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पुष्प अलग अलग है रूप सभी का तरह तरह के रंग हैं पर सबकी मुश्कान एक सी जो फूलों के संग है बाँट रहें हैं खुशबू अपनी बहती मंद हवाओं को उनके मधु के लिए परस्पर भौंरे करते जंग हैं लुभा रहें हैं सबके मन को जब हिलते हैं लब उनके तेज धूप में भी खुश रहते देख जमाना दंग है जीवन जीना हमें सिखाते बेखुद रहते एक सा तूफानों में भी ना फीकी पड़ती कभी उमंग है ©Sunil Kumar Maurya Bekhud

#पुष्प #कविता  पुष्प
अलग अलग है रूप सभी का
तरह तरह के रंग हैं
पर सबकी मुश्कान एक सी
जो फूलों के संग है

बाँट रहें हैं खुशबू अपनी
बहती मंद हवाओं को
उनके मधु के लिए परस्पर
भौंरे करते जंग हैं

लुभा रहें हैं सबके मन को
जब हिलते हैं लब उनके
तेज धूप में भी खुश रहते
देख जमाना दंग है

जीवन जीना हमें सिखाते
बेखुद रहते एक सा
तूफानों में भी ना फीकी
पड़ती कभी उमंग है

©Sunil Kumar Maurya Bekhud

मां की ममता और पिता की मेहनत ममता क्या होती है, ये एक माँ से पूछना, हर आंसू में उसकी, छुपी दुनिया का सपना। रातों को जागकर लोरी सुनाती है, खुद भूखी रहकर भी बच्चों को खिलाती है। हर दर्द सहकर भी मुस्कुराती है, ममता की मूरत है, सब कुछ दे जाती है। और मेहनत क्या होती है, ये एक पिता से पूछना, हर मुश्किल में वो, कैसे चट्टान सा रहता अपना। पसीने की बूंदों से संजोता हर सपना, अपने अरमानों को बच्चों के लिए करना। खुद की खुशियों को परे रख, दिन-रात जो संघर्ष करता, वो पिता ही है, जो हमें हर दर्द से बचाता। ममता है माँ की, जो हर जख्म को सहलाती, मेहनत है पिता की, जो हर ख्वाब को सच कर दिखाती। दोनों के बलिदानों का कर्ज़ हमसे नहीं चुकाया जाए, माँ-बाप की मूरत ही इस दुनिया में भगवान कहलाए ©Writer Mamta Ambedkar

#कविता #maaPapa  मां की ममता और पिता की मेहनत

ममता क्या होती है, ये एक माँ से पूछना,
हर आंसू में उसकी, छुपी दुनिया का सपना।
रातों को जागकर लोरी सुनाती है,
खुद भूखी रहकर भी बच्चों को खिलाती है।
हर दर्द सहकर भी मुस्कुराती है,
ममता की मूरत है, सब कुछ दे जाती है।

और मेहनत क्या होती है, ये एक पिता से पूछना,
हर मुश्किल में वो, कैसे चट्टान सा रहता अपना।
पसीने की बूंदों से संजोता हर सपना,
अपने अरमानों को बच्चों के लिए करना।
खुद की खुशियों को परे रख, दिन-रात जो संघर्ष करता,
वो पिता ही है, जो हमें हर दर्द से बचाता।

ममता है माँ की, जो हर जख्म को सहलाती,
मेहनत है पिता की, जो हर ख्वाब को सच कर दिखाती।
दोनों के बलिदानों का कर्ज़ हमसे नहीं चुकाया जाए,
माँ-बाप की मूरत ही इस दुनिया में भगवान कहलाए

©Writer Mamta Ambedkar

#maaPapa प्रेरणादायी कविता हिंदी कविता कोश बारिश पर कविता प्यार पर कविता कविता

10 Love

#कविता

देशभक्ति कविता बारिश पर कविता प्यार पर कविता Entrance examination

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#कविता

कविताएं बारिश पर कविता देशभक्ति कविता हिंदी कविता हिंदी दिवस पर कविता

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पुष्प अलग अलग है रूप सभी का तरह तरह के रंग हैं पर सबकी मुश्कान एक सी जो फूलों के संग है बाँट रहें हैं खुशबू अपनी बहती मंद हवाओं को उनके मधु के लिए परस्पर भौंरे करते जंग हैं लुभा रहें हैं सबके मन को जब हिलते हैं लब उनके तेज धूप में भी खुश रहते देख जमाना दंग है जीवन जीना हमें सिखाते बेखुद रहते एक सा तूफानों में भी ना फीकी पड़ती कभी उमंग है ©Sunil Kumar Maurya Bekhud

#पुष्प #कविता  पुष्प
अलग अलग है रूप सभी का
तरह तरह के रंग हैं
पर सबकी मुश्कान एक सी
जो फूलों के संग है

बाँट रहें हैं खुशबू अपनी
बहती मंद हवाओं को
उनके मधु के लिए परस्पर
भौंरे करते जंग हैं

लुभा रहें हैं सबके मन को
जब हिलते हैं लब उनके
तेज धूप में भी खुश रहते
देख जमाना दंग है

जीवन जीना हमें सिखाते
बेखुद रहते एक सा
तूफानों में भी ना फीकी
पड़ती कभी उमंग है

©Sunil Kumar Maurya Bekhud

मां की ममता और पिता की मेहनत ममता क्या होती है, ये एक माँ से पूछना, हर आंसू में उसकी, छुपी दुनिया का सपना। रातों को जागकर लोरी सुनाती है, खुद भूखी रहकर भी बच्चों को खिलाती है। हर दर्द सहकर भी मुस्कुराती है, ममता की मूरत है, सब कुछ दे जाती है। और मेहनत क्या होती है, ये एक पिता से पूछना, हर मुश्किल में वो, कैसे चट्टान सा रहता अपना। पसीने की बूंदों से संजोता हर सपना, अपने अरमानों को बच्चों के लिए करना। खुद की खुशियों को परे रख, दिन-रात जो संघर्ष करता, वो पिता ही है, जो हमें हर दर्द से बचाता। ममता है माँ की, जो हर जख्म को सहलाती, मेहनत है पिता की, जो हर ख्वाब को सच कर दिखाती। दोनों के बलिदानों का कर्ज़ हमसे नहीं चुकाया जाए, माँ-बाप की मूरत ही इस दुनिया में भगवान कहलाए ©Writer Mamta Ambedkar

#कविता #maaPapa  मां की ममता और पिता की मेहनत

ममता क्या होती है, ये एक माँ से पूछना,
हर आंसू में उसकी, छुपी दुनिया का सपना।
रातों को जागकर लोरी सुनाती है,
खुद भूखी रहकर भी बच्चों को खिलाती है।
हर दर्द सहकर भी मुस्कुराती है,
ममता की मूरत है, सब कुछ दे जाती है।

और मेहनत क्या होती है, ये एक पिता से पूछना,
हर मुश्किल में वो, कैसे चट्टान सा रहता अपना।
पसीने की बूंदों से संजोता हर सपना,
अपने अरमानों को बच्चों के लिए करना।
खुद की खुशियों को परे रख, दिन-रात जो संघर्ष करता,
वो पिता ही है, जो हमें हर दर्द से बचाता।

ममता है माँ की, जो हर जख्म को सहलाती,
मेहनत है पिता की, जो हर ख्वाब को सच कर दिखाती।
दोनों के बलिदानों का कर्ज़ हमसे नहीं चुकाया जाए,
माँ-बाप की मूरत ही इस दुनिया में भगवान कहलाए

©Writer Mamta Ambedkar

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