Kavi Hari Shanker

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#कविता

जब मैंने जीने की ठानी।

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#कविता

# पास-पास हम इतने पास कि .....

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#कविता #ठहर  ठहर ठहर ऐ दर्द प्रिय !

ठहर ठहर ऐ दर्द प्रिय !
मैं तेरा हमदर्द प्रिय
कुछ दिन और रहोगे तो
क्या है मुझको हर्ज प्रिय !

तुम हो दुर्दिन के साथी
तब मेरा यह फर्ज़ प्रिय
मैं तेरा बन जाऊँ दवाई
गर तुमको कोई मर्ज़ प्रिय !

अंत तक तेरा साथ मैं दूँगा
मैं नहीं खुदगर्ज प्रिय
लौटना जब तेरी मर्जी 
जब हो तुमको गर्ज प्रिय !

- हरि शंकर कुमार

©Hari Shanker Kumar

#ठहर ठहर ऐ दर्द प्रिय

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#कविता

आने वाले कल को ले पहचान ज़रा

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#कविता #इस  इस दिल को है आराम कहाँ ।

दिल तो है इक बंजारा
बंजारे का है धाम कहाँ
इस दिल को है आराम कहाँ ।

दिल तो है इक यायावर
है सुबह यहाँ तो शाम वहाँ
इस दिल को है आराम कहाँ ।

बड़ा कमासुत है यह दिल
अब काम यहाँ फिर काम वहाँ
इस दिल को है आराम कहाँ ।

भावों के भव सागर में
ग़ोते खाना इसकी दुनिया
इस दिल को है आराम कहाँ ।

©Hari Shanker Kumar

#इस दिल को है आराम कहाँ ?

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#कविता #खुद  खुद से झूठ मत बोलो

खुद से झूठ मत बोलो
खुद से खेल मत खेलो
खुद की ही ज़मीं से तुम
खुद को ना गिरा डालो ।

खुद को फिर उठाने में
मर्यादा बचाने में
जीवन हार ना जाओ
खुद को फिर बनाने में।

©Hari Shanker Kumar

#खुद से झूठ मत बोलो

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