यह जो रोज़ शाम को सूरज ढलता है, साथ इसके ढल जाती है ज़िंदगी भी थोड़ी सी, ढल जाती हैं थोड़ी सी ख्वाहिशें, ढल जाती है उम्र भी थोड़ी सी, सिलसिला यह चलता रहता है, यह जो रोज़ शाम को सूरज ढलता है।
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Sunday, 15 September | 09:12 pm
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