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White अंगूठी के निशान को देखकर सोचता हूं वो लोग हम राह थे हम सफ़र थे ही नहीं भीतर ही भीतर मुझे ये बात खाए जाती है उसके आंसू खुशी के थे ही नहीं जीते जी मर गए विदेशों की जेलों में जब वतन ने बताया ये सैनिक वतन के थे ही नहीं गाँव गया तो बुजुर्गों ने नहीं पहचाना बच्चों से सुनने में आया हम गांव के थे ही नहीं मर के जले तो मिट्टी ने बताया हम राख के थे मिट्टी के थे ही नहीं ©अनुज कार्तिक
अनुज कार्तिक
10 Love
मोहब्बत दरीचे की खुली हुई खिड़की नहीं है मोहब्बत बिस्तरों पर पड़ी हुईं सलवटें नहीं हैं मोहब्बत गुलाब की ख़ुशबू नहीं है मोहब्बत किसी ख़्वाब की आरजू नहीं है मोहब्बत सोने का दिया हुआ कंगन नहीं है मोहब्बत संगेमरमर का बना हुआ आंगन नहीं है मोहब्बत बरसों पुरानी डायरी पर पड़ी धूल है मोहब्बत फ़ूल के नीचे लगे असंख्य शूल है मोहब्बत बेंच पर बैठे अकेले लड़के का ख़्वाब है मोहब्बत हर किसी के सीने में जलती हुई आग है मोहब्बत हर इंसान का गम है मोहब्बत में कुछ आँखे गीली तो कुछ नम हैं मोहब्बत दूर है ना पास है मोहब्बत मरे हुओं का ज़िन्दा अहसास है ©अनुज कार्तिक
12 Love
White न ख़ुशी अच्छी है ऐ दिल न मलाल अच्छा है यार जिस हाल में रक्खे वही हाल अच्छा है बात उल्टी वो समझते हैं जो कुछ कहता हूँ अब के पूछा तो ये कह दूँगा कि हाल अच्छा है ये चाय की चुस्कियां ये महफिलें अपनी जगह, बस वो और आ जाए तो माहौल अच्छा है। ©अनुज कार्तिक
8 Love
ये चांद अभी जो पानी में था उसकी छत पे जा बैठा है अपने जैसा दिखते ही उसने फूल को तोड़ लिया है हाथ हिलाकर नाम जो पूछा उसने गुस्से से क्यों घूरा है दांत से उसने होठ को काटा मेरे दिल पर बोझ पड़ा है अब क्या बात बताने को है मेरी इज़्ज़त पर उसका दाग लगा है सबकुछ ढक कर भी सब दिखता उसने ऐसा कपड़ा क्यों पहना है ©अनुज कार्तिक
6 Love
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