Tarun Rastogi kalamkar

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White कहना तो आसान है , छोड़ो बीतीं बात। बात पुरानी भूलकर,नई करो शुरुआत।। नई करो शुरुआत, दिलों से मैल मिटा दो। घर आंगन के बीच, खड़ी दीवार गिरा दो।। कहा तरुण का मान,सदा मिलजुल कर रहना। लड़ना है बेकार, किसी से कुछ भी कहना।। ©Tarun Rastogi kalamkar

#तरुण_के_विचार #विचार  White कहना   तो  आसान है , छोड़ो बीतीं बात।
बात  पुरानी भूलकर,नई करो शुरुआत।।
नई करो शुरुआत, दिलों से मैल मिटा दो।
घर आंगन के बीच, खड़ी दीवार गिरा दो।।
कहा तरुण का मान,सदा मिलजुल कर रहना।
लड़ना है बेकार, किसी से कुछ भी कहना।।

©Tarun Rastogi kalamkar

Unsplash कड़क चाय के साथ हो ,हर दिन की शुरुआत। पीकर के मिलती खुशी, दिन हो चाहे रात।। ©Tarun Rastogi kalamkar

#कडक_चाय #विचार  Unsplash कड़क चाय के साथ हो
,हर दिन की शुरुआत।
पीकर के मिलती खुशी, 
दिन हो चाहे रात।।

©Tarun Rastogi kalamkar

White रात कटती अब नहीं है बिन तुम्हारे। छोड़ बैठे हो मुझे किस के सहारे। कौन देगा साथ मेरा इस जहांँ में, लौट आओ पास वापस तुम हमारे।। ©Tarun Rastogi kalamkar

#love_shayari #लव  White 

रात कटती अब नहीं है बिन तुम्हारे।
छोड़ बैठे हो मुझे किस के सहारे।
कौन देगा साथ मेरा इस जहांँ में,
लौट आओ पास वापस तुम हमारे।।

©Tarun Rastogi kalamkar

#love_shayari

12 Love

Unsplash दया करो माँ शारदे, उर से हरो विकार। देकर मुझको ज्ञान माँ,कर दो माँ उपकार।। ©Tarun Rastogi kalamkar

#माँशारदे #भक्ति  Unsplash दया करो माँ शारदे, उर से हरो विकार।
देकर मुझको ज्ञान माँ,कर दो माँ उपकार।।

©Tarun Rastogi kalamkar

Unsplash इक दिन ऐसा आएगा ,सुधरेंगे हालात। धीरज तुम खोना नहीं,सुनो तरुण की बात।। सुनो#तरुण की बात,बदल जाएगा सारा। सब होंगे खुशहाल,सुखी यह देश हमारा।। आंतकवाद समाप्त , स्वयं होगा ये जिस दिन। स्वर्ग बने कश्मीर , देखना निश्चित इक दिन।। ©Tarun Rastogi kalamkar

#कविता #camping  Unsplash 


इक दिन ऐसा आएगा ,सुधरेंगे हालात।
धीरज तुम खोना नहीं,सुनो तरुण की बात।।
सुनो#तरुण की बात,बदल जाएगा सारा।
सब होंगे खुशहाल,सुखी यह देश हमारा।।
आंतकवाद समाप्त , स्वयं होगा ये जिस दिन।
स्वर्ग  बने कश्मीर , देखना  निश्चित इक दिन।।

©Tarun Rastogi kalamkar

#camping

13 Love

Unsplash चलते चलते थक गए, राहगीर के पांव। आंँख मीच कर बैठता, मिली जहां पर छांँव। ©Tarun Rastogi kalamkar

#राहगीर_थकान_छांव #कविता  Unsplash 
चलते चलते थक गए, राहगीर के पांव।
आंँख मीच कर बैठता, मिली जहां पर छांँव।

©Tarun Rastogi kalamkar
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