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प्रेम सिर्फ शारीरिक नहीं होता है प्रेम किसी व्यक्ति से नहीं होता है, प्रेम व्यक्तित्व से होता है, इंसान के व्यवहार से होता है, किसी की बातों से जब मन को खुशी मिलती है, किसी की परवाह जब आपको सुकून देती है, आप कितने अनमोल है उसके लिए, जब आपको कोई ये महसूस कराता है, अपने व्यस्त समय में भी, जो आपके लिए समय निकालता है रोज आँख खुलते ही जो आपको याद करता है, जो आपकी आवाज सुनने के लिए सारा दिन इंतजार करता है, जिससे झगडा करने के बाद भी उसके मनाने का इंतजार रहता है, किसी की बातें सोचकर आपके चेहरे पर मुस्कराहट आ जाती है, पूरी दुनिया की खुशी में भी एक इंसान की कमी आपको उदास कर देती है बस यही है प्रेम की परिभाषा...है। ©Matangi Upadhyay( चिंका )

 प्रेम सिर्फ शारीरिक नहीं होता है 
प्रेम किसी व्यक्ति से नहीं होता है, 
प्रेम व्यक्तित्व से होता है,
 इंसान के व्यवहार से होता है, 
किसी की बातों से जब मन को खुशी मिलती है,
 किसी की परवाह जब आपको सुकून देती है,
 आप कितने अनमोल है उसके लिए,
 जब आपको कोई ये महसूस कराता है,
 अपने व्यस्त समय में भी, 
जो आपके लिए समय निकालता है
 रोज आँख खुलते ही जो आपको याद करता है, 
जो आपकी आवाज सुनने के लिए 
सारा दिन इंतजार करता है, 
जिससे झगडा करने के बाद भी 
उसके मनाने का इंतजार रहता है,
 किसी की बातें सोचकर 
आपके चेहरे पर मुस्कराहट आ जाती है, 
पूरी दुनिया की खुशी में भी 
एक इंसान की कमी 
आपको उदास कर देती है
 बस यही है प्रेम की परिभाषा...है।

©Matangi Upadhyay( चिंका )

प्रेम की परिभाषा 😊 #matangiupadhyay #लव #Love #thought #Life #hindi

18 Love

White स्वच्छंद विचरण को छोड़ा था पंछी उम्मीद थी शाम तलक घर लोट आने की संग भेजी थी उसके दुआ,खुशियों का जहां पाने की जिद थी उसकी उड़ जाने की चाह उन्मुक्त गगन में खो जाने की मोह होता तो जाल बिछा लेते, पिंजरे के घेरे डाल देते पर प्रेम इजाजत नहीं देता, बंधन में अपने बांधने की बस आस की डोरी से बांधा है ,और एकटक निहारे बैठे है प्रतीक्षा में परिंदे के लोट आने की ........ ©seema patidar

 White स्वच्छंद विचरण को छोड़ा था पंछी
उम्मीद थी शाम तलक घर लोट आने की
संग भेजी थी उसके दुआ,खुशियों का जहां पाने की 
जिद थी उसकी उड़ जाने की 
चाह उन्मुक्त गगन में खो जाने की
मोह होता तो जाल बिछा लेते, पिंजरे के घेरे डाल देते
पर प्रेम इजाजत नहीं देता, बंधन में अपने बांधने की
बस आस की डोरी से बांधा है ,और एकटक निहारे बैठे है
प्रतीक्षा में परिंदे के लोट आने की ........

©seema patidar

आस की डोर....उम्मीद का बंधन निश्छल,निस्वार्थ .......

11 Love

#शायरी

हिंदी शायरीसच्चे प्रेम की परिभाषा

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#कॉमेडी

हिंदी कॉमेडी#फनी दिल की परिभाषा क्या होती है

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प्रेम सिर्फ शारीरिक नहीं होता है प्रेम किसी व्यक्ति से नहीं होता है, प्रेम व्यक्तित्व से होता है, इंसान के व्यवहार से होता है, किसी की बातों से जब मन को खुशी मिलती है, किसी की परवाह जब आपको सुकून देती है, आप कितने अनमोल है उसके लिए, जब आपको कोई ये महसूस कराता है, अपने व्यस्त समय में भी, जो आपके लिए समय निकालता है रोज आँख खुलते ही जो आपको याद करता है, जो आपकी आवाज सुनने के लिए सारा दिन इंतजार करता है, जिससे झगडा करने के बाद भी उसके मनाने का इंतजार रहता है, किसी की बातें सोचकर आपके चेहरे पर मुस्कराहट आ जाती है, पूरी दुनिया की खुशी में भी एक इंसान की कमी आपको उदास कर देती है बस यही है प्रेम की परिभाषा...है। ©Matangi Upadhyay( चिंका )

 प्रेम सिर्फ शारीरिक नहीं होता है 
प्रेम किसी व्यक्ति से नहीं होता है, 
प्रेम व्यक्तित्व से होता है,
 इंसान के व्यवहार से होता है, 
किसी की बातों से जब मन को खुशी मिलती है,
 किसी की परवाह जब आपको सुकून देती है,
 आप कितने अनमोल है उसके लिए,
 जब आपको कोई ये महसूस कराता है,
 अपने व्यस्त समय में भी, 
जो आपके लिए समय निकालता है
 रोज आँख खुलते ही जो आपको याद करता है, 
जो आपकी आवाज सुनने के लिए 
सारा दिन इंतजार करता है, 
जिससे झगडा करने के बाद भी 
उसके मनाने का इंतजार रहता है,
 किसी की बातें सोचकर 
आपके चेहरे पर मुस्कराहट आ जाती है, 
पूरी दुनिया की खुशी में भी 
एक इंसान की कमी 
आपको उदास कर देती है
 बस यही है प्रेम की परिभाषा...है।

©Matangi Upadhyay( चिंका )

प्रेम की परिभाषा 😊 #matangiupadhyay #लव #Love #thought #Life #hindi

18 Love

White स्वच्छंद विचरण को छोड़ा था पंछी उम्मीद थी शाम तलक घर लोट आने की संग भेजी थी उसके दुआ,खुशियों का जहां पाने की जिद थी उसकी उड़ जाने की चाह उन्मुक्त गगन में खो जाने की मोह होता तो जाल बिछा लेते, पिंजरे के घेरे डाल देते पर प्रेम इजाजत नहीं देता, बंधन में अपने बांधने की बस आस की डोरी से बांधा है ,और एकटक निहारे बैठे है प्रतीक्षा में परिंदे के लोट आने की ........ ©seema patidar

 White स्वच्छंद विचरण को छोड़ा था पंछी
उम्मीद थी शाम तलक घर लोट आने की
संग भेजी थी उसके दुआ,खुशियों का जहां पाने की 
जिद थी उसकी उड़ जाने की 
चाह उन्मुक्त गगन में खो जाने की
मोह होता तो जाल बिछा लेते, पिंजरे के घेरे डाल देते
पर प्रेम इजाजत नहीं देता, बंधन में अपने बांधने की
बस आस की डोरी से बांधा है ,और एकटक निहारे बैठे है
प्रतीक्षा में परिंदे के लोट आने की ........

©seema patidar

आस की डोर....उम्मीद का बंधन निश्छल,निस्वार्थ .......

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हिंदी शायरीसच्चे प्रेम की परिभाषा

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