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White विश्व मुस्कान दिवस के उपलक्ष्य में - कुण्डलिया - --------------------------------------- दूभर होती जा रही, एक इंच मुस्कान। ओढ़े  हैंं  गम्भीरता, माने मनुज महान।। माने मनुज महान, हृदय में भरे कुटिलता। आसपास है कौन, किसी से कभी न मिलता।। द्वेष कपट छल दम्भ, पालकर मूते भूभर। कैसा आया वक़्त, हुआ मुस्काना दूभर।। -हरिओम श्रीवास्तव- ©Hariom Shrivastava

#कविता #moon_day  White   विश्व मुस्कान दिवस के उपलक्ष्य में
- कुण्डलिया -
---------------------------------------
दूभर होती जा रही, एक इंच मुस्कान।
ओढ़े  हैंं  गम्भीरता, माने मनुज महान।।
माने मनुज महान, हृदय में भरे कुटिलता।
आसपास है कौन, किसी से कभी न मिलता।।
द्वेष कपट छल दम्भ, पालकर मूते भूभर।
कैसा आया वक़्त, हुआ मुस्काना दूभर।।

-हरिओम श्रीवास्तव-

©Hariom Shrivastava

#moon_day हिंदी कविता हिंदी कविता हिंदी कविता

14 Love

White पल्लव की डायरी गफलत में,है लोग जोर अन्याय का बढ़ रहा है तंत्र हावी होकर जनता को नींबू की तरह निचोड़ रहा है अस्त व्यस्त होकर कराहती जनता महँगाई का जिन्न कद में बड़ा हो रहा है माई बाप होती सरकारे जनता की जीने का संबल देती है खजाने का मतलब ही पोषण है जनता को फलने फूलने देती है मगर अब नजरिया शोषण का है ना रोजगार ना नॉकरी करने देती है कानून की पट्टी जनता के बांध अन्य आय संस्थाओं के माध्यम से करती रहती है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव"

#international_Justice_day #कविता #nojotohindi  White पल्लव की डायरी
गफलत में,है लोग
जोर अन्याय का बढ़ रहा है
तंत्र हावी होकर
जनता को नींबू की तरह निचोड़ रहा है
अस्त व्यस्त होकर कराहती जनता
महँगाई का जिन्न कद में बड़ा हो रहा है
माई बाप होती सरकारे जनता की
जीने का संबल देती है
खजाने का मतलब ही पोषण है
जनता को फलने फूलने देती है
मगर अब नजरिया शोषण का है
ना रोजगार ना नॉकरी करने देती है
कानून की पट्टी जनता के बांध
अन्य आय संस्थाओं के 
माध्यम से करती रहती है
                                       प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

#international_Justice_day कानून की पट्टी जनता के बाँध #nojotohindi

17 Love

White हिंदी में बिंदी भाए मात्रा देखत बुद्धि हेराए पंचमेल खिचड़ी समझ न आए और चले हिंदी को सरल, सहज एवं आसान बताए खाए रोटी हिंदी की और हिंदी कहत लजाए बच्चा पैदा होत ही अंग्रेजी गुण खिलाए जगह जगह पर पानी बदले, देश - देश में वाणी तो कैसे संभव हिंदी की विकास हमारी ©Priyanka Choudhary

#हिंदी #कविता #hindi_diwas  White हिंदी में बिंदी भाए 
मात्रा देखत बुद्धि हेराए 
पंचमेल खिचड़ी समझ न आए 
और चले हिंदी को सरल, सहज
 एवं आसान बताए

खाए रोटी हिंदी की और हिंदी कहत लजाए 
बच्चा पैदा होत ही अंग्रेजी गुण खिलाए
जगह जगह पर पानी बदले,
देश - देश में वाणी
तो कैसे संभव हिंदी की विकास हमारी

©Priyanka Choudhary

#hindi_diwas #हिंदी है हम#हिंदी कविता #हिंदी साहित्य

16 Love

#international_Justice_day #सस्ता #कानून  White गर कर भी दोगे खून, तो तुम छूट जाओगे,
सब्जी से सस्ता तो, यहां कानून बिकता है,

इंसानी जानोमाल की, कीमत नहीं है कुछ,
इंसान से ज्यादा तो, घर में कुत्ता दिखता है,

इक ओर तो है लूट, है रोटी की हाहाकार,
उनकी महफिलों का खाना, यूं नाली में फ़िंकता है,

गर है कहीं पैसा, तुम्हारी जेबों में भर के,
देखो खरीदी कर के, हर इंसान बिकता है,

वो झूठ ही है जो यहां, सिर चढ़ के है बोले,
दम तोड़ता वो सच, यहां सबको ही दिखता है,

©Pankaj Pahwa
#विचार

कानून किसके हाथ में

261 View

हरी-भरी ये धरती प्यारी, फूलों से सजी बगिया न्यारी। नीला अम्बर, सूरज की किरण, पंछियों की मीठी छवि न्यारी।नदी की बहती निर्मल धारा, पर्वत की ऊँची चोटी प्यारा। सांझ का सुंदर सजीव दृश्य, चाँदनी रात की शीतल छाया।वृक्षों की छाया, हवा की सरगम, बारिश की बूँदें, झरनों का संगम। प्रकृति का हर एक रूप निराला, इसमें बसी है सृष्टि की माया।धरती माँ का ये अनुपम उपहार, हम सबको इसे सहेजना है प्यार। प्रकृति के रंग में रंग जाना, इसका सौंदर्य हमें बचाना। ©Gobind Kumar

#कविता  हरी-भरी ये धरती प्यारी, फूलों से सजी बगिया न्यारी। नीला अम्बर, सूरज की किरण, पंछियों की मीठी छवि न्यारी।नदी की बहती निर्मल धारा, पर्वत की ऊँची चोटी प्यारा। सांझ का सुंदर सजीव दृश्य, चाँदनी रात की शीतल छाया।वृक्षों की छाया, हवा की सरगम, बारिश की बूँदें, झरनों का संगम। प्रकृति का हर एक रूप निराला, इसमें बसी है सृष्टि की माया।धरती माँ का ये अनुपम उपहार, हम सबको इसे सहेजना है प्यार। प्रकृति के रंग में रंग जाना, इसका सौंदर्य हमें बचाना।

©Gobind Kumar

हिंदी कविता... हिंदी कविता

7 Love

White विश्व मुस्कान दिवस के उपलक्ष्य में - कुण्डलिया - --------------------------------------- दूभर होती जा रही, एक इंच मुस्कान। ओढ़े  हैंं  गम्भीरता, माने मनुज महान।। माने मनुज महान, हृदय में भरे कुटिलता। आसपास है कौन, किसी से कभी न मिलता।। द्वेष कपट छल दम्भ, पालकर मूते भूभर। कैसा आया वक़्त, हुआ मुस्काना दूभर।। -हरिओम श्रीवास्तव- ©Hariom Shrivastava

#कविता #moon_day  White   विश्व मुस्कान दिवस के उपलक्ष्य में
- कुण्डलिया -
---------------------------------------
दूभर होती जा रही, एक इंच मुस्कान।
ओढ़े  हैंं  गम्भीरता, माने मनुज महान।।
माने मनुज महान, हृदय में भरे कुटिलता।
आसपास है कौन, किसी से कभी न मिलता।।
द्वेष कपट छल दम्भ, पालकर मूते भूभर।
कैसा आया वक़्त, हुआ मुस्काना दूभर।।

-हरिओम श्रीवास्तव-

©Hariom Shrivastava

#moon_day हिंदी कविता हिंदी कविता हिंदी कविता

14 Love

White पल्लव की डायरी गफलत में,है लोग जोर अन्याय का बढ़ रहा है तंत्र हावी होकर जनता को नींबू की तरह निचोड़ रहा है अस्त व्यस्त होकर कराहती जनता महँगाई का जिन्न कद में बड़ा हो रहा है माई बाप होती सरकारे जनता की जीने का संबल देती है खजाने का मतलब ही पोषण है जनता को फलने फूलने देती है मगर अब नजरिया शोषण का है ना रोजगार ना नॉकरी करने देती है कानून की पट्टी जनता के बांध अन्य आय संस्थाओं के माध्यम से करती रहती है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव"

#international_Justice_day #कविता #nojotohindi  White पल्लव की डायरी
गफलत में,है लोग
जोर अन्याय का बढ़ रहा है
तंत्र हावी होकर
जनता को नींबू की तरह निचोड़ रहा है
अस्त व्यस्त होकर कराहती जनता
महँगाई का जिन्न कद में बड़ा हो रहा है
माई बाप होती सरकारे जनता की
जीने का संबल देती है
खजाने का मतलब ही पोषण है
जनता को फलने फूलने देती है
मगर अब नजरिया शोषण का है
ना रोजगार ना नॉकरी करने देती है
कानून की पट्टी जनता के बांध
अन्य आय संस्थाओं के 
माध्यम से करती रहती है
                                       प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

#international_Justice_day कानून की पट्टी जनता के बाँध #nojotohindi

17 Love

White हिंदी में बिंदी भाए मात्रा देखत बुद्धि हेराए पंचमेल खिचड़ी समझ न आए और चले हिंदी को सरल, सहज एवं आसान बताए खाए रोटी हिंदी की और हिंदी कहत लजाए बच्चा पैदा होत ही अंग्रेजी गुण खिलाए जगह जगह पर पानी बदले, देश - देश में वाणी तो कैसे संभव हिंदी की विकास हमारी ©Priyanka Choudhary

#हिंदी #कविता #hindi_diwas  White हिंदी में बिंदी भाए 
मात्रा देखत बुद्धि हेराए 
पंचमेल खिचड़ी समझ न आए 
और चले हिंदी को सरल, सहज
 एवं आसान बताए

खाए रोटी हिंदी की और हिंदी कहत लजाए 
बच्चा पैदा होत ही अंग्रेजी गुण खिलाए
जगह जगह पर पानी बदले,
देश - देश में वाणी
तो कैसे संभव हिंदी की विकास हमारी

©Priyanka Choudhary

#hindi_diwas #हिंदी है हम#हिंदी कविता #हिंदी साहित्य

16 Love

#international_Justice_day #सस्ता #कानून  White गर कर भी दोगे खून, तो तुम छूट जाओगे,
सब्जी से सस्ता तो, यहां कानून बिकता है,

इंसानी जानोमाल की, कीमत नहीं है कुछ,
इंसान से ज्यादा तो, घर में कुत्ता दिखता है,

इक ओर तो है लूट, है रोटी की हाहाकार,
उनकी महफिलों का खाना, यूं नाली में फ़िंकता है,

गर है कहीं पैसा, तुम्हारी जेबों में भर के,
देखो खरीदी कर के, हर इंसान बिकता है,

वो झूठ ही है जो यहां, सिर चढ़ के है बोले,
दम तोड़ता वो सच, यहां सबको ही दिखता है,

©Pankaj Pahwa
#विचार

कानून किसके हाथ में

261 View

हरी-भरी ये धरती प्यारी, फूलों से सजी बगिया न्यारी। नीला अम्बर, सूरज की किरण, पंछियों की मीठी छवि न्यारी।नदी की बहती निर्मल धारा, पर्वत की ऊँची चोटी प्यारा। सांझ का सुंदर सजीव दृश्य, चाँदनी रात की शीतल छाया।वृक्षों की छाया, हवा की सरगम, बारिश की बूँदें, झरनों का संगम। प्रकृति का हर एक रूप निराला, इसमें बसी है सृष्टि की माया।धरती माँ का ये अनुपम उपहार, हम सबको इसे सहेजना है प्यार। प्रकृति के रंग में रंग जाना, इसका सौंदर्य हमें बचाना। ©Gobind Kumar

#कविता  हरी-भरी ये धरती प्यारी, फूलों से सजी बगिया न्यारी। नीला अम्बर, सूरज की किरण, पंछियों की मीठी छवि न्यारी।नदी की बहती निर्मल धारा, पर्वत की ऊँची चोटी प्यारा। सांझ का सुंदर सजीव दृश्य, चाँदनी रात की शीतल छाया।वृक्षों की छाया, हवा की सरगम, बारिश की बूँदें, झरनों का संगम। प्रकृति का हर एक रूप निराला, इसमें बसी है सृष्टि की माया।धरती माँ का ये अनुपम उपहार, हम सबको इसे सहेजना है प्यार। प्रकृति के रंग में रंग जाना, इसका सौंदर्य हमें बचाना।

©Gobind Kumar

हिंदी कविता... हिंदी कविता

7 Love

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