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White {Bolo Ji Radhey Radhey} इस दुनिया में वही सुखी व भाग्यवान हैं, जिसके पास भोजन के साथ भूख हो, बिस्तर के साथ नींद, धन के साथ धर्म व संस्कार हैं। जय श्री राधेकृष्ण जी।। ©N S Yadav GoldMine

#मोटिवेशनल #life_quotes  White {Bolo Ji Radhey Radhey}
इस दुनिया में वही सुखी व 
भाग्यवान हैं, जिसके पास भोजन 
के साथ भूख हो, बिस्तर के साथ 
नींद, धन के साथ धर्म व संस्कार हैं।
जय श्री राधेकृष्ण जी।।

©N S Yadav GoldMine

#life_quotes {Bolo Ji Radhey Radhey} इस दुनिया में वही सुखी व भाग्यवान हैं, जिसके पास भोजन के साथ भूख हो, बिस्तर के साथ नींद, धन के साथ ध

13 Love

#shrirammandir #Motivational

#shrirammandir भरपेट भोजन कराने के पश्चात शब्द... "कुछ और चाहिए?" मां!

117 View

माँ मुझे वरदान दो की रूप निराला अम्बे माँ का,भक्तों आओ दरस करो। हे दुष्टों को दलने वाली,हे कल्याणी त्राण हरो।। चहुँओर ही दनुज हैं फैले,भीत मनुज हैं चीत्कारे। पापी पलड़ा ऐसा भारी,यहाँ पुण्य को फटकारे।। भूखे निर्धन बिलक रहे हैं,भोजन धनिक यहाँ फेंके। जिनके घर वस्त्रों की धारा,वे चीथड़ों को न क्यों देखे।। ©Bharat Bhushan pathak

#Bhakti  माँ  मुझे  वरदान  दो  की  रूप निराला अम्बे माँ का,भक्तों आओ दरस करो।
हे दुष्टों को दलने वाली,हे कल्याणी त्राण हरो।।
चहुँओर ही दनुज हैं फैले,भीत मनुज हैं चीत्कारे।
पापी पलड़ा ऐसा भारी,यहाँ पुण्य को फटकारे।।
 भूखे निर्धन बिलक रहे हैं,भोजन धनिक यहाँ फेंके।
जिनके घर वस्त्रों की धारा,वे चीथड़ों को न क्यों देखे।।

©Bharat Bhushan pathak

रूप निराला अम्बे माँ का,भक्तों आओ दरस करो। हे दुष्टों को दलने वाली,हे कल्याणी त्राण हरो।। चहुँओर ही दनुज हैं फैले,भीत मनुज हैं चीत्कारे। पाप

14 Love

White {Bolo Ji Radhey Radhey} 🌙 जो लोग किसी कारण एकादशी व्रत नहीं रखते हैं, उन्हें एकादशी के दिन भोजन में चावल का प्रयोग नहीं करना चाहिए, तथा झूठ एवं परनिंदा से बचना चाहिए, उसके साथ मन भगवान श्री कृष्ण का लगातार चिंतन करना चाहिए, और जो व्यक्ति एकादशी के दिन विष्णु सहस्रनाम का पाठ करता है, उस पर भगवान विष्णु की विशेष कृपा होती है। जय श्री राधेकृष्ण जी। ©N S Yadav GoldMine

#मोटिवेशनल #sad_quotes  White {Bolo Ji Radhey Radhey}
🌙 जो लोग किसी कारण एकादशी 
व्रत नहीं रखते हैं, उन्हें एकादशी के 
दिन भोजन में चावल का प्रयोग नहीं 
करना चाहिए, तथा झूठ एवं परनिंदा 
से बचना चाहिए, उसके साथ मन 
भगवान श्री कृष्ण का लगातार चिंतन 
करना चाहिए, और जो व्यक्ति एकादशी 
के दिन विष्णु सहस्रनाम का पाठ करता 
है, उस पर भगवान विष्णु की विशेष 
कृपा होती है। जय श्री राधेकृष्ण जी।

©N S Yadav GoldMine

#sad_quotes {Bolo Ji Radhey Radhey} 🌙 जो लोग किसी कारण एकादशी व्रत नहीं रखते हैं, उन्हें एकादशी के दिन भोजन में चावल का प्रयोग नहीं करना

13 Love

हल्का भोजन हल्का मन, पेट खाली दिमाग भ्रम, फ्री का पाकर खाने में काहे का लागे शर्म..! ©Himanshu Prajapati

#विचार #hpstrange #36gyan #Funny  हल्का भोजन हल्का मन,
पेट खाली दिमाग भ्रम,
फ्री का पाकर खाने में 
काहे का लागे शर्म..!

©Himanshu Prajapati

#Funny हल्का भोजन हल्का मन, पेट खाली दिमाग भ्रम, फ्री का पाकर खाने में काहे का लागे शर्म..! #hpstrange #36gyan

17 Love

गीत :- तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार । क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।। तुम जननी हो इस जग की .... पुरुष वर्ग नारी पर भारी , क्यों होता है करो विचार । निकल पड़ो हाथो में लेकर , घर से अपने आज कटार ।। बेटे भाई पति को अपने , दान करो अपने शृंगार । तुम जननी हो इस जग की .... कितनी बहनें कितनी बेटी , होंगी कब तक भला शिकार । चुप बैठी है सत्ता सारी , विवश हुआ है पालनहार ।। मन में अपने दीप जलाओ , नहीं मोम से जग उँजियार । तुम जननी हो इस जग की ..... छोड़ों चकला बेलन सारे , बढ़कर इन पर करो प्रहार । बहुत खिलाया बना-बना कर , इन्हें पौष्टिक तुम आहार ।। बन चंडी अब पहन गले में ,  इनको मुंडों का तू हार । तुम जननी हो इस जग की .... बन्द करो सभी भैय्या दूज , बन्द करो राखी त्यौहार । ये इसके हकदार नही है , आज त्याग दो इनका प्यार ।। जहाँ दिखे शैतान तुम्हें ये , वहीं निकालो तुम तलवार । तुम जननी हो इस जग की .... सिर्फ बेटियाँ जन्म लिए अब , सुतों का कर दो बहिष्कार । खो बैठें है यह सब सारे , बेटा होने का अधिकार ।। मिलकर जग से दूर करो यह , फैल रहा जो आज विकार । तुम जननी हो इस जग की .... तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार । क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  गीत :-
तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार ।
क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।।
तुम जननी हो इस जग की ....

पुरुष वर्ग नारी पर भारी , क्यों होता है करो विचार ।
निकल पड़ो हाथो में लेकर , घर से अपने आज कटार ।।
बेटे भाई पति को अपने , दान करो अपने शृंगार ।
तुम जननी हो इस जग की ....

कितनी बहनें कितनी बेटी , होंगी कब तक भला शिकार ।
चुप बैठी है सत्ता सारी , विवश हुआ है पालनहार ।।
मन में अपने दीप जलाओ , नहीं मोम से जग उँजियार ।
तुम जननी हो इस जग की .....

छोड़ों चकला बेलन सारे , बढ़कर इन पर करो प्रहार ।
बहुत खिलाया बना-बना कर , इन्हें पौष्टिक तुम आहार ।।
बन चंडी अब पहन गले में ,  इनको मुंडों का तू हार ।
तुम जननी हो इस जग की ....

बन्द करो सभी भैय्या दूज , बन्द करो राखी त्यौहार ।
ये इसके हकदार नही है , आज त्याग दो इनका प्यार ।।
जहाँ दिखे शैतान तुम्हें ये , वहीं निकालो तुम तलवार ।
तुम जननी हो इस जग की ....

सिर्फ बेटियाँ जन्म लिए अब , सुतों का कर दो बहिष्कार ।
खो बैठें है यह सब सारे , बेटा होने का अधिकार ।।
मिलकर जग से दूर करो यह , फैल रहा जो आज विकार ।
तुम जननी हो इस जग की ....

तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार ।
क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

गीत :- तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार । क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।। तुम जननी हो इस जग की .... पुरुष

12 Love

White {Bolo Ji Radhey Radhey} इस दुनिया में वही सुखी व भाग्यवान हैं, जिसके पास भोजन के साथ भूख हो, बिस्तर के साथ नींद, धन के साथ धर्म व संस्कार हैं। जय श्री राधेकृष्ण जी।। ©N S Yadav GoldMine

#मोटिवेशनल #life_quotes  White {Bolo Ji Radhey Radhey}
इस दुनिया में वही सुखी व 
भाग्यवान हैं, जिसके पास भोजन 
के साथ भूख हो, बिस्तर के साथ 
नींद, धन के साथ धर्म व संस्कार हैं।
जय श्री राधेकृष्ण जी।।

©N S Yadav GoldMine

#life_quotes {Bolo Ji Radhey Radhey} इस दुनिया में वही सुखी व भाग्यवान हैं, जिसके पास भोजन के साथ भूख हो, बिस्तर के साथ नींद, धन के साथ ध

13 Love

#shrirammandir #Motivational

#shrirammandir भरपेट भोजन कराने के पश्चात शब्द... "कुछ और चाहिए?" मां!

117 View

माँ मुझे वरदान दो की रूप निराला अम्बे माँ का,भक्तों आओ दरस करो। हे दुष्टों को दलने वाली,हे कल्याणी त्राण हरो।। चहुँओर ही दनुज हैं फैले,भीत मनुज हैं चीत्कारे। पापी पलड़ा ऐसा भारी,यहाँ पुण्य को फटकारे।। भूखे निर्धन बिलक रहे हैं,भोजन धनिक यहाँ फेंके। जिनके घर वस्त्रों की धारा,वे चीथड़ों को न क्यों देखे।। ©Bharat Bhushan pathak

#Bhakti  माँ  मुझे  वरदान  दो  की  रूप निराला अम्बे माँ का,भक्तों आओ दरस करो।
हे दुष्टों को दलने वाली,हे कल्याणी त्राण हरो।।
चहुँओर ही दनुज हैं फैले,भीत मनुज हैं चीत्कारे।
पापी पलड़ा ऐसा भारी,यहाँ पुण्य को फटकारे।।
 भूखे निर्धन बिलक रहे हैं,भोजन धनिक यहाँ फेंके।
जिनके घर वस्त्रों की धारा,वे चीथड़ों को न क्यों देखे।।

©Bharat Bhushan pathak

रूप निराला अम्बे माँ का,भक्तों आओ दरस करो। हे दुष्टों को दलने वाली,हे कल्याणी त्राण हरो।। चहुँओर ही दनुज हैं फैले,भीत मनुज हैं चीत्कारे। पाप

14 Love

White {Bolo Ji Radhey Radhey} 🌙 जो लोग किसी कारण एकादशी व्रत नहीं रखते हैं, उन्हें एकादशी के दिन भोजन में चावल का प्रयोग नहीं करना चाहिए, तथा झूठ एवं परनिंदा से बचना चाहिए, उसके साथ मन भगवान श्री कृष्ण का लगातार चिंतन करना चाहिए, और जो व्यक्ति एकादशी के दिन विष्णु सहस्रनाम का पाठ करता है, उस पर भगवान विष्णु की विशेष कृपा होती है। जय श्री राधेकृष्ण जी। ©N S Yadav GoldMine

#मोटिवेशनल #sad_quotes  White {Bolo Ji Radhey Radhey}
🌙 जो लोग किसी कारण एकादशी 
व्रत नहीं रखते हैं, उन्हें एकादशी के 
दिन भोजन में चावल का प्रयोग नहीं 
करना चाहिए, तथा झूठ एवं परनिंदा 
से बचना चाहिए, उसके साथ मन 
भगवान श्री कृष्ण का लगातार चिंतन 
करना चाहिए, और जो व्यक्ति एकादशी 
के दिन विष्णु सहस्रनाम का पाठ करता 
है, उस पर भगवान विष्णु की विशेष 
कृपा होती है। जय श्री राधेकृष्ण जी।

©N S Yadav GoldMine

#sad_quotes {Bolo Ji Radhey Radhey} 🌙 जो लोग किसी कारण एकादशी व्रत नहीं रखते हैं, उन्हें एकादशी के दिन भोजन में चावल का प्रयोग नहीं करना

13 Love

हल्का भोजन हल्का मन, पेट खाली दिमाग भ्रम, फ्री का पाकर खाने में काहे का लागे शर्म..! ©Himanshu Prajapati

#विचार #hpstrange #36gyan #Funny  हल्का भोजन हल्का मन,
पेट खाली दिमाग भ्रम,
फ्री का पाकर खाने में 
काहे का लागे शर्म..!

©Himanshu Prajapati

#Funny हल्का भोजन हल्का मन, पेट खाली दिमाग भ्रम, फ्री का पाकर खाने में काहे का लागे शर्म..! #hpstrange #36gyan

17 Love

गीत :- तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार । क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।। तुम जननी हो इस जग की .... पुरुष वर्ग नारी पर भारी , क्यों होता है करो विचार । निकल पड़ो हाथो में लेकर , घर से अपने आज कटार ।। बेटे भाई पति को अपने , दान करो अपने शृंगार । तुम जननी हो इस जग की .... कितनी बहनें कितनी बेटी , होंगी कब तक भला शिकार । चुप बैठी है सत्ता सारी , विवश हुआ है पालनहार ।। मन में अपने दीप जलाओ , नहीं मोम से जग उँजियार । तुम जननी हो इस जग की ..... छोड़ों चकला बेलन सारे , बढ़कर इन पर करो प्रहार । बहुत खिलाया बना-बना कर , इन्हें पौष्टिक तुम आहार ।। बन चंडी अब पहन गले में ,  इनको मुंडों का तू हार । तुम जननी हो इस जग की .... बन्द करो सभी भैय्या दूज , बन्द करो राखी त्यौहार । ये इसके हकदार नही है , आज त्याग दो इनका प्यार ।। जहाँ दिखे शैतान तुम्हें ये , वहीं निकालो तुम तलवार । तुम जननी हो इस जग की .... सिर्फ बेटियाँ जन्म लिए अब , सुतों का कर दो बहिष्कार । खो बैठें है यह सब सारे , बेटा होने का अधिकार ।। मिलकर जग से दूर करो यह , फैल रहा जो आज विकार । तुम जननी हो इस जग की .... तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार । क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  गीत :-
तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार ।
क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।।
तुम जननी हो इस जग की ....

पुरुष वर्ग नारी पर भारी , क्यों होता है करो विचार ।
निकल पड़ो हाथो में लेकर , घर से अपने आज कटार ।।
बेटे भाई पति को अपने , दान करो अपने शृंगार ।
तुम जननी हो इस जग की ....

कितनी बहनें कितनी बेटी , होंगी कब तक भला शिकार ।
चुप बैठी है सत्ता सारी , विवश हुआ है पालनहार ।।
मन में अपने दीप जलाओ , नहीं मोम से जग उँजियार ।
तुम जननी हो इस जग की .....

छोड़ों चकला बेलन सारे , बढ़कर इन पर करो प्रहार ।
बहुत खिलाया बना-बना कर , इन्हें पौष्टिक तुम आहार ।।
बन चंडी अब पहन गले में ,  इनको मुंडों का तू हार ।
तुम जननी हो इस जग की ....

बन्द करो सभी भैय्या दूज , बन्द करो राखी त्यौहार ।
ये इसके हकदार नही है , आज त्याग दो इनका प्यार ।।
जहाँ दिखे शैतान तुम्हें ये , वहीं निकालो तुम तलवार ।
तुम जननी हो इस जग की ....

सिर्फ बेटियाँ जन्म लिए अब , सुतों का कर दो बहिष्कार ।
खो बैठें है यह सब सारे , बेटा होने का अधिकार ।।
मिलकर जग से दूर करो यह , फैल रहा जो आज विकार ।
तुम जननी हो इस जग की ....

तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार ।
क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

गीत :- तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार । क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।। तुम जननी हो इस जग की .... पुरुष

12 Love

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