White अकेला खड़ा हूँ आज भी,
सपनों की राह पर साया सा,
साथ न कोई, न कोई निशानी,
बस मेरी अपनी खामोशी का राज़ है।
कभी सोचा था, संग चलेंगे सब,
सपनों में साथी होंगे, आशीर्वाद होगा,
पर अब समझ पाया हूँ,
यह रास्ता मेरा है, और मुझे ही चलना होगा।
आंधी हो या तूफान,रुकने का नाम नहीं,
अकेला खड़ा हूँ आज भी,पर अब कोई डर नहीं।
हर एक कदम पे बिछी हैं उम्मीदें,हर कदम में एक नई कहानी,
राह में तन्हाई जरूर है,पर मन में अडिग है मेरी जवानी।
अकेला खड़ा हूँ, मगर डर नहीं,सपनों का पीछा करूंगा, थकूँगा नहीं,
चलते-चलते एक दिन ये राही,अपनी मंज़िल तक पहुंचेगा कहीं।
©Ajita Bansal
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