English
White इक़ शख़्स क्या गया क़ि पूरा काफ़िला गया तूफ़ाँ था तेज़... पेड़ को जड़ से हिला गया जब सल्तनत से दिल क़ी ही रानी चली गई फिर क्या मलाल, तख़्त गया या किला गया ©Romil Shrivastava
Romil Shrivastava
7 Love
White ज़ो याद तेरे पांव की जंजीर बनी है वो याद मेरे हाथ की लकीर बनी है पानी ज़ो कहीं चाँद पे ढूंढे नहीं मिला पानी पे उसी चाँद की तस्वीर बनी है ©Romil Shrivastava
12 Love
Unsplash तुम्हारे पास आने के सुअवसर कम नहीं आए अभी तक हम त्रिवेणी कुंभ के संगम नहीं आए कभी गंगा कभी यमुना बुलाती थी हमें लेकिन किसी दिन तुम नहीं आईं किसी दिन हम नहीं आए ©Romil Shrivastava
10 Love
White सजी हैं दीपमलाएं, तुम्हें एकादसी शुभ हो तुम्हारे साँवले की भी, ये जिंदगी अध-बसी शुभ हो समर को जीतनें वाले "राम" का, है दीपोत्सव अब "सिया", ससुराल की तुमको प्रथम एकादसी शुभ हो ©Romil Shrivastava
8 Love
वो किस हुनरमंदी से ये सच्चाई छुपाती है कि जैसे सिसकियों का ज़ख्म शहनाई छुपाती है जो इसकी तह में जाता है वो फिर वापस नहीं आता नदी हर तैरनें वाले से गहराई छुपाती है ©Romil Shrivastava
White पत्ते पर लिखी वो शायरी इक बकरी खा गई... और..चर्चा पूरे शहर में रहा इक बकरी शेर खा गई! ©Romil Shrivastava
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