ए मेरे खुदा तू आज फिर हार गया
फिर मौत की जगह जिंदगी थमा गया
नमी मांगी थी मैंने उसके नयनों मे मेरे लिए
तू तो मेरे ही अश्कों से मुझे ही निल्हा गया
आज फिर मेरे दिल के दो टुकड़े कर गया
आज देख तेरे सामने मैं जिंदा ही मर गया
मै उस बेवफ़ा का सारा हिसाब चुकता कर गया
पी थोड़ी यादो की शराब और ले देख मैं मर गया
कहना उस बेवफ़ा से वो यहां से चला गया
लक्ष्मण आज फिर अल्फाजों मे ही मर गया
सुखी पलक की औट मे समंदर दबाये बैठा हूँ
जिंदा हूँ फिर भी मेरी ही अर्थी सजाये बैठा हूँ
कब तक जिंदा रहूंगा इसी का हिसाब लगा बैठा हूँ
चार दिन बचे हैं जिनमे भी तुमसे प्यार कर बैठा हूँ
इन प्यार के रास्तो पर खुद को ही जला बैठा हूँ
3 Love
तुम मौत हो मेरी तुम पर मर जाऊँगा
खता क्या हुई तुमसे वो लिख जाऊँगा
ढूँढ लेना मुझे तुम मेरे ही लफ्जों मे
मेरी मौत की वज़ह तुम्हें लिख जाऊँगा
जिंदगी गुजार दी मैंने अल्फाजों की दुनिया में
किसी ने ग़ज़ल कहा किसी ने मिश्रा कहा
कुछ लिखा,पढ़ा और मिटा दिया दुनिया वालों ने
बस सफर जिंदगी का मिटा दिया चंद अल्फाजों ने
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