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बस याद में हैं रोती मेरी आँखें सब कुछ हैं खोती मेरी आँखें। ये जो गिरते मोती जैसे कैसे रोकें अब मेरी आँखें। ख्वाब सजाती थी जो पहले पर देखो क्या सहती मेरी आँखें। कितना रोयीं कितना बिलखी फिर भी हैं सुंदर मेरी आँखें। इतना सब होने पर भी देखो लो फिर से जो लड़ी मेरी आँखें। अब क्या समझाऊँ बतलाऊँ मेरी भी न सुनें मेरी आँखें। फिर से तरसे फिर से तड़पे हो जायें बंजर मेरी आँखें। ©Shubham Pandey gagan
Shubham Pandey gagan
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लगा फागुन उड़ा है रंग आओ खेल लो होली रहे हिन्दू रहे मुस्लिम रहे जो प्यार की बोली चले कान्हा लगाने रंग बरसाने की राधा को गए है भीग कान्हा भी गयी है भीग ये टोली। नाम शुभम पांडेय गगन ©Shubham Pandey gagan
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रंगूगा गाल तेरे मैं भला कितना छुपाओगे चला आऊं गली में मैं भला कितना बचाओगे बदन तेरा भिगोकर मैं तुझे रंग दूँ मुहब्बत में करो वादा न जाके दूर तुम मुझको सताओगे शुभम पांडेय गगन (अयोध्या) ©Shubham Pandey gagan
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लगी बाजार रंगों की मनेगी आज अब होली करेगी खूब हुड़दंग ये श्याम की खास है टोली बचेगीं सब भला कैसे लगेगा रंग गालों में बड़ी ही खास होती है हमारे ब्रज की होली। शुभम पांडेय गगन ©Shubham Pandey gagan
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करो तुम सभी श्रृंगार होली में करूँ तुम्हें आज प्यार होली में खुदा सारी पूरी कर दे मिन्नतें खुशी से भरे पूरा संसार होली में। ---शुभम पांडेय गगन ©Shubham Pandey gagan
तरीका इश्क़ करने का हमें आता नहीं लेकिन मुहब्बत में दिखावा तो हमें आता नहीं लेकिन बसे हो तुम मेरे मन में भला कैसे दिखाएं हम बनूँ मीरा तरह पागल हमें आता नहीं लेकिन।। - ©Shubham Pandey gagan
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