Anjali Ansh

Anjali Ansh Lives in Delhi, Delhi, India

Doubt & do nothing Or accept challenge

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इस नए बदलते साल में मैं भी बदल जाना चाहती हूं चाहती हूं कुछ पुराने धब्बों को साफ करना बीत गई बातों को मन से माफ करना नदी की मानिंद बह जाना चाहती हूं इस नए बदलते साल में मै भी बदल जाना चाहती हूं चाहती हूं कुछ और व्यवस्थित हो जाना जिम्मेदारियां होते हुए भी बहुत मुस्कुराना फूलों के रंग और महकती सांसें चाहती हूं इस नए बदलते साल में मैं भी बदल जाना चाहती हूं अपने काम से काम रखना अपनी कही बातों को थाम रखना यूं नहीं किसी से उलझना चाहती हूं इस नए बदलते साल में मैं भी बदल जाना चाहती हूं कुछ सेवा कुछ सत्कर्म कर‌ना प्रेम सभी से ओर दान-धर्म करना सुबुद्धि, सुख-समृद्धि ओर शांति चाहती हूं इस नए बदलते साल में मै भी बदल जाना चाहती हूं हर पल को बाहों में स्वाभिमान से भरना चंचल हंसना ओर खूब सजना संवरना हर बीतते लम्हे को भरपूर जीना चाहती हूं इस नए बदलते साल में मै भी बदल जाना चाहती हूं।।। © Anjali Ansh

#कविता #नया  इस नए बदलते साल में 
मैं भी बदल जाना चाहती हूं

चाहती हूं कुछ पुराने धब्बों को साफ करना
बीत गई बातों को मन से माफ करना
नदी की मानिंद बह जाना चाहती हूं 
इस नए बदलते साल में 
 मै भी बदल जाना चाहती हूं

चाहती हूं कुछ और व्यवस्थित हो जाना
जिम्मेदारियां होते हुए भी बहुत मुस्कुराना 
फूलों के रंग और महकती सांसें चाहती हूं 
इस नए बदलते साल में 
 मैं भी बदल जाना चाहती हूं

अपने काम से काम रखना 
अपनी कही बातों को थाम रखना
यूं नहीं किसी से उलझना चाहती हूं
इस नए बदलते साल में 
 मैं  भी बदल जाना चाहती हूं

कुछ सेवा कुछ सत्कर्म कर‌ना
प्रेम सभी से ओर दान-धर्म करना 
सुबुद्धि, सुख-समृद्धि ओर शांति चाहती हूं 
इस नए बदलते साल में 
मै भी बदल जाना चाहती हूं

हर  पल को बाहों में स्वाभिमान से भरना 
चंचल हंसना ओर खूब सजना संवरना 
हर बीतते लम्हे को भरपूर  जीना चाहती हूं 
इस नए बदलते साल में 
मै भी बदल जाना चाहती हूं।।।

© Anjali Ansh

#नया साल

10 Love

#शिक्षकदिवस #कविता

बदल गई है रूत, बदल गये हैं बोल बदले हैं लोग और बदला है माहौल बदल रहा, दुआ सलाम का सलीका न रहा कहीं झुकने का तरीका चेले खुद को लगे,उस्ताद से ज्यादा आंकने और लगे, स्वयं का ही गढ़ा ज्ञान बांचने कोई अपने को किसी से कम समझता नहीं सब गुरु ही गुरु है, शिष्य कहीं कोई दिखता नहीं।।। © Anjali Ansh

#शिक्षक #कविता  बदल गई है रूत, बदल गये हैं बोल
बदले हैं लोग और बदला है माहौल
बदल रहा, दुआ सलाम का सलीका
न रहा कहीं झुकने का तरीका 
चेले खुद को लगे,उस्ताद से ज्यादा आंकने
और लगे, स्वयं का ही गढ़ा ज्ञान बांचने
कोई अपने को किसी से कम समझता नहीं
सब गुरु ही गुरु है, शिष्य कहीं कोई दिखता नहीं।।।

© Anjali Ansh

#शिक्षक दिवस

11 Love

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