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White सुनो तुम लौट क्यों नहीं आते, माना जो चला जाता है वो लौटता नहीं, लेकिन तुम लौट सकते हो, जैसे लौट आते है पत्ते दरख़्त पर, पतझड़ के बाद, वो जगह, वो यादें वैसी ही है, तुम्हारे लौटने के इंतजार में, लौट आओ और जीवित कर दो, उन सब जगहों को और मुझको, जो मुरझा से गए है राह ताकते तुम्हारी, तुम लौटोगे ना, लौट आना जरूर, अपने लिए ना सही, मेरे लिए, उन मौसमों के लिए, जो खिल उठते थे, तुम्हे देखकर, उन फूलों के लिए, जो महक उठते थे, तुम्हारे स्पर्श से, उस चेहरे , उन आंखों के लिए, जिन्हें सुकून मिलता है, तुम्हे मुस्कुराते देख... तुम लौटना, तुम लौट आना... ©Ajay Chaurasiya

#कविता #लौट  White सुनो तुम लौट क्यों नहीं आते,
माना जो चला जाता है वो लौटता नहीं,
लेकिन तुम लौट सकते हो,
जैसे लौट आते है पत्ते दरख़्त पर,
पतझड़ के बाद,
वो जगह, वो यादें वैसी ही है,
तुम्हारे लौटने के इंतजार में,
लौट आओ और जीवित कर दो,
उन सब जगहों को और मुझको,
जो मुरझा से गए है राह ताकते तुम्हारी,
तुम लौटोगे ना, लौट आना जरूर,
अपने लिए ना सही, मेरे लिए,
उन मौसमों के लिए,
जो खिल उठते थे, तुम्हे देखकर,
उन फूलों के लिए, जो महक उठते थे,
तुम्हारे स्पर्श से,
उस चेहरे , उन आंखों के लिए,
जिन्हें सुकून मिलता है,
तुम्हे मुस्कुराते देख...
तुम लौटना, तुम लौट आना...

©Ajay Chaurasiya

#लौट आना

12 Love

White आओ लौट चले, वही जहाँ से चले थे,,, by Urmee ki Dairy ©Urmeela Raikwar (parihar)

#विचार #Sad_Status  White आओ लौट चले, 
वही जहाँ से चले थे,,,

by
Urmee ki Dairy

©Urmeela Raikwar (parihar)

#Sad_Status लौट

14 Love

White आओ चले अब उन घरौंदों की और, जहाँ से हम कुछ पाने की चाह लिए निकले थे, बचपन लिये चले थे बुढ़ापा लेकर लौटे है , कुछ करने का ज़ज्बा लिये चले थे, फिर अब खाली हाथ लिये लौटे है, by Urmee ki Dairy ©Urmeela Raikwar (parihar)

#कोट्स #Sad_Status  White आओ चले अब उन घरौंदों की और, जहाँ से हम कुछ पाने की चाह लिए निकले थे, 
बचपन लिये चले थे बुढ़ापा लेकर लौटे है ,
कुछ करने का ज़ज्बा लिये चले थे, 
फिर  अब खाली हाथ लिये लौटे है,

by Urmee ki Dairy

©Urmeela Raikwar (parihar)

#Sad_Status आओ लौट चले

16 Love

White गम लिखते हर पन्ने में तुम मुझको मेरे साथ दिखी, तन्हा रोज बिलखने में तुम मुझको मेरे साथ दिखी, दुनियाँ कहती है सच होते है सब भौर दिखे सपने, आज सुबह के सपने में तुम मुझको मेरे साथ दिखी। चारण गोविन्द

#चारण_गोविन्द #शायरी #CharanGovindG #love_shayari #govindkesher  White गम लिखते हर पन्ने में तुम मुझको मेरे साथ दिखी, 
तन्हा रोज बिलखने में तुम मुझको मेरे साथ दिखी,

दुनियाँ कहती है सच होते है सब भौर दिखे सपने,
आज सुबह के सपने में तुम मुझको मेरे साथ दिखी।

चारण गोविन्द

प्रीत जो ताउम्र चलें। #चारण_गोविन्द #govindkesher #actual_poet #CharanGovindG #Dream #Love #Poetry #Teacher #RAJASTHANI #love_shayari

10 Love

White गम लिखते हर पन्ने में तुम मुझको मेरे साथ दिखी, तन्हा रोज बिलखने में तुम मुझको मेरे साथ दिखी, दुनियाँ कहती है सच होते है सब भौर दिखे सपने, आज सुबह के सपने में तुम मुझको मेरे साथ दिखी। चारण गोविन्द

#चारण_गोविन्द #शायरी #CharanGovindG #love_shayari #govindkesher  White गम लिखते हर पन्ने में तुम मुझको मेरे साथ दिखी, 
तन्हा रोज बिलखने में तुम मुझको मेरे साथ दिखी,

दुनियाँ कहती है सच होते है सब भौर दिखे सपने,
आज सुबह के सपने में तुम मुझको मेरे साथ दिखी।

चारण गोविन्द

प्रीत जो ताउम्र चलें। #चारण_गोविन्द #govindkesher #actual_poet #CharanGovindG #Dream #Love #Poetry #Teacher #RAJASTHANI #love_shayari

12 Love

*विधा     सरसी छन्द आधारित गीत* आओ लौट चलें अब साथी , सुंदर अपने गाँव । वहीं मिलेगी बरगद की सुन , शीतल हमको छाँव ।। आओ लौट चलें अब साथी .... पूर्ण हुई वह खुशियाँ सारी , जो थी मन में चाह । खूब कमाकर पैसा सोचा , करूँ सुता का ब्याह ।। आज उन्हीं बच्चों ने बोला , क्यों करते हो काँव । जिनकी खातिर ठुकरा आया, मातु-पिता की ठाँव । आओ लौट चलें अब साथी ..... स्वार्थ रहित जीवन जीने से , मरना उच्च उपाय । सुख की चाह लिए भागा मैं, और बढ़ाऊँ आय ।। यह जीवन मिथ्या कर डाला , पाया संग तनाव । देख मनुज से पशु बन बैठा , डालो गले गराँव ।। आओ लौट चलें अब साथी.... भूल गया मिट्टी के घर को , किया नहीं परवाह । मिला प्रेम था मातु-पिता से , लगा न पाया थाह ।। अच्छा रहना अच्छा खाना , मन में था ठहराव । सारा जीवन लगा दिया मैं , इन बच्चों पर दाँव ।। आओ लौट चलें अब साथी ..... झुकी कमर कहती है हमसे , मिटी हाथ की रेख । गर्दन भी ये अब न न  करती ,लोग रहे सब देख ।। वो सब हँसते हम पछताते, इतने हैं बदलाव । मूर्ख बना हूँ छोड़ गाँव को , बदली जीवन नाँव ।। आओ लौट चलें साथी अब ... कभी लोभ में पड़कर भैय्या , छोड़ न जाना गाँव । एक प्रकृति ही देती हमको , शीतल-शीतल छाँव ।। और न कोई सगा धरा पर , झूठा सभी लगाव । अब यह जीवन है सुन दरिया , जाऊँ जिधर बहाव ।। आओ लौट चलें अब साथी.... आओ लौट चलें अब साथी , सुंदर अपने गाँव । वहीं मिलेगी बरगद की सुन , शीतल हमको छाँव ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  *विधा     सरसी छन्द आधारित गीत*

आओ लौट चलें अब साथी , सुंदर अपने गाँव ।
वहीं मिलेगी बरगद की सुन , शीतल हमको छाँव ।।
आओ लौट चलें अब साथी ....

पूर्ण हुई वह खुशियाँ सारी , जो थी मन में चाह ।
खूब कमाकर पैसा सोचा , करूँ सुता का ब्याह ।।
आज उन्हीं बच्चों ने बोला , क्यों करते हो काँव ।
जिनकी खातिर ठुकरा आया, मातु-पिता की ठाँव ।
आओ लौट चलें अब साथी .....

स्वार्थ रहित जीवन जीने से , मरना उच्च उपाय ।
सुख की चाह लिए भागा मैं, और बढ़ाऊँ आय ।।
यह जीवन मिथ्या कर डाला , पाया संग तनाव ।
देख मनुज से पशु बन बैठा , डालो गले गराँव ।।
आओ लौट चलें अब साथी....

भूल गया मिट्टी के घर को , किया नहीं परवाह ।
मिला प्रेम था मातु-पिता से , लगा न पाया थाह ।।
अच्छा रहना अच्छा खाना , मन में था ठहराव ।
सारा जीवन लगा दिया मैं , इन बच्चों पर दाँव ।।
आओ लौट चलें अब साथी .....

झुकी कमर कहती है हमसे , मिटी हाथ की रेख ।
गर्दन भी ये अब न न  करती ,लोग रहे सब देख ।।
वो सब हँसते हम पछताते, इतने हैं बदलाव ।
मूर्ख बना हूँ छोड़ गाँव को , बदली जीवन नाँव ।।
आओ लौट चलें साथी अब ...

कभी लोभ में पड़कर भैय्या , छोड़ न जाना गाँव ।
एक प्रकृति ही देती हमको , शीतल-शीतल छाँव ।।
और न कोई सगा धरा पर , झूठा सभी लगाव ।
अब यह जीवन है सुन दरिया , जाऊँ जिधर बहाव ।।
आओ लौट चलें अब साथी....

आओ लौट चलें अब साथी , सुंदर अपने गाँव ।
वहीं मिलेगी बरगद की सुन , शीतल हमको छाँव ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

*विधा     सरसी छन्द आधारित गीत* आओ लौट चलें अब साथी , सुंदर अपने गाँव । वहीं मिलेगी बरगद की सुन , शीतल हमको छाँव ।। आओ लौट चलें अब साथी ...

15 Love

White सुनो तुम लौट क्यों नहीं आते, माना जो चला जाता है वो लौटता नहीं, लेकिन तुम लौट सकते हो, जैसे लौट आते है पत्ते दरख़्त पर, पतझड़ के बाद, वो जगह, वो यादें वैसी ही है, तुम्हारे लौटने के इंतजार में, लौट आओ और जीवित कर दो, उन सब जगहों को और मुझको, जो मुरझा से गए है राह ताकते तुम्हारी, तुम लौटोगे ना, लौट आना जरूर, अपने लिए ना सही, मेरे लिए, उन मौसमों के लिए, जो खिल उठते थे, तुम्हे देखकर, उन फूलों के लिए, जो महक उठते थे, तुम्हारे स्पर्श से, उस चेहरे , उन आंखों के लिए, जिन्हें सुकून मिलता है, तुम्हे मुस्कुराते देख... तुम लौटना, तुम लौट आना... ©Ajay Chaurasiya

#कविता #लौट  White सुनो तुम लौट क्यों नहीं आते,
माना जो चला जाता है वो लौटता नहीं,
लेकिन तुम लौट सकते हो,
जैसे लौट आते है पत्ते दरख़्त पर,
पतझड़ के बाद,
वो जगह, वो यादें वैसी ही है,
तुम्हारे लौटने के इंतजार में,
लौट आओ और जीवित कर दो,
उन सब जगहों को और मुझको,
जो मुरझा से गए है राह ताकते तुम्हारी,
तुम लौटोगे ना, लौट आना जरूर,
अपने लिए ना सही, मेरे लिए,
उन मौसमों के लिए,
जो खिल उठते थे, तुम्हे देखकर,
उन फूलों के लिए, जो महक उठते थे,
तुम्हारे स्पर्श से,
उस चेहरे , उन आंखों के लिए,
जिन्हें सुकून मिलता है,
तुम्हे मुस्कुराते देख...
तुम लौटना, तुम लौट आना...

©Ajay Chaurasiya

#लौट आना

12 Love

White आओ लौट चले, वही जहाँ से चले थे,,, by Urmee ki Dairy ©Urmeela Raikwar (parihar)

#विचार #Sad_Status  White आओ लौट चले, 
वही जहाँ से चले थे,,,

by
Urmee ki Dairy

©Urmeela Raikwar (parihar)

#Sad_Status लौट

14 Love

White आओ चले अब उन घरौंदों की और, जहाँ से हम कुछ पाने की चाह लिए निकले थे, बचपन लिये चले थे बुढ़ापा लेकर लौटे है , कुछ करने का ज़ज्बा लिये चले थे, फिर अब खाली हाथ लिये लौटे है, by Urmee ki Dairy ©Urmeela Raikwar (parihar)

#कोट्स #Sad_Status  White आओ चले अब उन घरौंदों की और, जहाँ से हम कुछ पाने की चाह लिए निकले थे, 
बचपन लिये चले थे बुढ़ापा लेकर लौटे है ,
कुछ करने का ज़ज्बा लिये चले थे, 
फिर  अब खाली हाथ लिये लौटे है,

by Urmee ki Dairy

©Urmeela Raikwar (parihar)

#Sad_Status आओ लौट चले

16 Love

White गम लिखते हर पन्ने में तुम मुझको मेरे साथ दिखी, तन्हा रोज बिलखने में तुम मुझको मेरे साथ दिखी, दुनियाँ कहती है सच होते है सब भौर दिखे सपने, आज सुबह के सपने में तुम मुझको मेरे साथ दिखी। चारण गोविन्द

#चारण_गोविन्द #शायरी #CharanGovindG #love_shayari #govindkesher  White गम लिखते हर पन्ने में तुम मुझको मेरे साथ दिखी, 
तन्हा रोज बिलखने में तुम मुझको मेरे साथ दिखी,

दुनियाँ कहती है सच होते है सब भौर दिखे सपने,
आज सुबह के सपने में तुम मुझको मेरे साथ दिखी।

चारण गोविन्द

प्रीत जो ताउम्र चलें। #चारण_गोविन्द #govindkesher #actual_poet #CharanGovindG #Dream #Love #Poetry #Teacher #RAJASTHANI #love_shayari

10 Love

White गम लिखते हर पन्ने में तुम मुझको मेरे साथ दिखी, तन्हा रोज बिलखने में तुम मुझको मेरे साथ दिखी, दुनियाँ कहती है सच होते है सब भौर दिखे सपने, आज सुबह के सपने में तुम मुझको मेरे साथ दिखी। चारण गोविन्द

#चारण_गोविन्द #शायरी #CharanGovindG #love_shayari #govindkesher  White गम लिखते हर पन्ने में तुम मुझको मेरे साथ दिखी, 
तन्हा रोज बिलखने में तुम मुझको मेरे साथ दिखी,

दुनियाँ कहती है सच होते है सब भौर दिखे सपने,
आज सुबह के सपने में तुम मुझको मेरे साथ दिखी।

चारण गोविन्द

प्रीत जो ताउम्र चलें। #चारण_गोविन्द #govindkesher #actual_poet #CharanGovindG #Dream #Love #Poetry #Teacher #RAJASTHANI #love_shayari

12 Love

*विधा     सरसी छन्द आधारित गीत* आओ लौट चलें अब साथी , सुंदर अपने गाँव । वहीं मिलेगी बरगद की सुन , शीतल हमको छाँव ।। आओ लौट चलें अब साथी .... पूर्ण हुई वह खुशियाँ सारी , जो थी मन में चाह । खूब कमाकर पैसा सोचा , करूँ सुता का ब्याह ।। आज उन्हीं बच्चों ने बोला , क्यों करते हो काँव । जिनकी खातिर ठुकरा आया, मातु-पिता की ठाँव । आओ लौट चलें अब साथी ..... स्वार्थ रहित जीवन जीने से , मरना उच्च उपाय । सुख की चाह लिए भागा मैं, और बढ़ाऊँ आय ।। यह जीवन मिथ्या कर डाला , पाया संग तनाव । देख मनुज से पशु बन बैठा , डालो गले गराँव ।। आओ लौट चलें अब साथी.... भूल गया मिट्टी के घर को , किया नहीं परवाह । मिला प्रेम था मातु-पिता से , लगा न पाया थाह ।। अच्छा रहना अच्छा खाना , मन में था ठहराव । सारा जीवन लगा दिया मैं , इन बच्चों पर दाँव ।। आओ लौट चलें अब साथी ..... झुकी कमर कहती है हमसे , मिटी हाथ की रेख । गर्दन भी ये अब न न  करती ,लोग रहे सब देख ।। वो सब हँसते हम पछताते, इतने हैं बदलाव । मूर्ख बना हूँ छोड़ गाँव को , बदली जीवन नाँव ।। आओ लौट चलें साथी अब ... कभी लोभ में पड़कर भैय्या , छोड़ न जाना गाँव । एक प्रकृति ही देती हमको , शीतल-शीतल छाँव ।। और न कोई सगा धरा पर , झूठा सभी लगाव । अब यह जीवन है सुन दरिया , जाऊँ जिधर बहाव ।। आओ लौट चलें अब साथी.... आओ लौट चलें अब साथी , सुंदर अपने गाँव । वहीं मिलेगी बरगद की सुन , शीतल हमको छाँव ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  *विधा     सरसी छन्द आधारित गीत*

आओ लौट चलें अब साथी , सुंदर अपने गाँव ।
वहीं मिलेगी बरगद की सुन , शीतल हमको छाँव ।।
आओ लौट चलें अब साथी ....

पूर्ण हुई वह खुशियाँ सारी , जो थी मन में चाह ।
खूब कमाकर पैसा सोचा , करूँ सुता का ब्याह ।।
आज उन्हीं बच्चों ने बोला , क्यों करते हो काँव ।
जिनकी खातिर ठुकरा आया, मातु-पिता की ठाँव ।
आओ लौट चलें अब साथी .....

स्वार्थ रहित जीवन जीने से , मरना उच्च उपाय ।
सुख की चाह लिए भागा मैं, और बढ़ाऊँ आय ।।
यह जीवन मिथ्या कर डाला , पाया संग तनाव ।
देख मनुज से पशु बन बैठा , डालो गले गराँव ।।
आओ लौट चलें अब साथी....

भूल गया मिट्टी के घर को , किया नहीं परवाह ।
मिला प्रेम था मातु-पिता से , लगा न पाया थाह ।।
अच्छा रहना अच्छा खाना , मन में था ठहराव ।
सारा जीवन लगा दिया मैं , इन बच्चों पर दाँव ।।
आओ लौट चलें अब साथी .....

झुकी कमर कहती है हमसे , मिटी हाथ की रेख ।
गर्दन भी ये अब न न  करती ,लोग रहे सब देख ।।
वो सब हँसते हम पछताते, इतने हैं बदलाव ।
मूर्ख बना हूँ छोड़ गाँव को , बदली जीवन नाँव ।।
आओ लौट चलें साथी अब ...

कभी लोभ में पड़कर भैय्या , छोड़ न जाना गाँव ।
एक प्रकृति ही देती हमको , शीतल-शीतल छाँव ।।
और न कोई सगा धरा पर , झूठा सभी लगाव ।
अब यह जीवन है सुन दरिया , जाऊँ जिधर बहाव ।।
आओ लौट चलें अब साथी....

आओ लौट चलें अब साथी , सुंदर अपने गाँव ।
वहीं मिलेगी बरगद की सुन , शीतल हमको छाँव ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

*विधा     सरसी छन्द आधारित गीत* आओ लौट चलें अब साथी , सुंदर अपने गाँव । वहीं मिलेगी बरगद की सुन , शीतल हमको छाँव ।। आओ लौट चलें अब साथी ...

15 Love

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