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New मसौदा समिति के अध्यक्ष कौन थे Status, Photo, Video

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White 🤍 कौन मैं, कौंन तू 🤍 जानता हूं परेशान मैं ही नहीं, आप भी नजर आते हो दिल में भरी बातों को,दिल में ही दफ्फन कर जाते हो कब तक खुद को, यूं ही सजा देते रहोगे कभी अपने फेसलों पर, मुड़कर के तो देखो मिलेंगें राह में, अनेकों हसीन चेहरे कभी इस मासूम चेहरे की, तरफ भी तो देखो मालूम नहीं, किस बात को दिल से लगा बैठे हो अनसुनी कहानियों पर, पर्दा डालकर के तो देखो आसान नहीं है, रिश्ते को कामयाबी की ओर देखना लोगो के नजरिया को, नजरअंदाज करके तो देखो कभी खुद के, दिल से पूछ्कर के देखना कौन मै कौन तू ,जरा ये दिल से पूछ करके तो देखो यूं ही न जाने देना, इस अटूट रिश्ते को दो आत्माओं के बन्धन में ,साथ देकर के तो देखो ©sanju पहाड़ी

#कविता #कौन  White 🤍 कौन मैं, कौंन तू 🤍

जानता हूं परेशान मैं ही नहीं, आप भी नजर आते हो 
दिल में भरी बातों को,दिल में ही दफ्फन कर जाते हो 
कब तक खुद को, यूं ही सजा देते रहोगे
कभी अपने फेसलों पर, मुड़कर के तो देखो 
मिलेंगें राह में, अनेकों हसीन चेहरे 
कभी इस मासूम चेहरे की, तरफ भी तो देखो
मालूम नहीं, किस बात को दिल से लगा बैठे हो
अनसुनी कहानियों पर, पर्दा डालकर के तो देखो
आसान नहीं है, रिश्ते को कामयाबी की ओर देखना   
लोगो के नजरिया को, नजरअंदाज करके तो देखो
कभी खुद के, दिल से पूछ्कर के देखना
कौन मै कौन तू ,जरा ये दिल से पूछ करके तो देखो 
यूं ही न जाने देना, इस अटूट रिश्ते को 
दो आत्माओं के बन्धन में ,साथ देकर के तो देखो

©sanju पहाड़ी

#कौन मैं,कौन तू

10 Love

पल्लव की डायरी घुटन कियो लिबासों में हो रही है फेशनो के नाम पर नंगेपन की नुबायस हो रही है सादगी अंगों की बनी रहे सभ्यताओं के कपड़े पहनाये थे लगता है बाजारू रुख असभ्यताओ को निमंत्रण दे रहा है फले फूले बाजार,कट लिबास कर अंगप्रदर्शन को तज्जबो दे रहा है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव"

#कविता #chaandsifarish  पल्लव की डायरी
घुटन कियो लिबासों में हो रही है
फेशनो के नाम पर 
नंगेपन की नुबायस हो रही है
सादगी अंगों की बनी रहे
सभ्यताओं के कपड़े पहनाये थे
लगता है बाजारू रुख
असभ्यताओ को निमंत्रण दे रहा है
फले फूले बाजार,कट लिबास कर
अंगप्रदर्शन को तज्जबो दे रहा है
                                              प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

#chaandsifarish सभ्यताओं के कपड़े पहनाये थे

23 Love

आस्तीन के साँप बहुत थे फुर्सत में जब छाँट के देखा, झूठ के पैरोकार बहुत थे आसपास जब झाँक के देखा, बाँट रही खैरात सियासत मेहनतकश की झोली खाली, नफ़रत की दीवार खड़ी थी अल्फ़ाज़ों को हाँक के देखा, जादू-टोना, ओझा मंतर, पूजा-पाठ सभी कर डाले, मिलती नहीं सफलता यूँही धूल सड़क की फाँक के देखा, धरती से आकाश तलक की यात्रा सरल कहाँ होती है, बड़ी-बड़ी मीनारों से भी करके सीना चाक के देखा, कदम-कदम चलता है राही दिल में रख हौसला मिलन का, मंज़िल धुँधला दिखा हमेशा सीध में जब भी नाक के देखा, चलना बहुत ज़रूरी 'गुंजन' इतनी बात समझ में आई, हार-जीत के पैमाने पर ख़ुद को जब भी आँक के देखा, ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' ©Shashi Bhushan Mishra

#आस्तीन #कविता  आस्तीन के साँप बहुत थे फुर्सत में जब छाँट के देखा,
झूठ के पैरोकार बहुत थे आसपास जब झाँक के देखा,

बाँट रही खैरात सियासत मेहनतकश की झोली खाली, 
नफ़रत की दीवार खड़ी थी अल्फ़ाज़ों को हाँक के देखा,

जादू-टोना,  ओझा मंतर,  पूजा-पाठ   सभी   कर   डाले,
मिलती नहीं सफलता यूँही धूल सड़क की फाँक के देखा,

धरती से आकाश तलक की यात्रा सरल कहाँ होती है,
बड़ी-बड़ी  मीनारों  से  भी करके सीना चाक के देखा,

कदम-कदम चलता है राही दिल में रख हौसला मिलन का, 
मंज़िल धुँधला दिखा हमेशा सीध में जब भी नाक के देखा,

चलना बहुत ज़रूरी 'गुंजन' इतनी बात समझ में आई, 
हार-जीत के पैमाने पर ख़ुद को जब भी आँक के देखा, 
    ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'

©Shashi Bhushan Mishra

#आस्तीन के सांप बहुत थे#

11 Love

#वीडियो

अरून कुशवाहा युवा अध्यक्ष जन अधिकार पार्टी

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White 🤍 कौन मैं, कौंन तू 🤍 जानता हूं परेशान मैं ही नहीं, आप भी नजर आते हो दिल में भरी बातों को,दिल में ही दफ्फन कर जाते हो कब तक खुद को, यूं ही सजा देते रहोगे कभी अपने फेसलों पर, मुड़कर के तो देखो मिलेंगें राह में, अनेकों हसीन चेहरे कभी इस मासूम चेहरे की, तरफ भी तो देखो मालूम नहीं, किस बात को दिल से लगा बैठे हो अनसुनी कहानियों पर, पर्दा डालकर के तो देखो आसान नहीं है, रिश्ते को कामयाबी की ओर देखना लोगो के नजरिया को, नजरअंदाज करके तो देखो कभी खुद के, दिल से पूछ्कर के देखना कौन मै कौन तू ,जरा ये दिल से पूछ करके तो देखो यूं ही न जाने देना, इस अटूट रिश्ते को दो आत्माओं के बन्धन में ,साथ देकर के तो देखो ©sanju पहाड़ी

#कविता #कौन  White 🤍 कौन मैं, कौंन तू 🤍

जानता हूं परेशान मैं ही नहीं, आप भी नजर आते हो 
दिल में भरी बातों को,दिल में ही दफ्फन कर जाते हो 
कब तक खुद को, यूं ही सजा देते रहोगे
कभी अपने फेसलों पर, मुड़कर के तो देखो 
मिलेंगें राह में, अनेकों हसीन चेहरे 
कभी इस मासूम चेहरे की, तरफ भी तो देखो
मालूम नहीं, किस बात को दिल से लगा बैठे हो
अनसुनी कहानियों पर, पर्दा डालकर के तो देखो
आसान नहीं है, रिश्ते को कामयाबी की ओर देखना   
लोगो के नजरिया को, नजरअंदाज करके तो देखो
कभी खुद के, दिल से पूछ्कर के देखना
कौन मै कौन तू ,जरा ये दिल से पूछ करके तो देखो 
यूं ही न जाने देना, इस अटूट रिश्ते को 
दो आत्माओं के बन्धन में ,साथ देकर के तो देखो

©sanju पहाड़ी

#कौन मैं,कौन तू

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पल्लव की डायरी घुटन कियो लिबासों में हो रही है फेशनो के नाम पर नंगेपन की नुबायस हो रही है सादगी अंगों की बनी रहे सभ्यताओं के कपड़े पहनाये थे लगता है बाजारू रुख असभ्यताओ को निमंत्रण दे रहा है फले फूले बाजार,कट लिबास कर अंगप्रदर्शन को तज्जबो दे रहा है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव"

#कविता #chaandsifarish  पल्लव की डायरी
घुटन कियो लिबासों में हो रही है
फेशनो के नाम पर 
नंगेपन की नुबायस हो रही है
सादगी अंगों की बनी रहे
सभ्यताओं के कपड़े पहनाये थे
लगता है बाजारू रुख
असभ्यताओ को निमंत्रण दे रहा है
फले फूले बाजार,कट लिबास कर
अंगप्रदर्शन को तज्जबो दे रहा है
                                              प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

#chaandsifarish सभ्यताओं के कपड़े पहनाये थे

23 Love

आस्तीन के साँप बहुत थे फुर्सत में जब छाँट के देखा, झूठ के पैरोकार बहुत थे आसपास जब झाँक के देखा, बाँट रही खैरात सियासत मेहनतकश की झोली खाली, नफ़रत की दीवार खड़ी थी अल्फ़ाज़ों को हाँक के देखा, जादू-टोना, ओझा मंतर, पूजा-पाठ सभी कर डाले, मिलती नहीं सफलता यूँही धूल सड़क की फाँक के देखा, धरती से आकाश तलक की यात्रा सरल कहाँ होती है, बड़ी-बड़ी मीनारों से भी करके सीना चाक के देखा, कदम-कदम चलता है राही दिल में रख हौसला मिलन का, मंज़िल धुँधला दिखा हमेशा सीध में जब भी नाक के देखा, चलना बहुत ज़रूरी 'गुंजन' इतनी बात समझ में आई, हार-जीत के पैमाने पर ख़ुद को जब भी आँक के देखा, ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' ©Shashi Bhushan Mishra

#आस्तीन #कविता  आस्तीन के साँप बहुत थे फुर्सत में जब छाँट के देखा,
झूठ के पैरोकार बहुत थे आसपास जब झाँक के देखा,

बाँट रही खैरात सियासत मेहनतकश की झोली खाली, 
नफ़रत की दीवार खड़ी थी अल्फ़ाज़ों को हाँक के देखा,

जादू-टोना,  ओझा मंतर,  पूजा-पाठ   सभी   कर   डाले,
मिलती नहीं सफलता यूँही धूल सड़क की फाँक के देखा,

धरती से आकाश तलक की यात्रा सरल कहाँ होती है,
बड़ी-बड़ी  मीनारों  से  भी करके सीना चाक के देखा,

कदम-कदम चलता है राही दिल में रख हौसला मिलन का, 
मंज़िल धुँधला दिखा हमेशा सीध में जब भी नाक के देखा,

चलना बहुत ज़रूरी 'गुंजन' इतनी बात समझ में आई, 
हार-जीत के पैमाने पर ख़ुद को जब भी आँक के देखा, 
    ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'

©Shashi Bhushan Mishra

#आस्तीन के सांप बहुत थे#

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अरून कुशवाहा युवा अध्यक्ष जन अधिकार पार्टी

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