दिसंबर तो आ गया, अब तुम कब आओगे उफ ये कैसा सर्द मौसम है जिसकी सर्द हवाएं भी बदन मे आग लगाती है, तो कभी तो जैसे हवा के झोके भी मन्द मुस्काते हुए हुए दिल के तारों के झंझोड़ देते है, कितनी बेबस होती है इंतजार की घड़ियाँ ये बयां करना भी मुश्किल है।
दिसंबर तो आ गया, अब तुम कब आओगे उफ ये कैसा सर्द मौसम है जिसकी सर्द हवाएं भी बदन मे आग लगाती है, तो कभी तो जैसे हवा के झोके भी मन्द मुस्काते हुए हुए दिल के तारों के झंझोड़ देते है, कितनी बेबस होती है इंतजार की घड़ियाँ ये बयां करना भी मुश्किल है।
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