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तुमने खबर ही कहाँ ली मेरी मेरे साथ रहते हुए भी बस मान लिया कि ठीक ही होगी, तुमने पूछा ही कहाँ कुछ मुझसे बस मेरी खामोशी को समझ लिया की मेरी हाँ ही होगी, मैं जरूरी ही कहाँ थी उतनी जितना मैंने खुद को तुम्हारी जिंदगी में समझ लिया, मैंने तो बस सोच लिया की मैं तुम्हारे लिए कुछ खास होऊँगी पर मैं स्वीकार ही कहाँ पायी कुछ सच बस पाले रही वहम की खुशी ऐसी ही होती होगी, ये जो मानने और होने के बीच का फर्क होता है न उसे स्वीकारने में एक उम्र साथ गुजार देते है दो लोग और फिर पता ही नहीं चलता की कब एक दूसरे की आदत बन गए..! ©Matangi Upadhyay( चिंका )

#विचार #matangiupadhyay #thought  तुमने खबर ही कहाँ ली मेरी
 मेरे साथ रहते हुए भी बस मान लिया कि ठीक ही होगी, 
तुमने पूछा ही कहाँ कुछ मुझसे
 बस मेरी खामोशी को समझ लिया 
की मेरी हाँ ही होगी, 
मैं जरूरी ही कहाँ थी उतनी 
जितना मैंने खुद को तुम्हारी जिंदगी में समझ लिया, 
मैंने तो बस सोच लिया की 
मैं तुम्हारे लिए कुछ खास होऊँगी
 पर मैं स्वीकार ही कहाँ पायी 
कुछ सच बस पाले रही वहम
 की खुशी ऐसी ही होती होगी, 
ये जो मानने और होने के बीच का फर्क होता है
 न उसे स्वीकारने में एक उम्र साथ गुजार देते है
 दो लोग और फिर पता ही नहीं चलता
 की कब एक दूसरे की आदत बन गए..!

©Matangi Upadhyay( चिंका )

आदत बन गए हो तुम 🤔 #matangiupadhyay #thought #Life #Love

16 Love

#कविता #hindikavita #sad_shayari #HindiPoem #sadpoetry #Hindi  बंजर मन

#Poetry #sad_shayari #sadpoetry #Hindi #HindiPoem #hindikavita बंजर हो गए मन में...

108 View

पहाड़ों से निकली एक धारा खास, सपनों से भरी, एक नई तलाश। पत्थरों से टकराई, राह बनाई, हर दर्द को हँसी में समेट लाई।। हर ठोकर को उसने गले लगाया, रुकना उसकी किस्मत में नहीं था। दर्द से उसने अपना राग बनाया, सच में, वो कभी थमा नहीं था।। जब सागर से मिली, वो हर्षित हुई, उसकी लहरों में हर पीड़ा समा गई।। सागर ने उसे अपनी बाहों में समेटा, उसकी हर बूंद में जीवन का सन्देश देखा। नदी ने कहा, "मैं खुद को समर्पित करती हूँ, पर हर बूंद से तुझे अमर कर देती हूँ।। फ़ना होकर भी, वो अमर हो गई, सागर के आँचल में हर याद बस गई। ©नवनीत ठाकुर

#कविता  पहाड़ों से निकली एक धारा खास,
सपनों से भरी, एक नई तलाश।
पत्थरों से टकराई, राह बनाई,
हर दर्द को हँसी में समेट लाई।।
हर ठोकर को उसने गले लगाया,
रुकना उसकी किस्मत में नहीं था।
दर्द से उसने अपना राग बनाया,
सच में, वो कभी थमा नहीं था।।
जब सागर से मिली, वो हर्षित हुई,
उसकी लहरों में हर पीड़ा समा गई।।
सागर ने उसे अपनी बाहों में समेटा,
उसकी हर बूंद में जीवन का सन्देश देखा।
नदी ने कहा, "मैं खुद को समर्पित करती हूँ,
पर हर बूंद से तुझे अमर कर देती हूँ।।
फ़ना होकर भी, वो अमर हो गई,
सागर के आँचल में हर याद बस गई।

©नवनीत ठाकुर

फना हो कर भी अमर हो गए

14 Love

White बहुत समझदार हो गए हैं आजकल के लोग...! रिश्ता वही तक रखते हैं...! जहां तक उनका मतलब होता है...! ©Anamika Raj

#Bhakti  White बहुत समझदार हो गए हैं 
आजकल के लोग...!
रिश्ता वही तक रखते हैं...! 
जहां तक उनका मतलब होता है...!

©Anamika Raj

बहुत समझदार हो गए है लोग..

17 Love

लोग हमें ऐसे देखते है।

144 View

तुमने खबर ही कहाँ ली मेरी मेरे साथ रहते हुए भी बस मान लिया कि ठीक ही होगी, तुमने पूछा ही कहाँ कुछ मुझसे बस मेरी खामोशी को समझ लिया की मेरी हाँ ही होगी, मैं जरूरी ही कहाँ थी उतनी जितना मैंने खुद को तुम्हारी जिंदगी में समझ लिया, मैंने तो बस सोच लिया की मैं तुम्हारे लिए कुछ खास होऊँगी पर मैं स्वीकार ही कहाँ पायी कुछ सच बस पाले रही वहम की खुशी ऐसी ही होती होगी, ये जो मानने और होने के बीच का फर्क होता है न उसे स्वीकारने में एक उम्र साथ गुजार देते है दो लोग और फिर पता ही नहीं चलता की कब एक दूसरे की आदत बन गए..! ©Matangi Upadhyay( चिंका )

#विचार #matangiupadhyay #thought  तुमने खबर ही कहाँ ली मेरी
 मेरे साथ रहते हुए भी बस मान लिया कि ठीक ही होगी, 
तुमने पूछा ही कहाँ कुछ मुझसे
 बस मेरी खामोशी को समझ लिया 
की मेरी हाँ ही होगी, 
मैं जरूरी ही कहाँ थी उतनी 
जितना मैंने खुद को तुम्हारी जिंदगी में समझ लिया, 
मैंने तो बस सोच लिया की 
मैं तुम्हारे लिए कुछ खास होऊँगी
 पर मैं स्वीकार ही कहाँ पायी 
कुछ सच बस पाले रही वहम
 की खुशी ऐसी ही होती होगी, 
ये जो मानने और होने के बीच का फर्क होता है
 न उसे स्वीकारने में एक उम्र साथ गुजार देते है
 दो लोग और फिर पता ही नहीं चलता
 की कब एक दूसरे की आदत बन गए..!

©Matangi Upadhyay( चिंका )

आदत बन गए हो तुम 🤔 #matangiupadhyay #thought #Life #Love

16 Love

#कविता #hindikavita #sad_shayari #HindiPoem #sadpoetry #Hindi  बंजर मन

#Poetry #sad_shayari #sadpoetry #Hindi #HindiPoem #hindikavita बंजर हो गए मन में...

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पहाड़ों से निकली एक धारा खास, सपनों से भरी, एक नई तलाश। पत्थरों से टकराई, राह बनाई, हर दर्द को हँसी में समेट लाई।। हर ठोकर को उसने गले लगाया, रुकना उसकी किस्मत में नहीं था। दर्द से उसने अपना राग बनाया, सच में, वो कभी थमा नहीं था।। जब सागर से मिली, वो हर्षित हुई, उसकी लहरों में हर पीड़ा समा गई।। सागर ने उसे अपनी बाहों में समेटा, उसकी हर बूंद में जीवन का सन्देश देखा। नदी ने कहा, "मैं खुद को समर्पित करती हूँ, पर हर बूंद से तुझे अमर कर देती हूँ।। फ़ना होकर भी, वो अमर हो गई, सागर के आँचल में हर याद बस गई। ©नवनीत ठाकुर

#कविता  पहाड़ों से निकली एक धारा खास,
सपनों से भरी, एक नई तलाश।
पत्थरों से टकराई, राह बनाई,
हर दर्द को हँसी में समेट लाई।।
हर ठोकर को उसने गले लगाया,
रुकना उसकी किस्मत में नहीं था।
दर्द से उसने अपना राग बनाया,
सच में, वो कभी थमा नहीं था।।
जब सागर से मिली, वो हर्षित हुई,
उसकी लहरों में हर पीड़ा समा गई।।
सागर ने उसे अपनी बाहों में समेटा,
उसकी हर बूंद में जीवन का सन्देश देखा।
नदी ने कहा, "मैं खुद को समर्पित करती हूँ,
पर हर बूंद से तुझे अमर कर देती हूँ।।
फ़ना होकर भी, वो अमर हो गई,
सागर के आँचल में हर याद बस गई।

©नवनीत ठाकुर

फना हो कर भी अमर हो गए

14 Love

White बहुत समझदार हो गए हैं आजकल के लोग...! रिश्ता वही तक रखते हैं...! जहां तक उनका मतलब होता है...! ©Anamika Raj

#Bhakti  White बहुत समझदार हो गए हैं 
आजकल के लोग...!
रिश्ता वही तक रखते हैं...! 
जहां तक उनका मतलब होता है...!

©Anamika Raj

बहुत समझदार हो गए है लोग..

17 Love

लोग हमें ऐसे देखते है।

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