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"इत्र, मित्र, चित्र और चरित्र" ©Shayraa

#hindi_quotes #life_quotes #Quotes  "इत्र, मित्र, चित्र और चरित्र"

©Shayraa

"इत्र ,मित्र, चित्र और चरित्र" #life_quotes #hindi_quotes

15 Love

White पल्लव की डायरी अध्ययन और अध्यापन स्तरहीन हुये गति देश समाज को दे नही पा रहे है आचरण और संस्कार की बाट लगा दी चरित्रों के चित्र खिल नही पा रहे है त्याग संयम गुरुओ का आकर्षण था जो छात्रों में नैतिकबल भरता था एक टीचर अपने ज्ञान से सौ सौ सूरज की प्रज्ञा प्रज्वलित करता था दिशाहीन को दिशा देकर भविष्य का नव निर्माण करता था प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव"

#कविता #teachers_day  White पल्लव की डायरी
अध्ययन और अध्यापन  स्तरहीन हुये
गति देश समाज को दे नही पा रहे है
आचरण और संस्कार की बाट लगा दी
चरित्रों के चित्र खिल नही पा रहे है
त्याग संयम गुरुओ का आकर्षण था
जो छात्रों में नैतिकबल भरता था
एक टीचर अपने ज्ञान से
सौ सौ सूरज की प्रज्ञा प्रज्वलित करता था
दिशाहीन को दिशा देकर
भविष्य का नव निर्माण करता था
                                         प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

#teachers_day चरित्रों के चित्र खिल नही पा रहे है

16 Love

a-person-standing-on-a-beach-at-sunset इस ज़िंदगी को हल्के में ना लो और ना लो भारी में कब, कैसे और कहां जाने क्या क़ीमत चुकानी पड़े इसलिए सोच-समझकर रहो अपनी पुरी तैयारी में ©अदनासा-

#तैयारी #जिंदगी #हिंदी #शायरी #क़ीमत #हल्की  a-person-standing-on-a-beach-at-sunset इस ज़िंदगी को हल्के में ना लो और ना लो भारी में
कब, कैसे और कहां जाने क्या क़ीमत चुकानी पड़े
इसलिए सोच-समझकर रहो अपनी पुरी तैयारी में

©अदनासा-

चित्र सौजन्य एवं हार्दिक आभार 💐🌹🙏😊🇮🇳🇮🇳 Nojoto App. #हिंदी #जिंदगी #हल्की #भारी #क़ीमत #तैयारी #SunSet #Instagram #Facebook शायरी हिंदी मे

25 Love

ढलती मेरी उम्र का यह कहना है तेरी ये जवानी हो रही रुख़्सत है लेकिन यारों मुहब्बत की ख़ातिर इस दिल को फ़ुर्सत ही फ़ुर्सत है ©अदनासा-

 ढलती मेरी उम्र का यह कहना है
तेरी ये जवानी हो रही रुख़्सत है
लेकिन यारों मुहब्बत की ख़ातिर
इस दिल को फ़ुर्सत ही फ़ुर्सत है

©अदनासा-

चित्र सौजन्य एवं हार्दिक आभार💐🌹🙏😊🇮🇳🇮🇳 Nojoto App #हिंदी #शायरी #उम्र #जवानी #फ़ुर्सत #रुख़्सत #Heart #Instagram #Facebook #अदनासा लव शायरी

26 Love

#जबरदस्त #सियासत #अदनासा #हिंदी #शायरी #मज़हब  कोई ढूंढता है मंदिर तो कोई ढूंढता मस्जिद
कोई गिरजाघर तो ढूंढता कोई गुरूद्वारा है
ग़ज़ब बोलता है झूठ और करे नाहक ज़िद्द
यह सीनाजोर सियासत मज़हब का मारा है
तारीख़ें खोद नया वतन बनेगा भारत न्यारा 
अवाम मज़हबी अफ़ीम चाटने में मदमस्त है
बाकी है आवामी "अदनासा" उम्मीद प्यारा
इंसानियत का पैगाम जब-तक जबरदस्त है

©अदनासा-

चित्र सौजन्य एवं हार्दिक आभार💐🌹🙏😊🇮🇳🇮🇳https://pin.it/7KhY4q2Bb #हिंदी #सियासत #आवाम #मज़हब #अफ़ीम #जिद्द #जबरदस्त #Pinterest #Instagram #अदन

126 View

"जनता, पत्रकार और सरकार" हृदय में कैद हर दबे, कुचले, डरे हुए, हर प्रकार के शब्दों को, जो निर्भीक वाणी दे सके, जो सत्ता के विरुद्ध हो तटस्थ नही, जिनमें आलोचना करने का बल हो, वही पत्रकार है और वही साहित्यकार है। परंतु वह नही जो हृदय में बंद हर शब्दों का दमन करे, भय के वातावरण का निर्माण करे, पक्षपाती व्यवहार करे, राजनैतिक विपक्ष को डांटे फटकारे, वह पत्रकार नही दलाल है, वही चाटुकार है, वही गोदी मिडिया है। वर्तमान में भारतीय पत्रकारिता गहरे गंदे नाले के गर्त में लिप्त हो चुकी है परंतु हर्षोल्लास में है, क्योंकि उसकी तथाकथित पत्रकारिता, मात्र एक सत्तासीन व्यक्ति के इर्द-गिर्द सिमटकर दम तोड़ चुकी है, वर्तमान संविधान में एक व्यक्ति का विधान चल रहा है, यही लोकतंत्र की व्यवस्था को कमज़ोर कर रहा है, इसे ही तानाशाही या डिक्टेटरशिप कहते है, इनका धार्मिक आस्थाओं से खेलना बाएं हाथ का खेल है, क्योंकि हमने जनसेवक नही अपितु सिंगोलधारी राजा चुना है। आज-कल का प्रचलित शब्द "अंधभक्ति या अंधभक्त" वास्तव में एक विशेष प्रकार की जनता के लिए संबोधित किया जाता है, जो सत्ता द्वारा हर प्रकार के निर्णय का समर्थन करती है, क्योंकि सत्ता द्वारा उसे केवल अपना हित साधना ही सिखाया गया है, उनके लिए शिक्षा, नौकरी, स्वास्थ्य, सुरक्षा, रोज़गार, भ्रष्टाचार, कानून-व्यवस्था, अपराध आदि से, कोई लेना-देना नही होता, उन्हें मात्र अंतर्मुखी बना दिया, जैसा कि वह राजा स्वयं है, वैसे प्रजा भी कहीं ना कहीं, किसी ना किसी की अंधभक्ति में अवश्य है। इसलिए कहते है जैसा राजा वैसी प्रजा। जय हिंद जय भारत।💐🌹🙏😊🇮🇳🇮🇳 ©अदनासा-

#पत्रकारिता #अंधभक्त #चाटुकार #भारतीय #अदनासा #हिंदी  "जनता, पत्रकार और सरकार"

हृदय में कैद हर दबे, कुचले, डरे हुए, हर प्रकार के शब्दों को, जो निर्भीक वाणी दे सके, जो सत्ता के विरुद्ध हो तटस्थ नही, जिनमें आलोचना करने का बल हो, वही पत्रकार है और वही साहित्यकार है।
परंतु वह नही जो हृदय में बंद हर शब्दों का दमन करे, भय के वातावरण का निर्माण करे, पक्षपाती व्यवहार करे, राजनैतिक विपक्ष को डांटे फटकारे, वह पत्रकार नही दलाल है, वही चाटुकार है, वही गोदी मिडिया है।
             वर्तमान में भारतीय पत्रकारिता गहरे गंदे नाले के गर्त में लिप्त हो चुकी है परंतु हर्षोल्लास में है, क्योंकि उसकी तथाकथित पत्रकारिता, मात्र एक सत्तासीन व्यक्ति के इर्द-गिर्द सिमटकर दम तोड़ चुकी है, वर्तमान संविधान में एक व्यक्ति का विधान चल रहा है, यही लोकतंत्र की व्यवस्था को कमज़ोर कर रहा है, इसे ही तानाशाही या डिक्टेटरशिप कहते है, इनका धार्मिक आस्थाओं से खेलना बाएं हाथ का खेल है, क्योंकि हमने जनसेवक नही अपितु सिंगोलधारी राजा चुना है।
            आज-कल का प्रचलित शब्द "अंधभक्ति या अंधभक्त" वास्तव में एक विशेष प्रकार की जनता के लिए संबोधित किया जाता है, जो सत्ता द्वारा हर प्रकार के निर्णय का समर्थन करती है, क्योंकि सत्ता द्वारा उसे केवल अपना हित साधना ही सिखाया गया है, उनके लिए शिक्षा, नौकरी, स्वास्थ्य, सुरक्षा, रोज़गार, भ्रष्टाचार, कानून-व्यवस्था, अपराध आदि से, कोई लेना-देना नही होता, उन्हें मात्र अंतर्मुखी बना दिया, जैसा कि वह राजा स्वयं है, वैसे प्रजा भी कहीं ना कहीं, किसी ना किसी की अंधभक्ति में अवश्य है।
            इसलिए कहते है जैसा राजा वैसी प्रजा।

जय हिंद जय भारत।💐🌹🙏😊🇮🇳🇮🇳

©अदनासा-

चित्र सौजन्य एवं हार्दिक आभार💐🌹🙏😊🇮🇳🇮🇳https://pin.it/3uxwXGlCs #भारतीय #पत्रकारिता #हिंदी #जनता #सरकार #अंधभक्त #चाटुकार #Pinterest #Instag

21 Love

"इत्र, मित्र, चित्र और चरित्र" ©Shayraa

#hindi_quotes #life_quotes #Quotes  "इत्र, मित्र, चित्र और चरित्र"

©Shayraa

"इत्र ,मित्र, चित्र और चरित्र" #life_quotes #hindi_quotes

15 Love

White पल्लव की डायरी अध्ययन और अध्यापन स्तरहीन हुये गति देश समाज को दे नही पा रहे है आचरण और संस्कार की बाट लगा दी चरित्रों के चित्र खिल नही पा रहे है त्याग संयम गुरुओ का आकर्षण था जो छात्रों में नैतिकबल भरता था एक टीचर अपने ज्ञान से सौ सौ सूरज की प्रज्ञा प्रज्वलित करता था दिशाहीन को दिशा देकर भविष्य का नव निर्माण करता था प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव"

#कविता #teachers_day  White पल्लव की डायरी
अध्ययन और अध्यापन  स्तरहीन हुये
गति देश समाज को दे नही पा रहे है
आचरण और संस्कार की बाट लगा दी
चरित्रों के चित्र खिल नही पा रहे है
त्याग संयम गुरुओ का आकर्षण था
जो छात्रों में नैतिकबल भरता था
एक टीचर अपने ज्ञान से
सौ सौ सूरज की प्रज्ञा प्रज्वलित करता था
दिशाहीन को दिशा देकर
भविष्य का नव निर्माण करता था
                                         प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

#teachers_day चरित्रों के चित्र खिल नही पा रहे है

16 Love

a-person-standing-on-a-beach-at-sunset इस ज़िंदगी को हल्के में ना लो और ना लो भारी में कब, कैसे और कहां जाने क्या क़ीमत चुकानी पड़े इसलिए सोच-समझकर रहो अपनी पुरी तैयारी में ©अदनासा-

#तैयारी #जिंदगी #हिंदी #शायरी #क़ीमत #हल्की  a-person-standing-on-a-beach-at-sunset इस ज़िंदगी को हल्के में ना लो और ना लो भारी में
कब, कैसे और कहां जाने क्या क़ीमत चुकानी पड़े
इसलिए सोच-समझकर रहो अपनी पुरी तैयारी में

©अदनासा-

चित्र सौजन्य एवं हार्दिक आभार 💐🌹🙏😊🇮🇳🇮🇳 Nojoto App. #हिंदी #जिंदगी #हल्की #भारी #क़ीमत #तैयारी #SunSet #Instagram #Facebook शायरी हिंदी मे

25 Love

ढलती मेरी उम्र का यह कहना है तेरी ये जवानी हो रही रुख़्सत है लेकिन यारों मुहब्बत की ख़ातिर इस दिल को फ़ुर्सत ही फ़ुर्सत है ©अदनासा-

 ढलती मेरी उम्र का यह कहना है
तेरी ये जवानी हो रही रुख़्सत है
लेकिन यारों मुहब्बत की ख़ातिर
इस दिल को फ़ुर्सत ही फ़ुर्सत है

©अदनासा-

चित्र सौजन्य एवं हार्दिक आभार💐🌹🙏😊🇮🇳🇮🇳 Nojoto App #हिंदी #शायरी #उम्र #जवानी #फ़ुर्सत #रुख़्सत #Heart #Instagram #Facebook #अदनासा लव शायरी

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#जबरदस्त #सियासत #अदनासा #हिंदी #शायरी #मज़हब  कोई ढूंढता है मंदिर तो कोई ढूंढता मस्जिद
कोई गिरजाघर तो ढूंढता कोई गुरूद्वारा है
ग़ज़ब बोलता है झूठ और करे नाहक ज़िद्द
यह सीनाजोर सियासत मज़हब का मारा है
तारीख़ें खोद नया वतन बनेगा भारत न्यारा 
अवाम मज़हबी अफ़ीम चाटने में मदमस्त है
बाकी है आवामी "अदनासा" उम्मीद प्यारा
इंसानियत का पैगाम जब-तक जबरदस्त है

©अदनासा-

चित्र सौजन्य एवं हार्दिक आभार💐🌹🙏😊🇮🇳🇮🇳https://pin.it/7KhY4q2Bb #हिंदी #सियासत #आवाम #मज़हब #अफ़ीम #जिद्द #जबरदस्त #Pinterest #Instagram #अदन

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"जनता, पत्रकार और सरकार" हृदय में कैद हर दबे, कुचले, डरे हुए, हर प्रकार के शब्दों को, जो निर्भीक वाणी दे सके, जो सत्ता के विरुद्ध हो तटस्थ नही, जिनमें आलोचना करने का बल हो, वही पत्रकार है और वही साहित्यकार है। परंतु वह नही जो हृदय में बंद हर शब्दों का दमन करे, भय के वातावरण का निर्माण करे, पक्षपाती व्यवहार करे, राजनैतिक विपक्ष को डांटे फटकारे, वह पत्रकार नही दलाल है, वही चाटुकार है, वही गोदी मिडिया है। वर्तमान में भारतीय पत्रकारिता गहरे गंदे नाले के गर्त में लिप्त हो चुकी है परंतु हर्षोल्लास में है, क्योंकि उसकी तथाकथित पत्रकारिता, मात्र एक सत्तासीन व्यक्ति के इर्द-गिर्द सिमटकर दम तोड़ चुकी है, वर्तमान संविधान में एक व्यक्ति का विधान चल रहा है, यही लोकतंत्र की व्यवस्था को कमज़ोर कर रहा है, इसे ही तानाशाही या डिक्टेटरशिप कहते है, इनका धार्मिक आस्थाओं से खेलना बाएं हाथ का खेल है, क्योंकि हमने जनसेवक नही अपितु सिंगोलधारी राजा चुना है। आज-कल का प्रचलित शब्द "अंधभक्ति या अंधभक्त" वास्तव में एक विशेष प्रकार की जनता के लिए संबोधित किया जाता है, जो सत्ता द्वारा हर प्रकार के निर्णय का समर्थन करती है, क्योंकि सत्ता द्वारा उसे केवल अपना हित साधना ही सिखाया गया है, उनके लिए शिक्षा, नौकरी, स्वास्थ्य, सुरक्षा, रोज़गार, भ्रष्टाचार, कानून-व्यवस्था, अपराध आदि से, कोई लेना-देना नही होता, उन्हें मात्र अंतर्मुखी बना दिया, जैसा कि वह राजा स्वयं है, वैसे प्रजा भी कहीं ना कहीं, किसी ना किसी की अंधभक्ति में अवश्य है। इसलिए कहते है जैसा राजा वैसी प्रजा। जय हिंद जय भारत।💐🌹🙏😊🇮🇳🇮🇳 ©अदनासा-

#पत्रकारिता #अंधभक्त #चाटुकार #भारतीय #अदनासा #हिंदी  "जनता, पत्रकार और सरकार"

हृदय में कैद हर दबे, कुचले, डरे हुए, हर प्रकार के शब्दों को, जो निर्भीक वाणी दे सके, जो सत्ता के विरुद्ध हो तटस्थ नही, जिनमें आलोचना करने का बल हो, वही पत्रकार है और वही साहित्यकार है।
परंतु वह नही जो हृदय में बंद हर शब्दों का दमन करे, भय के वातावरण का निर्माण करे, पक्षपाती व्यवहार करे, राजनैतिक विपक्ष को डांटे फटकारे, वह पत्रकार नही दलाल है, वही चाटुकार है, वही गोदी मिडिया है।
             वर्तमान में भारतीय पत्रकारिता गहरे गंदे नाले के गर्त में लिप्त हो चुकी है परंतु हर्षोल्लास में है, क्योंकि उसकी तथाकथित पत्रकारिता, मात्र एक सत्तासीन व्यक्ति के इर्द-गिर्द सिमटकर दम तोड़ चुकी है, वर्तमान संविधान में एक व्यक्ति का विधान चल रहा है, यही लोकतंत्र की व्यवस्था को कमज़ोर कर रहा है, इसे ही तानाशाही या डिक्टेटरशिप कहते है, इनका धार्मिक आस्थाओं से खेलना बाएं हाथ का खेल है, क्योंकि हमने जनसेवक नही अपितु सिंगोलधारी राजा चुना है।
            आज-कल का प्रचलित शब्द "अंधभक्ति या अंधभक्त" वास्तव में एक विशेष प्रकार की जनता के लिए संबोधित किया जाता है, जो सत्ता द्वारा हर प्रकार के निर्णय का समर्थन करती है, क्योंकि सत्ता द्वारा उसे केवल अपना हित साधना ही सिखाया गया है, उनके लिए शिक्षा, नौकरी, स्वास्थ्य, सुरक्षा, रोज़गार, भ्रष्टाचार, कानून-व्यवस्था, अपराध आदि से, कोई लेना-देना नही होता, उन्हें मात्र अंतर्मुखी बना दिया, जैसा कि वह राजा स्वयं है, वैसे प्रजा भी कहीं ना कहीं, किसी ना किसी की अंधभक्ति में अवश्य है।
            इसलिए कहते है जैसा राजा वैसी प्रजा।

जय हिंद जय भारत।💐🌹🙏😊🇮🇳🇮🇳

©अदनासा-

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21 Love

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