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वक्त की रेत हाथों से यूँ फिसलती रही, हर पल में एक नई तलाश, जीने की राह चली। छोटी सी जिंदगी, एक बड़ी सी दास्तान बन गई, कुछ खोने के बाद ही, उसकी असली कीमत समझी हमने। वक्त ने सब कुछ छीन लिया, पर बहुत कुछ सिखा भी दिया, हर ख्वाब के पीछे, गहरे दर्द का ग़म छुपा हुआ मिला। वक्त ने छीना, मगर आईना भी साफ़ दिखा गया, जो मिला था, उसे संभालना हमें सिखा गया। ©नवनीत ठाकुर

#कोट्स #वक्त  वक्त की रेत हाथों से यूँ फिसलती रही,
हर पल में एक नई तलाश, जीने की राह चली।
छोटी सी जिंदगी, एक बड़ी सी दास्तान बन गई,
कुछ खोने के बाद ही, उसकी असली कीमत समझी हमने।

वक्त ने सब कुछ छीन लिया, पर बहुत कुछ सिखा भी दिया,
हर ख्वाब के पीछे, गहरे दर्द का ग़म छुपा हुआ मिला।
वक्त ने छीना, मगर आईना भी साफ़ दिखा गया,
जो मिला था, उसे संभालना हमें सिखा गया।

©नवनीत ठाकुर

#वक्त की रेत हाथों से यूँ फिसलती रही, हर ख्वाब के पीछे, गहरे दर्द का ग़म छुपा हुआ मिला।

11 Love

#मौजूदगी #शायरी #तेरी #में

#तेरी #मौजूदगी #में हर ग़म भी लगने लगता है हल्का #Shayari

144 View

रचना दिनांक 25,, नवम्बर 2024,, वार। सोमवार समय सुबह पांच बजे ्््भावचित्र ्् ््््छाया चित्र में सिनहरियो में झिलमिलाते तारे सितारे एक अलग ही सुन्दर अपनी बात को लेकर खुश हो प्यारा सा जीवन में कुछ भी कर रहे हैं,, ऐसा प्रतीत होता देख रही है प्रेम मूर्ति प्रेम शब्द से जन्मा विचार सच है ््् निज विचार ्् ्भावचित्र ् ्शीर्षक ् ््दर्द ऐं ग़म पर जमाना हंसेगा, फ़कत अश्क आंखों में हमको छुपाना पड़ा्् कहे तो जाने अंजाने में,, आंखें यूंही बदनाम हो गई ्् प्यार करने वाले खूद ही खुद से,, सवाल जवाब बन गये।।1 ।। जो प्यार नहीं करते है वो प्यार के,, मायने क्या समझेगे।।2 ।। वो बस झुठे किस्से ख्याली पुलाव,, बनाने वाले होते हैं ।।3 ।। जिन्हें किसी की मोहब्बत भरी नज़रों से,, ना था कोई वास्ता ना,ही, कोई रिश्ता नाता, बस वो ग़म ऐं द़र्द पर जिंदगी के मज़ाक उड़ाते हैं।।4 ।। वो लफ्जो का मोल अश्कों का तोल ,, और मेरे प्यारे नयनों में ढलकते अश्कों के छुपने का प्रहर।।5 ।। मेरी मुस्कान मन्द अधर पर ले उड़े होश का आनंद लें,, जो कोमल सा गुलाबी से लाल हो,प्यारी सी जीवन शैली ।।6 ।। शैलेंद्र आनंद की सज गई तस्वीर,, मेरे प्यार की रंगत इस ज़माने में।।7 ।। ्््कवि््शैलेन्द़ आनंद 25,,, नवम्बर,,2024 ©Shailendra Anand

#कविता  रचना दिनांक 25,, नवम्बर 2024,,
वार।  सोमवार 
समय सुबह पांच बजे
्््भावचित्र ््
््््छाया चित्र में सिनहरियो में झिलमिलाते तारे सितारे एक अलग ही सुन्दर अपनी बात को लेकर खुश हो प्यारा सा जीवन में कुछ भी कर रहे हैं,,
 ऐसा प्रतीत होता देख रही है प्रेम मूर्ति प्रेम शब्द से जन्मा विचार सच है ्््

निज विचार ््
्भावचित्र ्
्शीर्षक ्
््दर्द ऐं ग़म पर जमाना हंसेगा,
फ़कत अश्क आंखों में हमको छुपाना पड़ा््
         कहे तो जाने अंजाने में,,
आंखें यूंही बदनाम हो गई ््
प्यार करने वाले खूद ही खुद से,,
 सवाल जवाब बन गये।।1 ।।
जो प्यार नहीं करते है वो प्यार के,,
 मायने क्या समझेगे।।2 ।।
वो बस झुठे किस्से ख्याली पुलाव,,
बनाने वाले होते हैं ।।3 ।।
जिन्हें किसी की मोहब्बत भरी नज़रों से,,
ना था कोई वास्ता ना,ही, कोई रिश्ता नाता,
बस वो ग़म ऐं द़र्द पर जिंदगी के मज़ाक उड़ाते हैं।।4 ।।
वो लफ्जो का मोल अश्कों का तोल ,,
और मेरे प्यारे नयनों में ढलकते अश्कों के 
छुपने का प्रहर।।5 ।।
 मेरी मुस्कान मन्द अधर पर ले उड़े होश का आनंद लें,,
 जो कोमल सा गुलाबी से लाल हो,प्यारी सी जीवन शैली ।।6 ।।
शैलेंद्र आनंद की सज गई तस्वीर,,
 मेरे प्यार की रंगत इस ज़माने में।।7 ।।
            ्््कवि््शैलेन्द़ आनंद 
25,,, नवम्बर,,2024

©Shailendra Anand

Extraterrestrial life ््दर्द ऐं ग़म पर जिंदगी ्््््कवि शैलेंद्र आनंद

10 Love

वक्त की रेत हाथों से यूँ फिसलती रही, हर पल में एक नई तलाश, जीने की राह चली। छोटी सी जिंदगी, एक बड़ी सी दास्तान बन गई, कुछ खोने के बाद ही, उसकी असली कीमत समझी हमने। वक्त ने सब कुछ छीन लिया, पर बहुत कुछ सिखा भी दिया, हर ख्वाब के पीछे, गहरे दर्द का ग़म छुपा हुआ मिला। वक्त ने छीना, मगर आईना भी साफ़ दिखा गया, जो मिला था, उसे संभालना हमें सिखा गया। ©नवनीत ठाकुर

#कोट्स #वक्त  वक्त की रेत हाथों से यूँ फिसलती रही,
हर पल में एक नई तलाश, जीने की राह चली।
छोटी सी जिंदगी, एक बड़ी सी दास्तान बन गई,
कुछ खोने के बाद ही, उसकी असली कीमत समझी हमने।

वक्त ने सब कुछ छीन लिया, पर बहुत कुछ सिखा भी दिया,
हर ख्वाब के पीछे, गहरे दर्द का ग़म छुपा हुआ मिला।
वक्त ने छीना, मगर आईना भी साफ़ दिखा गया,
जो मिला था, उसे संभालना हमें सिखा गया।

©नवनीत ठाकुर

#वक्त की रेत हाथों से यूँ फिसलती रही, हर ख्वाब के पीछे, गहरे दर्द का ग़म छुपा हुआ मिला।

11 Love

#मौजूदगी #शायरी #तेरी #में

#तेरी #मौजूदगी #में हर ग़म भी लगने लगता है हल्का #Shayari

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रचना दिनांक 25,, नवम्बर 2024,, वार। सोमवार समय सुबह पांच बजे ्््भावचित्र ्् ््््छाया चित्र में सिनहरियो में झिलमिलाते तारे सितारे एक अलग ही सुन्दर अपनी बात को लेकर खुश हो प्यारा सा जीवन में कुछ भी कर रहे हैं,, ऐसा प्रतीत होता देख रही है प्रेम मूर्ति प्रेम शब्द से जन्मा विचार सच है ््् निज विचार ्् ्भावचित्र ् ्शीर्षक ् ््दर्द ऐं ग़म पर जमाना हंसेगा, फ़कत अश्क आंखों में हमको छुपाना पड़ा्् कहे तो जाने अंजाने में,, आंखें यूंही बदनाम हो गई ्् प्यार करने वाले खूद ही खुद से,, सवाल जवाब बन गये।।1 ।। जो प्यार नहीं करते है वो प्यार के,, मायने क्या समझेगे।।2 ।। वो बस झुठे किस्से ख्याली पुलाव,, बनाने वाले होते हैं ।।3 ।। जिन्हें किसी की मोहब्बत भरी नज़रों से,, ना था कोई वास्ता ना,ही, कोई रिश्ता नाता, बस वो ग़म ऐं द़र्द पर जिंदगी के मज़ाक उड़ाते हैं।।4 ।। वो लफ्जो का मोल अश्कों का तोल ,, और मेरे प्यारे नयनों में ढलकते अश्कों के छुपने का प्रहर।।5 ।। मेरी मुस्कान मन्द अधर पर ले उड़े होश का आनंद लें,, जो कोमल सा गुलाबी से लाल हो,प्यारी सी जीवन शैली ।।6 ।। शैलेंद्र आनंद की सज गई तस्वीर,, मेरे प्यार की रंगत इस ज़माने में।।7 ।। ्््कवि््शैलेन्द़ आनंद 25,,, नवम्बर,,2024 ©Shailendra Anand

#कविता  रचना दिनांक 25,, नवम्बर 2024,,
वार।  सोमवार 
समय सुबह पांच बजे
्््भावचित्र ््
््््छाया चित्र में सिनहरियो में झिलमिलाते तारे सितारे एक अलग ही सुन्दर अपनी बात को लेकर खुश हो प्यारा सा जीवन में कुछ भी कर रहे हैं,,
 ऐसा प्रतीत होता देख रही है प्रेम मूर्ति प्रेम शब्द से जन्मा विचार सच है ्््

निज विचार ््
्भावचित्र ्
्शीर्षक ्
््दर्द ऐं ग़म पर जमाना हंसेगा,
फ़कत अश्क आंखों में हमको छुपाना पड़ा््
         कहे तो जाने अंजाने में,,
आंखें यूंही बदनाम हो गई ््
प्यार करने वाले खूद ही खुद से,,
 सवाल जवाब बन गये।।1 ।।
जो प्यार नहीं करते है वो प्यार के,,
 मायने क्या समझेगे।।2 ।।
वो बस झुठे किस्से ख्याली पुलाव,,
बनाने वाले होते हैं ।।3 ।।
जिन्हें किसी की मोहब्बत भरी नज़रों से,,
ना था कोई वास्ता ना,ही, कोई रिश्ता नाता,
बस वो ग़म ऐं द़र्द पर जिंदगी के मज़ाक उड़ाते हैं।।4 ।।
वो लफ्जो का मोल अश्कों का तोल ,,
और मेरे प्यारे नयनों में ढलकते अश्कों के 
छुपने का प्रहर।।5 ।।
 मेरी मुस्कान मन्द अधर पर ले उड़े होश का आनंद लें,,
 जो कोमल सा गुलाबी से लाल हो,प्यारी सी जीवन शैली ।।6 ।।
शैलेंद्र आनंद की सज गई तस्वीर,,
 मेरे प्यार की रंगत इस ज़माने में।।7 ।।
            ्््कवि््शैलेन्द़ आनंद 
25,,, नवम्बर,,2024

©Shailendra Anand

Extraterrestrial life ््दर्द ऐं ग़म पर जिंदगी ्््््कवि शैलेंद्र आनंद

10 Love

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