रुखसती का वक्त था
हम जा रहे थे
उनका पता नहीं मुझे
वो याद आ रहे थे,
हंसने भी नहीं दिया जिन्होंने कभी
वो मेरी मौत पर आंसू बहा रहे थे,
रुखसती का वक्त था
हम जा रहे थे
मुझे उठाया चार लोगों ने
किसी के नाम को दोहरा रहे थे
रोते रोते चुप हो गए सब
खिले रहते थे जिनके चेहरे, आज मुरझा रहे थे
रुखसती का वक्त था
हम जा रहे थे
देखने आ रहे थे वो लोग
जो मेरे जीते जी मेरा जी जला रहे थे
मुझे लिटा दिया चिता पर
फिर मेरे ही चक्कर लगा रहे थे
रुखसती का वक्त था
हम जा रहे थे
मौत जिसके नाम से आई थी
उसका घर फूलों से सजा था
शादी थी उसकी मेरा मातम था
उसे चार लोग हंसा रहे थे
मुझे चार लोग जला रहे थे
इतनी ही कहानी थी मेरी
उसका फोटो का एल्बम बन रहा था
मेरी फ़ोटो पर सब फूल चढ़ा रहे थे
रुखसती का वक्त था
हम जा रहे थे
©Akash Mohan
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