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• हजार हजार शुक्र उस जोतीस्वरुप नीरंजन नीराकारका है किं जिसने जमीन व आसमानको बनाया और तमाम सृष्टीको पैदाकीया परंन्तु उस की कारीगरीका भेद किसी पर जाहीर नहीहुआ कि क्या भेदहै फिर मेंरी जबानसे इश्वर परमात्माकी तारीफ अदा नहीहोसक्ती और दूसरा मजमुन बतौर समुद्र केहै सो कलमसे लिखा जाताह कि जो२करतब मैने इन सौदागर महाजनान-के देखे वोह अजब तरहके नजर आये जिससे मुझ गरीब साध अनुपदासको तमांम जहांनके हिंन्दु मुसलमान और साध संत और पण्डित फकीर और मुल्कों मुल्कोंके राजा महाराजा और सातों आठों और सब-विलायतोंके बादशाह और दीगर अंग्रेज वगैराकी खिदमतमें हाथ जोङकर अरज;करना लाजिम आया कि जिसको जादूचाला और राक्षस विधा और काफिर विधा और इन्द्रजाल कहतेहैं वोह एक किसमका पापहै कि जिस्तरहसे रावणने चलायाथा और मेह और मौतको कबजेमें करलीथी पापके सबबसे याने होम करा२के बुद्धी भी भ्रष्ट करदीथी इन्द्रजालके पापसे और काल वगैरा, पङा२करके लक्षमी अपने काबूमें करके लंकामें लेगयाथा और उसीतरहसे- हिरनाकश राजानेभी चलायाथा और उसीतरहसे कंन्स राजानेभी चलायाथा और उसीतरहसे कारुन बादशाहनेभी चलायाथा और रावण हिरनाकश कंस कारुन वगैराकी तरहसे बल राजाके बादसे इन सौदागर महाजनाननेभी-राक्षस विधाका पाप चलायाहै सोइन बनियोंनेभी मेहको और मोतको सहारे करलीहै और बुद्धी भ्रष्ट करदीहै ..... • सोइस.बातका.इन्साफकीया चाहीये क्युंकि इन्साफके-करनेसे,खुद,मालुम,होजावेगा- ... ( २२९ ) साध अनुपदास- लीखी- कीताब - [ जगतहीतकारनी ] ( २७४ ) पढ़ें छावणी ऐरनपुरा, शिवगंज - ३०७०२७ (राज.) संपर्क :- 02976-273024 , 8905653801 www.jagathitkarnioriginal.org ©JAGAT HITKARNI 274

#विचार  •  हजार हजार शुक्र उस जोतीस्वरुप नीरंजन नीराकारका है किं जिसने जमीन व आसमानको बनाया और तमाम सृष्टीको पैदाकीया परंन्तु उस की कारीगरीका भेद किसी पर जाहीर नहीहुआ कि क्या भेदहै फिर मेंरी जबानसे इश्वर परमात्माकी  तारीफ अदा नहीहोसक्ती और दूसरा मजमुन बतौर समुद्र केहै सो कलमसे लिखा जाताह कि जो२करतब मैने इन सौदागर महाजनान-के देखे वोह अजब तरहके नजर आये जिससे मुझ गरीब साध अनुपदासको तमांम जहांनके हिंन्दु मुसलमान और साध संत और पण्डित फकीर और मुल्कों मुल्कोंके राजा महाराजा और सातों  आठों और सब-विलायतोंके बादशाह और दीगर अंग्रेज वगैराकी खिदमतमें हाथ जोङकर अरज;करना लाजिम आया कि जिसको जादूचाला और राक्षस विधा और काफिर विधा और इन्द्रजाल कहतेहैं वोह एक किसमका पापहै कि जिस्तरहसे रावणने चलायाथा और मेह और मौतको कबजेमें करलीथी पापके सबबसे याने होम करा२के बुद्धी भी भ्रष्ट करदीथी इन्द्रजालके पापसे और काल वगैरा, पङा२करके लक्षमी अपने काबूमें करके लंकामें लेगयाथा और उसीतरहसे- हिरनाकश राजानेभी चलायाथा और उसीतरहसे कंन्स राजानेभी चलायाथा और उसीतरहसे कारुन बादशाहनेभी चलायाथा और रावण हिरनाकश कंस कारुन वगैराकी तरहसे बल राजाके बादसे इन सौदागर महाजनाननेभी-राक्षस विधाका पाप चलायाहै सोइन बनियोंनेभी मेहको और मोतको सहारे करलीहै और बुद्धी भ्रष्ट करदीहै  .....

•  सोइस.बातका.इन्साफकीया चाहीये क्युंकि इन्साफके-करनेसे,खुद,मालुम,होजावेगा- ... ( २२९ )
साध अनुपदास-  लीखी- 
कीताब - [ जगतहीतकारनी ] ( २७४ ) पढ़ें
छावणी ऐरनपुरा, शिवगंज - ३०७०२७  (राज.)
संपर्क :- 02976-273024 , 8905653801
www.jagathitkarnioriginal.org

©JAGAT HITKARNI 274

• हजार हजार शुक्र उस जोतीस्वरुप नीरंजन नीराकारका है किं जिसने जमीन व आसमानको बनाया और तमाम सृष्टीको पैदाकीया परंन्तु उस की कारीगरीका भेद कि

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#RadheGovinda

#RadheGovinda आता तूच सांग न ग कस जगायचं....

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White जय परमेश्वर सोआपलोग ईसगरीबके लीखनेपर गोरफरमाकर ओर ऐकदीलहोकर ईनकेराक्षसी पापको छोडाईये देखोभाई हीन्दु मुसलमांन अंग्रेज ओर सातो आठो वलायतके बादशाह सब‌ऐक दील होकर लोभको छोङदो ओर ईनसोदागर महाजनांनके जालकी पहचांनकरो ओर ऐकदीलहोकर ईनहोंके राक्षसीपापको छोडाओ;जबतुमहारे बाल बच्चे बचेंगे न्हीतो यह;सोदागर महाजनऐसे हेकी सबको गारत करदेंगे सोईनहोंके ऐसेऐसेजालहें ईसगरजसे यह कीताब [ जगतहीतकारनी ] बनाईहे कीईनहोंके जालोंसे वाकीफ होकर‌ईसका!बंन्दोबस्त करो ताकी तमांम लोगोको सुखप्राप्तहो वरना यह जादुखोरा ऐसेहें कीसबकोआपुसमे लङाकर मारदेंगे..... ( ५ ) अज तसनीफ साध अनुपदास लीखी- कीताब - [ जगतहीतकारनी ] ( २७४ ) तमांम पढ़कर बंन्दोबस्त करो छावणी ऐरनपुरामें, शिवगंज - ३०७०२७ (राज.) ता १७ अप्रेल संन १९०९ झा बैसाष बुदी १२ सं॥ १९६५ M. No. :- 8905653801 www.jagathitkarnioriginal.org ©LalitPurohit

#विचार #good_night  White जय परमेश्वर
सोआपलोग ईसगरीबके लीखनेपर गोरफरमाकर ओर ऐकदीलहोकर ईनकेराक्षसी पापको छोडाईये देखोभाई हीन्दु  मुसलमांन अंग्रेज ओर सातो आठो वलायतके बादशाह सब‌ऐक दील होकर लोभको छोङदो ओर ईनसोदागर महाजनांनके जालकी पहचांनकरो ओर ऐकदीलहोकर ईनहोंके राक्षसीपापको छोडाओ;जबतुमहारे बाल बच्चे बचेंगे न्हीतो यह;सोदागर महाजनऐसे हेकी सबको गारत करदेंगे सोईनहोंके  ऐसेऐसेजालहें ईसगरजसे यह कीताब [ जगतहीतकारनी ] बनाईहे कीईनहोंके जालोंसे वाकीफ होकर‌ईसका!बंन्दोबस्त करो ताकी तमांम लोगोको सुखप्राप्तहो वरना यह जादुखोरा ऐसेहें कीसबकोआपुसमे लङाकर मारदेंगे..... ( ५ )

अज तसनीफ साध अनुपदास लीखी- 
कीताब - [ जगतहीतकारनी ] ( २७४ ) तमांम पढ़कर बंन्दोबस्त करो 
छावणी ऐरनपुरामें, शिवगंज - ३०७०२७  (राज.)
ता १७ अप्रेल संन १९०९ झा बैसाष बुदी १२ सं॥ १९६५
M. No. :- 8905653801
www.jagathitkarnioriginal.org

©LalitPurohit

#good_night जय परमेश्वर सोआपलोग ईसगरीबके लीखनेपर गोरफरमाकर ओर ऐकदीलहोकर ईनकेराक्षसी पापको छोडाईये देखोभाई हीन्दु मुसलमांन अंग्रेज ओर सातो आ

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• हजार हजार शुक्र उस जोतीस्वरुप नीरंजन नीराकारका है किं जिसने जमीन व आसमानको बनाया और तमाम सृष्टीको पैदाकीया परंन्तु उस की कारीगरीका भेद किसी पर जाहीर नहीहुआ कि क्या भेदहै फिर मेंरी जबानसे इश्वर परमात्माकी तारीफ अदा नहीहोसक्ती और दूसरा मजमुन बतौर समुद्र केहै सो कलमसे लिखा जाताह कि जो२करतब मैने इन सौदागर महाजनान-के देखे वोह अजब तरहके नजर आये जिससे मुझ गरीब साध अनुपदासको तमांम जहांनके हिंन्दु मुसलमान और साध संत और पण्डित फकीर और मुल्कों मुल्कोंके राजा महाराजा और सातों आठों और सब-विलायतोंके बादशाह और दीगर अंग्रेज वगैराकी खिदमतमें हाथ जोङकर अरज;करना लाजिम आया कि जिसको जादूचाला और राक्षस विधा और काफिर विधा और इन्द्रजाल कहतेहैं वोह एक किसमका पापहै कि जिस्तरहसे रावणने चलायाथा और मेह और मौतको कबजेमें करलीथी पापके सबबसे याने होम करा२के बुद्धी भी भ्रष्ट करदीथी इन्द्रजालके पापसे और काल वगैरा, पङा२करके लक्षमी अपने काबूमें करके लंकामें लेगयाथा और उसीतरहसे- हिरनाकश राजानेभी चलायाथा और उसीतरहसे कंन्स राजानेभी चलायाथा और उसीतरहसे कारुन बादशाहनेभी चलायाथा और रावण हिरनाकश कंस कारुन वगैराकी तरहसे बल राजाके बादसे इन सौदागर महाजनाननेभी-राक्षस विधाका पाप चलायाहै सोइन बनियोंनेभी मेहको और मोतको सहारे करलीहै और बुद्धी भ्रष्ट करदीहै ..... • सोइस.बातका.इन्साफकीया चाहीये क्युंकि इन्साफके-करनेसे,खुद,मालुम,होजावेगा- ... ( २२९ ) साध अनुपदास- लीखी- कीताब - [ जगतहीतकारनी ] ( २७४ ) पढ़ें छावणी ऐरनपुरा, शिवगंज - ३०७०२७ (राज.) संपर्क :- 02976-273024 , 8905653801 www.jagathitkarnioriginal.org ©JAGAT HITKARNI 274

#विचार  •  हजार हजार शुक्र उस जोतीस्वरुप नीरंजन नीराकारका है किं जिसने जमीन व आसमानको बनाया और तमाम सृष्टीको पैदाकीया परंन्तु उस की कारीगरीका भेद किसी पर जाहीर नहीहुआ कि क्या भेदहै फिर मेंरी जबानसे इश्वर परमात्माकी  तारीफ अदा नहीहोसक्ती और दूसरा मजमुन बतौर समुद्र केहै सो कलमसे लिखा जाताह कि जो२करतब मैने इन सौदागर महाजनान-के देखे वोह अजब तरहके नजर आये जिससे मुझ गरीब साध अनुपदासको तमांम जहांनके हिंन्दु मुसलमान और साध संत और पण्डित फकीर और मुल्कों मुल्कोंके राजा महाराजा और सातों  आठों और सब-विलायतोंके बादशाह और दीगर अंग्रेज वगैराकी खिदमतमें हाथ जोङकर अरज;करना लाजिम आया कि जिसको जादूचाला और राक्षस विधा और काफिर विधा और इन्द्रजाल कहतेहैं वोह एक किसमका पापहै कि जिस्तरहसे रावणने चलायाथा और मेह और मौतको कबजेमें करलीथी पापके सबबसे याने होम करा२के बुद्धी भी भ्रष्ट करदीथी इन्द्रजालके पापसे और काल वगैरा, पङा२करके लक्षमी अपने काबूमें करके लंकामें लेगयाथा और उसीतरहसे- हिरनाकश राजानेभी चलायाथा और उसीतरहसे कंन्स राजानेभी चलायाथा और उसीतरहसे कारुन बादशाहनेभी चलायाथा और रावण हिरनाकश कंस कारुन वगैराकी तरहसे बल राजाके बादसे इन सौदागर महाजनाननेभी-राक्षस विधाका पाप चलायाहै सोइन बनियोंनेभी मेहको और मोतको सहारे करलीहै और बुद्धी भ्रष्ट करदीहै  .....

•  सोइस.बातका.इन्साफकीया चाहीये क्युंकि इन्साफके-करनेसे,खुद,मालुम,होजावेगा- ... ( २२९ )
साध अनुपदास-  लीखी- 
कीताब - [ जगतहीतकारनी ] ( २७४ ) पढ़ें
छावणी ऐरनपुरा, शिवगंज - ३०७०२७  (राज.)
संपर्क :- 02976-273024 , 8905653801
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• हजार हजार शुक्र उस जोतीस्वरुप नीरंजन नीराकारका है किं जिसने जमीन व आसमानको बनाया और तमाम सृष्टीको पैदाकीया परंन्तु उस की कारीगरीका भेद कि

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#RadheGovinda

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White जय परमेश्वर सोआपलोग ईसगरीबके लीखनेपर गोरफरमाकर ओर ऐकदीलहोकर ईनकेराक्षसी पापको छोडाईये देखोभाई हीन्दु मुसलमांन अंग्रेज ओर सातो आठो वलायतके बादशाह सब‌ऐक दील होकर लोभको छोङदो ओर ईनसोदागर महाजनांनके जालकी पहचांनकरो ओर ऐकदीलहोकर ईनहोंके राक्षसीपापको छोडाओ;जबतुमहारे बाल बच्चे बचेंगे न्हीतो यह;सोदागर महाजनऐसे हेकी सबको गारत करदेंगे सोईनहोंके ऐसेऐसेजालहें ईसगरजसे यह कीताब [ जगतहीतकारनी ] बनाईहे कीईनहोंके जालोंसे वाकीफ होकर‌ईसका!बंन्दोबस्त करो ताकी तमांम लोगोको सुखप्राप्तहो वरना यह जादुखोरा ऐसेहें कीसबकोआपुसमे लङाकर मारदेंगे..... ( ५ ) अज तसनीफ साध अनुपदास लीखी- कीताब - [ जगतहीतकारनी ] ( २७४ ) तमांम पढ़कर बंन्दोबस्त करो छावणी ऐरनपुरामें, शिवगंज - ३०७०२७ (राज.) ता १७ अप्रेल संन १९०९ झा बैसाष बुदी १२ सं॥ १९६५ M. No. :- 8905653801 www.jagathitkarnioriginal.org ©LalitPurohit

#विचार #good_night  White जय परमेश्वर
सोआपलोग ईसगरीबके लीखनेपर गोरफरमाकर ओर ऐकदीलहोकर ईनकेराक्षसी पापको छोडाईये देखोभाई हीन्दु  मुसलमांन अंग्रेज ओर सातो आठो वलायतके बादशाह सब‌ऐक दील होकर लोभको छोङदो ओर ईनसोदागर महाजनांनके जालकी पहचांनकरो ओर ऐकदीलहोकर ईनहोंके राक्षसीपापको छोडाओ;जबतुमहारे बाल बच्चे बचेंगे न्हीतो यह;सोदागर महाजनऐसे हेकी सबको गारत करदेंगे सोईनहोंके  ऐसेऐसेजालहें ईसगरजसे यह कीताब [ जगतहीतकारनी ] बनाईहे कीईनहोंके जालोंसे वाकीफ होकर‌ईसका!बंन्दोबस्त करो ताकी तमांम लोगोको सुखप्राप्तहो वरना यह जादुखोरा ऐसेहें कीसबकोआपुसमे लङाकर मारदेंगे..... ( ५ )

अज तसनीफ साध अनुपदास लीखी- 
कीताब - [ जगतहीतकारनी ] ( २७४ ) तमांम पढ़कर बंन्दोबस्त करो 
छावणी ऐरनपुरामें, शिवगंज - ३०७०२७  (राज.)
ता १७ अप्रेल संन १९०९ झा बैसाष बुदी १२ सं॥ १९६५
M. No. :- 8905653801
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#good_night जय परमेश्वर सोआपलोग ईसगरीबके लीखनेपर गोरफरमाकर ओर ऐकदीलहोकर ईनकेराक्षसी पापको छोडाईये देखोभाई हीन्दु मुसलमांन अंग्रेज ओर सातो आ

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