White स्वच्छंद विचरण को छोड़ा था पंछी
उम्मीद थी शाम तलक घर लोट आने की
संग भेजी थी उसके दुआ,खुशियों का जहां पाने की
जिद थी उसकी उड़ जाने की
चाह उन्मुक्त गगन में खो जाने की
मोह होता तो जाल बिछा लेते, पिंजरे के घेरे डाल देते
पर प्रेम इजाजत नहीं देता, बंधन में अपने बांधने की
बस आस की डोरी से बांधा है ,और एकटक निहारे बैठे है
प्रतीक्षा में परिंदे के लोट आने की ........
©seema patidar
आस की डोर....उम्मीद का बंधन
निश्छल,निस्वार्थ .......