज़ा की निस्बत उन्हें ना थी जो हम शौक़ रखते उनका वो ख्वाब नज़रो में ना थे यार के निहा की क्या है "जुबैर"दो पल का शौक़-ए-नज़ारा ये बात उनको कहना ये यार के सज़ा की लेखक - ज़ुबैर खान.......✍️ ©SZUBAIR KHAN KHAN

#कविता  White 221 212 2 221 2122
थी  आरज़ू  कभी  कू  -ए-  यार के  निदा की
इस शहर जादे के सर-खुश यार के मक़ा की

 अब  जो   है  वो  नहीं  अब तो तर्क रहते होंगे
 बा -खूब  जानते  हैं  वो  यार  के  समा  की

 ख्वाहिश   कभी  नहीं  कि मंसूब  की अता हो
 कुछ   तो  खबर  रही  होगी  यार  के वफ़ा की

पूछा बहाल -ए- खिल का हाले नालां का भी
 मारोज़ -ए-  बयां  क्या  है  यार के नज़ा की

निस्बत उन्हें ना थी जो हम शौक़ रखते  उनका
वो  ख्वाब  नज़रो  में  ना थे  यार के निहा की

क्या है "जुबैर"दो पल का शौक़-ए-नज़ारा
ये  बात  उनको  कहना  ये यार के सज़ा की

लेखक - ज़ुबैर खान.......✍️

©SZUBAIR KHAN KHAN

gazal

13 Love

बस एक अपना घर बनाने की लड़ाई में गुजर गए कई साल किराए के मकान में ©Shyarana Andaaz (अज्ञात)

#शायरी #Home  बस एक अपना घर बनाने की लड़ाई में
गुजर गए कई साल किराए के मकान में

©Shyarana Andaaz (अज्ञात)

#Home

17 Love

#Motivational

home

99 View

#Rimakhakhalary #Dialogue #Videos

o bhai o #nojoto #Dialogue #Rimakhakhalary

72 View

#मोटिवेशनल

mg home

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ये मकान भले आलिशान लगता है तिरे बगैर तो घर शमसान लगता है ये फ़िजा भी आनी जानी ही तो है अबके मौसम भी बेईमान लगता है दफ़न हैं माँ बाप के अरमान जिसमें आज तक मनहूस वो मकान लगता है कुछ गैरों की ख़ुशी से जल गया दिल कुछ अपने गमों से परेशान लगता है सीना ठोंक कर कहते क्यूँ नहीं तुम सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तान लगता है ©Adv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात)

#शायरी #Home  ये मकान भले आलिशान लगता है 
तिरे बगैर तो घर शमसान लगता है 

ये फ़िजा भी आनी जानी ही तो है 
अबके मौसम भी बेईमान लगता है 

दफ़न हैं माँ बाप के अरमान जिसमें 
आज तक मनहूस वो मकान लगता है 

कुछ गैरों की ख़ुशी से जल गया दिल 
कुछ अपने गमों से परेशान लगता है 

सीना ठोंक कर कहते क्यूँ नहीं तुम 
सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तान लगता है

©Adv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात)

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13 Love

White 221 212 2 221 2122 थी आरज़ू कभी कू -ए- यार के निदा की इस शहर जादे के सर-खुश यार के मक़ा की अब जो है वो नहीं अब तो तर्क रहते होंगे बा -खूब जानते हैं वो यार के समा की ख्वाहिश कभी नहीं कि मंसूब की अता हो कुछ तो खबर रही होगी यार के वफ़ा की पूछा बहाल -ए- खिल का हाले नालां का भी मारोज़ -ए- बयां क्या है यार के नज़ा की निस्बत उन्हें ना थी जो हम शौक़ रखते उनका वो ख्वाब नज़रो में ना थे यार के निहा की क्या है "जुबैर"दो पल का शौक़-ए-नज़ारा ये बात उनको कहना ये यार के सज़ा की लेखक - ज़ुबैर खान.......✍️ ©SZUBAIR KHAN KHAN

#कविता  White 221 212 2 221 2122
थी  आरज़ू  कभी  कू  -ए-  यार के  निदा की
इस शहर जादे के सर-खुश यार के मक़ा की

 अब  जो   है  वो  नहीं  अब तो तर्क रहते होंगे
 बा -खूब  जानते  हैं  वो  यार  के  समा  की

 ख्वाहिश   कभी  नहीं  कि मंसूब  की अता हो
 कुछ   तो  खबर  रही  होगी  यार  के वफ़ा की

पूछा बहाल -ए- खिल का हाले नालां का भी
 मारोज़ -ए-  बयां  क्या  है  यार के नज़ा की

निस्बत उन्हें ना थी जो हम शौक़ रखते  उनका
वो  ख्वाब  नज़रो  में  ना थे  यार के निहा की

क्या है "जुबैर"दो पल का शौक़-ए-नज़ारा
ये  बात  उनको  कहना  ये यार के सज़ा की

लेखक - ज़ुबैर खान.......✍️

©SZUBAIR KHAN KHAN

gazal

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बस एक अपना घर बनाने की लड़ाई में गुजर गए कई साल किराए के मकान में ©Shyarana Andaaz (अज्ञात)

#शायरी #Home  बस एक अपना घर बनाने की लड़ाई में
गुजर गए कई साल किराए के मकान में

©Shyarana Andaaz (अज्ञात)

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