White दिल की बातें लिख देने से दिल हल्का हो जाता है
आप की बातें कोई पढ़े या ना पढ़े, किसी को अच्छी लगे या ना लगे,
इस से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता
क्यूॅंकि मक़सद तो दिल को हल्का करना होता है।
लिख देनी चाहिए अपने दिल की बातें,जब उन बातों को सुनने वाला
और सुन कर भी समझने वाला कोई नहीं होता है ।
या फ़िर जब किसी से कुछ भी कहने का दिल ना करे लेकिन
ज़ेहन में वही सारी तकलीफ़ देने वाली बातें घूमने लगे,
तब उन बातों को कागज़ पर उतार कर
उन्हें ज़ेहन से निकाल देना ही बेहतर होता है।
कुछ बातें ऐसी होती हैं जो हम किसी से कह नहीं पाते
या किसी को बता नहीं सकते,
अक्सर उन्हीं बातों का दिल-ओ-दिमाग़ से
बाहर निकल जाना ज़्यादा ज़रूरी होता है।
और वैसे भी किसी कोरे काग़ज़ को अपने दर्द, तकलीफ़ या फ़िर
अपने ख़यालात से भर देना इतना भी मुश्किल कहाॅं होता है??
लोग तो वैसे भी अक्सर नाराज़ ही हो जाते हैं हमारी बातों से
और ये कोरा काग़ज़ तो सब कुछ ख़ामोशी से बर्दाश्त कर लेता है।
©Sh@kila Niy@z
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