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Unsplash रिश्तों की अनुभूति जगत में, बीज खुशी के बोती है। फसलें उगती अपनेपन की, मन की पीड़ा खोती है। मत रखना मन में बैर कभी, छोटी छोटी बातों पर तन्हाई से लीपट के फिर, आंखें अपनी रोती है।। निलम अग्रवाला ©Nilam Agarwalla

#रिश्ते #कविता  Unsplash 
रिश्तों की अनुभूति जगत में, बीज खुशी के बोती है।
फसलें उगती अपनेपन की, मन की पीड़ा खोती है।
मत रखना मन में बैर कभी, छोटी छोटी बातों पर
तन्हाई से लीपट के फिर, आंखें अपनी रोती है।।
निलम अग्रवाला

©Nilam Agarwalla
#मोटिवेशनल #रिश्ते  रिश्ते कुछ छट गए कुछ अपने बच गए रिश्ते छट गए कुछ अपने बच गए

रिश्ते आजीवन हम सभी बनाते तरह तरह के रिश्ते इन रिश्तों के बीच में पड़कर हरदम रहते पिसते किसी से सुख मिलता है हमको किसी से मिलता दुःख अलग अलग रिश्तों पर अपना रोज बदलता रुख कोई रिश्ता नया बनाते मिलती हमे मिठास लेकिन जब जर्जर हो जाता नहीं फटकते पास बेखुद कोई दोस्त है बनता कोई बनता दुस्मन बिन रिश्तों के रूप कई हैं टूटें जब होता गम ©Sunil Kumar Maurya Bekhud

#रिश्ते #कविता  रिश्ते
आजीवन हम सभी बनाते
तरह तरह के रिश्ते
इन रिश्तों के बीच में पड़कर
हरदम रहते पिसते

किसी से सुख मिलता है हमको
किसी से मिलता दुःख
अलग अलग रिश्तों पर अपना
रोज बदलता रुख

कोई रिश्ता नया बनाते
मिलती हमे मिठास
लेकिन जब जर्जर हो जाता
नहीं फटकते पास

बेखुद कोई दोस्त है बनता
कोई  बनता दुस्मन
बिन रिश्तों के रूप कई हैं
टूटें जब होता गम

©Sunil Kumar Maurya Bekhud

Unsplash रिश्तों की अनुभूति जगत में, बीज खुशी के बोती है। फसलें उगती अपनेपन की, मन की पीड़ा खोती है। मत रखना मन में बैर कभी, छोटी छोटी बातों पर तन्हाई से लीपट के फिर, आंखें अपनी रोती है।। निलम अग्रवाला ©Nilam Agarwalla

#रिश्ते #कविता  Unsplash 
रिश्तों की अनुभूति जगत में, बीज खुशी के बोती है।
फसलें उगती अपनेपन की, मन की पीड़ा खोती है।
मत रखना मन में बैर कभी, छोटी छोटी बातों पर
तन्हाई से लीपट के फिर, आंखें अपनी रोती है।।
निलम अग्रवाला

©Nilam Agarwalla
#मोटिवेशनल #रिश्ते  रिश्ते कुछ छट गए कुछ अपने बच गए रिश्ते छट गए कुछ अपने बच गए

रिश्ते आजीवन हम सभी बनाते तरह तरह के रिश्ते इन रिश्तों के बीच में पड़कर हरदम रहते पिसते किसी से सुख मिलता है हमको किसी से मिलता दुःख अलग अलग रिश्तों पर अपना रोज बदलता रुख कोई रिश्ता नया बनाते मिलती हमे मिठास लेकिन जब जर्जर हो जाता नहीं फटकते पास बेखुद कोई दोस्त है बनता कोई बनता दुस्मन बिन रिश्तों के रूप कई हैं टूटें जब होता गम ©Sunil Kumar Maurya Bekhud

#रिश्ते #कविता  रिश्ते
आजीवन हम सभी बनाते
तरह तरह के रिश्ते
इन रिश्तों के बीच में पड़कर
हरदम रहते पिसते

किसी से सुख मिलता है हमको
किसी से मिलता दुःख
अलग अलग रिश्तों पर अपना
रोज बदलता रुख

कोई रिश्ता नया बनाते
मिलती हमे मिठास
लेकिन जब जर्जर हो जाता
नहीं फटकते पास

बेखुद कोई दोस्त है बनता
कोई  बनता दुस्मन
बिन रिश्तों के रूप कई हैं
टूटें जब होता गम

©Sunil Kumar Maurya Bekhud
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