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किसी ने फाड़ दी उल्फ़त की वो किताब पुनः बिखर गया है कहीं पर कोई गुलाब पुनः पुनः हुआ है किसी पर दहर का ज़ुल्म-ओ-सितम किसी की आँखों से बहकर गिरे हैं ख़्वाब पुनः ©Ghumnam Gautam

#आँखें #शायरी #किताब #ghumnamgautam  किसी ने फाड़ दी उल्फ़त की वो किताब पुनः
बिखर गया है कहीं पर कोई गुलाब पुनः
पुनः हुआ है किसी पर दहर का ज़ुल्म-ओ-सितम
किसी की आँखों से बहकर गिरे हैं ख़्वाब पुनः

©Ghumnam Gautam

White आज किसी ने पहला पन्ना पलटा तो मै झट से दौर पड़ी जी,मै एक किताब हू एक रोज मै खुद को अधूरा पढ़ के अपने ही कमरे मे पड़े पुराने मेज पर छोड़ आई थी आज एक बड़े ही अजीब शक्स ने मुझे पढ़ते हुए गहरी साँसे ली और सरका दिया अरसे से जमे धूल पर समीक्षा वो अपने हृदय मे समेट चला गया मुझे आश्चर्यचकित करता है मेरा रहष्यमयी लिपी होना अब मुझे भी कुछ याद नही की आखिर ऐसी कौन सी नौबत आन पड़ी थी की मै आगे खुद को पढ़ नही पाई जबकि मुझे इंतेजार करना चाहिए था अंत को अंत तक आने का खैर!चरमोत्कर्ष ईश्वर भी चाहता है ©चाँदनी

#रहष्यमयी  White आज किसी ने पहला पन्ना पलटा 
तो मै झट से दौर पड़ी

जी,मै एक किताब हू

एक रोज मै खुद को अधूरा पढ़ के 
अपने  ही कमरे मे पड़े पुराने
मेज पर छोड़ आई थी

आज एक बड़े ही अजीब शक्स
 ने मुझे पढ़ते हुए 

गहरी साँसे ली और सरका
दिया अरसे से जमे धूल 

पर समीक्षा वो अपने
हृदय मे समेट चला गया

मुझे आश्चर्यचकित करता है
मेरा रहष्यमयी लिपी होना

अब मुझे भी कुछ याद नही की 
आखिर ऐसी कौन सी नौबत
आन पड़ी थी की

मै आगे खुद को पढ़ नही पाई
जबकि 

मुझे इंतेजार करना चाहिए था
अंत को अंत तक आने का

खैर!चरमोत्कर्ष ईश्वर भी चाहता है

©चाँदनी

#रहष्यमयी किताब

24 Love

किसी ने फाड़ दी उल्फ़त की वो किताब पुनः बिखर गया है कहीं पर कोई गुलाब पुनः पुनः हुआ है किसी पर दहर का ज़ुल्म-ओ-सितम किसी की आँखों से बहकर गिरे हैं ख़्वाब पुनः ©Ghumnam Gautam

#आँखें #शायरी #किताब #ghumnamgautam  किसी ने फाड़ दी उल्फ़त की वो किताब पुनः
बिखर गया है कहीं पर कोई गुलाब पुनः
पुनः हुआ है किसी पर दहर का ज़ुल्म-ओ-सितम
किसी की आँखों से बहकर गिरे हैं ख़्वाब पुनः

©Ghumnam Gautam

White आज किसी ने पहला पन्ना पलटा तो मै झट से दौर पड़ी जी,मै एक किताब हू एक रोज मै खुद को अधूरा पढ़ के अपने ही कमरे मे पड़े पुराने मेज पर छोड़ आई थी आज एक बड़े ही अजीब शक्स ने मुझे पढ़ते हुए गहरी साँसे ली और सरका दिया अरसे से जमे धूल पर समीक्षा वो अपने हृदय मे समेट चला गया मुझे आश्चर्यचकित करता है मेरा रहष्यमयी लिपी होना अब मुझे भी कुछ याद नही की आखिर ऐसी कौन सी नौबत आन पड़ी थी की मै आगे खुद को पढ़ नही पाई जबकि मुझे इंतेजार करना चाहिए था अंत को अंत तक आने का खैर!चरमोत्कर्ष ईश्वर भी चाहता है ©चाँदनी

#रहष्यमयी  White आज किसी ने पहला पन्ना पलटा 
तो मै झट से दौर पड़ी

जी,मै एक किताब हू

एक रोज मै खुद को अधूरा पढ़ के 
अपने  ही कमरे मे पड़े पुराने
मेज पर छोड़ आई थी

आज एक बड़े ही अजीब शक्स
 ने मुझे पढ़ते हुए 

गहरी साँसे ली और सरका
दिया अरसे से जमे धूल 

पर समीक्षा वो अपने
हृदय मे समेट चला गया

मुझे आश्चर्यचकित करता है
मेरा रहष्यमयी लिपी होना

अब मुझे भी कुछ याद नही की 
आखिर ऐसी कौन सी नौबत
आन पड़ी थी की

मै आगे खुद को पढ़ नही पाई
जबकि 

मुझे इंतेजार करना चाहिए था
अंत को अंत तक आने का

खैर!चरमोत्कर्ष ईश्वर भी चाहता है

©चाँदनी

#रहष्यमयी किताब

24 Love

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