मेरी बातें असर करती जो तुम पर,तो, ज़रूर ज़िद करती मै,तुम से
तुम भी मेरी तरह करते फ़िक्र मेरी,तो, ज़रूर जिक्र करती मै तुम से
तुम से मोहब्बत,तवज्जो, नर्मिया,मिली होती,तो ज़रूर कहती मैं,तुम से
के सुनो! तुम मोहब्बत हो मेरी
मैंने बिना तुम्हारी इजाज़त के इकतरफा चाहा हैं तुम्हे,तुम मेरे ना हो सको,तो इस
गुनाह की, सज़ा ही मुकर्रर कर दो,तुम अगर मेरी तरह चाहते मुझे
तो बताती मै तुम्हे,कितना सताया है
ज़िंदगी ने मुझे, मुस्कराहट के पर्दो के पीछे,जो घाव छुपा रखें हैं,दिखाती मैं तुम्हे
तुम से पूछती कहा कहा ज़ख्म छुपाए बैठे हो
इस खामोशी के पीछे जो चीखे दबा कर रखते हो,सुनती मै,और सुकून बन जाती तुम्हारा
दुनिया ने सख़्त के दिया शायद तुम को
तुम्हारे सीने पर हाथ रख अपनी हथेलियों से,नाम लिखती अपना मै,दिल पर तुम्हारे
शायद थोड़ी नर्मी तो आ ही जाती तुम में भी
मैं,हक जताती तुम पर,बच्चो से जिद करती तुम से,इस दुनिया की सभी मुश्किलों से दूर
छिपा लेती अपने पहलू में तुम्हे,इंसान हैं हम सब,और ज़िंदगी के
हर उस पड़ाव में जब कभी कमज़ोर पड़ते ना तुम
ताक़त बन जाती मै तुम्हारी,हौसला बन जाती तुम्हारा
तुम्हे सजा कर संवार कर रखती,दिल में,ज़िंदगी में अपनी
तुम अब भी आबाद ही हो मुझ में,मैं सुनाती तुम्हे कहानियां,किन हिम्मतो से
मैने संभाला खुद को,तुम से मरहम मांगती
उन खराशो का,जो तुम ने देखी नहीं,मैं तुम्हे,चहकना सिखाती
तुम्हारी चुप्पी में अपनी बेमतलब की बाते मिलाती,
मैं संभाल लेती तुम्हे,और,सिमट जाती तुम में
मैं तुम में अपना घर बना लेती,और तुम्हे कह देती मै घर हु तुम्हारा
मैं इतनी मोहब्बत देती ना तुम्हे की सब शिकायतें भूल जाते तुम
मेरे साथ पागलों की तरह,बेख़ौफ़ ठहाके लगाते तुम
ख़ैर कोई उम्मीद तो नहीं बाक़ी
लेकिन,मेरी आख़िरी सांस तक,मुझे,तुम्हारा इंतेज़ार रहेगा,जब लगे के ठहर सकते हो
मेरे हो जाना,मेरे पास आ जाना,याद रखना,कोई हैं,जिस के लिए दुनिया तुम से तुम तक हैं
और मैं तुम्हारा हाथ कभी नहीं छोड़ने वाली,मेरी खामोश मोहब्बत सुन सको जिस दिन
मेरे पास हक से लौट आना ,मेरा हाथ थाम कर, साबित कर देना
की ईमानदार और मासूम इश्क़ को,बरकतें मिल ही जाती हैं
सुनो,लौट आना...तुम,आओगे ना..???
©ashita pandey बेबाक़
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