White ( तन्हा नहीं होती मैं)
तन्हा तन्हा होती हूं जब,
तुम जब कहीं दूर होते हो
पर तुम्हारी महकती खुशबू
मेरे पास होती है,
प्यार से जब तुमने छुआ था
मेरे गालों को ,
वह स्पर्श पास होता है मेरे,
तुमको यादकर कुछ-कुछ मुस्कुराती हूँ जब
सुनो वह मुस्कुराहट भी
अपने होठों पर सजा लेती हूँ,
तुम्हें देखकर जो चमक मेरी आंखों में आई थी
उस चमकती आंखों की रोशनी में
खुद को चमकता पाती हूं मैं ,
तुम्हारा साथ पाकर महक उठता है
जो मेरा घर आंगन ,
उस महक को मुट्ठी में छुपा लेती हूं मैं ,
कभी दूर होकर भी
जब तुम याद करते हो मुझे ,
मेरे मन के गीत गूंजते से हैं,
तुम्हारी आवाज में मेरा नाम
घर में मिश्री सा खोल देता है ,
तुम दूर होकर भी मेरे एहसासों में
गीत बन मेरी मन आंगन में गूंजते से हो।
जया शर्मा प्रियंवदा
©आगाज़
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