Kavi Hari Shanker

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#कविता

हुकूमत आपकी साहब हमारी जी हुजूरी है

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#कविता #सुख  सुख और दुख मिलकर


सुख और दुख मिलकर दोनों 

इस जीवन को साकार करे

चल दोनों को स्वीकार करें।


हमको किसी से बैर नहीं

सुख साथी है दुख गैर नहीं

दोनों को एक-सा प्यार करें

चल दोनों को स्वीकार करें।


एक धूप है तो एक छाया है

दोनों का अपना माया है

हो फर्क न माया माया में 

चल दोनों का सत्कार करें।

©Kavi Hari Shanker

#सुख और दुख

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#कविता #कुछ  कुछ लम्हे तो मेरे हों


कुछ लम्हे तो मेरे हों

अस्तित्व की तलाश में

भटक रहा हूँ सदियों से।


मुझे वर्चस्व नहीं चाहिए

वो आप रखो

अवसर की समानता का

इंसाफ रखो।

©Kavi Hari Shanker

#कुछ लम्हे तो मेरे हों

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#कविता #रात  चाँद कहाँ है ?


ओस की चादर ओढ़े

चाँद बैठा है

आसमान के चबूतरे पर।


रात की चादर ओढ़े

मैं ढूँढ़ रहा हूँ

चाँद कहाँ है ?


रात मुक्कमल होती है

चाँद के दीदार से

और ज़िंदगी

सिर्फ और सिर्फ प्यार से।

©Kavi Hari Shanker

#रात की चादर ओढ़े

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#कविता #खर्च  खर्च किया खुद को इतना जितनी क्षमता थी

मुझमें और परिवेश में कितनी विषमता थी ?

पाटना था विषमता को

शुक्रिया माँ की ममता को

पापा की थी प्रेरणा, पथ की दुर्गमता थी

खर्च किया खुद को इतना जितनी क्षमता थी।

©Kavi Hari Shanker

#खर्च किया खुद को इतना

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#कविता  ज़िंदगी गुमराह करती है बहुत

पर मेरी परवाह करती है बहुत

थाहने से ऐब जानूँ आप की

सो हमारी थाह करती है बहुत ।

©Kavi Hari Shanker

ज़िंदगी गुमराह करती है बहुत पर मेरी परवाह करती है बहुत थाहने से ऐब जानूँ आप की सो हमारी थाह करती है बहुत । ©Kavi Hari Shanker

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