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✨tu ambar ki aankh ka taaraa ✨ #swarna😋
घर की दहलीज लांघ कर आते हैं जब बाहर हम एक राह नई सी होती है होती है कुछ उम्मीदें भी मिलता है जब एक शिक्षक मुश्किल होती है पार सभी है धन्यवाद उन आदर्शों को जो प्रतिपल रहते साथ है घड़ियां हो चाहे खुशियों की लगती हो मंज़िल असंभव जब भी बस देखती हूं आप सब को मिलती है प्रेरणा रोज़ नई खिड़की से दिखता था जो जहां पहचान कराई आपने ही ना होते जो आप सब साथ मंज़िल रहती दूर कहीं इक ही है मेरी चाह यही अभिलाषा है उस राह चलूं विद्यार्थी की जो परिभाषा है.. ©simran Swarna
simran Swarna
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सजने संवरने की तुम्हे क्या जरुरत। तुम्हारी पहचान के लिए तुम्हारी सादगी काफी है...!! 😋♥️✌️ ©simran Swarna
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मेरी सुबह के पन्नों पर... आज तुम्हारी एक शाम लिख दो ...... ♥️😋 ©simran Swarna
ढूँढती हैं निग़ाहें बस उसी 'चेहरे' को, याद में जिसकी सुबह हो जाती है..!! ©simran Swarna
लाख अदाओं की अब ज़रूरत ही क्या है जब वो फ़िदा ही हमारी सादगी पर हैं ...!!♥️😋 ©simran Swarna
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न हम-सफ़र न किसी हम-नशीं से निकलेगा हमारे पाँव का काँटा हमीं से निकलेगा.... ©simran Swarna
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