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New आइंस्टीन का बचपन Status, Photo, Video

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White बचपन एक बचपन था बहुत शानदार बचपन कुछ बाध्यताओं के साथ वाला रंगीन बचपन! अनेक रंग थे जो जिंदगी रौशन किये रहते थे! उस बचपन का एक मौसम था ठंड का मौसम! तब इतनी सुख सुविधाएं नहीं थी! न बिजली न फोन न इतनी महत्वाकांक्षाएं हम और हमारा बचपन बहुत खुश था! किसी अलाव के चारों तरफ बैठ के किसी बुजुर्ग की शीत बसंत और राजा रानी की कहानी सुन के! कभी कभी तो कहानियां इतनी गंभीर होती थी कि हम रो देते थे! और अब हक़ीक़त पर भी रोने का समय नही है! ख़ैर ....... ज़िंदगी की इस रफ़्तार में अब ना वो ठंड है ना वो अलाव है और न ही वो बुज़ुर्ग! अब सिवाय अफ़सोस के इस जवानी में कुछ बचा नहीं है! बचपन की सुबह रोज़ तैयार होकर जल्दी स्कूल पहुंचने के लिए जिन रास्तों पर दौड़ लगाते थे! आज वो रास्ते तरस गए होंगे हमारे पैरों की थपक सुनने को जैसे अब हम तरस रहे हैं उन रास्तों पर पैदल चलने को! वो आम की डाली जिस पर ओला पाती खेल के हमने उसे जमीन से सटा दिया था! बरसों से वो झुकी हुई डाली एकटक गांव की तरफ़ देख रही है! उसकी आस को पता ही नही है कि आज का बचपन मोबाइल की स्क्रीन में डूब के असमय मर चुका है! और कल जो बचपन उसका साथी था वो कंधे पर बस्ता लटका के स्कूल की तरफ ऐसा दौड़ा कि फ़िर कभी वापस ही नही आया! वो बचपन अब जवान हो चुका है! उस बचपन के पास अब हफ़्ते के दिन और महीनों के मौसम को समझने का समय नही है! जो बचपन सौमनस्य से भरा था उस बचपन की जवानी अब वैमनस्य की शिकार है! ये सब आधी रात को लिखते हुए! सुदर्शन फ़ाक़ीर की एक ग़ज़ल याद आ रही है! ना मोहब्बत न दोस्ती के लिए वक्त रुकता नहीं किसी के लिए वक्त के साथ साथ चलता रहे यही बेहतर है आदमी के लिए वक्त रुकता नही किसी के लिए अलविदा बचपन! ©Br.Raj Gaurav

#विचार #Thinking  White बचपन 

एक बचपन था बहुत शानदार बचपन कुछ बाध्यताओं के साथ वाला रंगीन बचपन!
अनेक रंग थे जो जिंदगी रौशन किये रहते थे!
उस बचपन का एक मौसम था ठंड का मौसम! तब इतनी सुख सुविधाएं नहीं थी! न बिजली न फोन न इतनी महत्वाकांक्षाएं हम और हमारा बचपन बहुत खुश था!
 किसी अलाव के चारों तरफ बैठ के किसी बुजुर्ग की  शीत बसंत और राजा रानी की कहानी सुन के!
कभी कभी तो कहानियां इतनी गंभीर होती थी कि हम रो देते थे!
और अब हक़ीक़त पर भी रोने का समय नही है!
ख़ैर .......
ज़िंदगी की इस रफ़्तार में अब ना वो ठंड है ना वो अलाव है और न ही वो बुज़ुर्ग!
अब सिवाय अफ़सोस के इस जवानी में कुछ बचा नहीं है!
बचपन की सुबह रोज़ तैयार होकर जल्दी स्कूल पहुंचने  के लिए जिन रास्तों पर दौड़ लगाते थे! 
आज वो रास्ते तरस गए होंगे हमारे पैरों की थपक सुनने को जैसे अब हम तरस रहे हैं उन रास्तों पर पैदल चलने को!
वो आम की डाली जिस पर ओला पाती खेल के हमने उसे जमीन से सटा दिया था!
बरसों से वो झुकी हुई डाली एकटक गांव की तरफ़ देख रही है!
उसकी आस को पता ही नही है कि आज का बचपन मोबाइल की स्क्रीन में डूब के असमय मर चुका है! 
और कल जो बचपन उसका साथी था वो कंधे पर बस्ता लटका के स्कूल की तरफ ऐसा दौड़ा कि फ़िर कभी वापस ही नही आया!
वो बचपन अब जवान हो चुका है! उस बचपन के पास अब हफ़्ते के दिन  और महीनों के मौसम को समझने का समय नही है!
जो बचपन सौमनस्य से भरा था उस बचपन की जवानी अब वैमनस्य की शिकार है!
ये सब आधी रात को लिखते हुए!
सुदर्शन फ़ाक़ीर की एक ग़ज़ल 
याद आ रही है!
ना मोहब्बत न दोस्ती के लिए 
वक्त रुकता नहीं किसी के लिए
वक्त के साथ साथ चलता रहे 
यही बेहतर है आदमी के लिए 
वक्त रुकता नही किसी के लिए

अलविदा बचपन!

©Br.Raj Gaurav

#Thinking बचपन

6 Love

🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰 ©Diya

#शायरी #मासूम #Diyakikalamse #बचपन #नजर  🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰

©Diya
#कोट्स

बचपन की यादें......

432 View

बचपन की यादें..

108 View

#कॉमेडी #Sortvideo #VAIRAL

बचपन का प्यार😂😅 #Nojoto #Sortvideo #VAIRAL

117 View

#लव

बचपन लव शायरियां

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White बचपन एक बचपन था बहुत शानदार बचपन कुछ बाध्यताओं के साथ वाला रंगीन बचपन! अनेक रंग थे जो जिंदगी रौशन किये रहते थे! उस बचपन का एक मौसम था ठंड का मौसम! तब इतनी सुख सुविधाएं नहीं थी! न बिजली न फोन न इतनी महत्वाकांक्षाएं हम और हमारा बचपन बहुत खुश था! किसी अलाव के चारों तरफ बैठ के किसी बुजुर्ग की शीत बसंत और राजा रानी की कहानी सुन के! कभी कभी तो कहानियां इतनी गंभीर होती थी कि हम रो देते थे! और अब हक़ीक़त पर भी रोने का समय नही है! ख़ैर ....... ज़िंदगी की इस रफ़्तार में अब ना वो ठंड है ना वो अलाव है और न ही वो बुज़ुर्ग! अब सिवाय अफ़सोस के इस जवानी में कुछ बचा नहीं है! बचपन की सुबह रोज़ तैयार होकर जल्दी स्कूल पहुंचने के लिए जिन रास्तों पर दौड़ लगाते थे! आज वो रास्ते तरस गए होंगे हमारे पैरों की थपक सुनने को जैसे अब हम तरस रहे हैं उन रास्तों पर पैदल चलने को! वो आम की डाली जिस पर ओला पाती खेल के हमने उसे जमीन से सटा दिया था! बरसों से वो झुकी हुई डाली एकटक गांव की तरफ़ देख रही है! उसकी आस को पता ही नही है कि आज का बचपन मोबाइल की स्क्रीन में डूब के असमय मर चुका है! और कल जो बचपन उसका साथी था वो कंधे पर बस्ता लटका के स्कूल की तरफ ऐसा दौड़ा कि फ़िर कभी वापस ही नही आया! वो बचपन अब जवान हो चुका है! उस बचपन के पास अब हफ़्ते के दिन और महीनों के मौसम को समझने का समय नही है! जो बचपन सौमनस्य से भरा था उस बचपन की जवानी अब वैमनस्य की शिकार है! ये सब आधी रात को लिखते हुए! सुदर्शन फ़ाक़ीर की एक ग़ज़ल याद आ रही है! ना मोहब्बत न दोस्ती के लिए वक्त रुकता नहीं किसी के लिए वक्त के साथ साथ चलता रहे यही बेहतर है आदमी के लिए वक्त रुकता नही किसी के लिए अलविदा बचपन! ©Br.Raj Gaurav

#विचार #Thinking  White बचपन 

एक बचपन था बहुत शानदार बचपन कुछ बाध्यताओं के साथ वाला रंगीन बचपन!
अनेक रंग थे जो जिंदगी रौशन किये रहते थे!
उस बचपन का एक मौसम था ठंड का मौसम! तब इतनी सुख सुविधाएं नहीं थी! न बिजली न फोन न इतनी महत्वाकांक्षाएं हम और हमारा बचपन बहुत खुश था!
 किसी अलाव के चारों तरफ बैठ के किसी बुजुर्ग की  शीत बसंत और राजा रानी की कहानी सुन के!
कभी कभी तो कहानियां इतनी गंभीर होती थी कि हम रो देते थे!
और अब हक़ीक़त पर भी रोने का समय नही है!
ख़ैर .......
ज़िंदगी की इस रफ़्तार में अब ना वो ठंड है ना वो अलाव है और न ही वो बुज़ुर्ग!
अब सिवाय अफ़सोस के इस जवानी में कुछ बचा नहीं है!
बचपन की सुबह रोज़ तैयार होकर जल्दी स्कूल पहुंचने  के लिए जिन रास्तों पर दौड़ लगाते थे! 
आज वो रास्ते तरस गए होंगे हमारे पैरों की थपक सुनने को जैसे अब हम तरस रहे हैं उन रास्तों पर पैदल चलने को!
वो आम की डाली जिस पर ओला पाती खेल के हमने उसे जमीन से सटा दिया था!
बरसों से वो झुकी हुई डाली एकटक गांव की तरफ़ देख रही है!
उसकी आस को पता ही नही है कि आज का बचपन मोबाइल की स्क्रीन में डूब के असमय मर चुका है! 
और कल जो बचपन उसका साथी था वो कंधे पर बस्ता लटका के स्कूल की तरफ ऐसा दौड़ा कि फ़िर कभी वापस ही नही आया!
वो बचपन अब जवान हो चुका है! उस बचपन के पास अब हफ़्ते के दिन  और महीनों के मौसम को समझने का समय नही है!
जो बचपन सौमनस्य से भरा था उस बचपन की जवानी अब वैमनस्य की शिकार है!
ये सब आधी रात को लिखते हुए!
सुदर्शन फ़ाक़ीर की एक ग़ज़ल 
याद आ रही है!
ना मोहब्बत न दोस्ती के लिए 
वक्त रुकता नहीं किसी के लिए
वक्त के साथ साथ चलता रहे 
यही बेहतर है आदमी के लिए 
वक्त रुकता नही किसी के लिए

अलविदा बचपन!

©Br.Raj Gaurav

#Thinking बचपन

6 Love

🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰 ©Diya

#शायरी #मासूम #Diyakikalamse #बचपन #नजर  🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰

©Diya
#कोट्स

बचपन की यादें......

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बचपन की यादें..

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#कॉमेडी #Sortvideo #VAIRAL

बचपन का प्यार😂😅 #Nojoto #Sortvideo #VAIRAL

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#लव

बचपन लव शायरियां

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