White अपना प्यार दर्द दूसरों का मज़ा लगता है
ढाई अक्षर का इश्क़ फिर सजा लगता है
इतिहास गवाह है कि इससे कोई बचा नहीं अब तक
फिर भी ये आवारगी,खुदगर्जी,बेइज़्ज़ती और दगा लगता है।
मोहब्बत को कटघरे में खड़ा करते है लोग अक्सर
जब अपने और अपनों पर आती है तब हालात पता लगता है।
ताजुब है इश्क़ करने वाले भी इश्क़ समझते नही
बिछड़ने के दर्द से हमदर्दी रखते नही
खरोंच तक किसी को आती नही फिर भी सबकों ये जफ़ा लगता है।
मोहब्बते-ए-ज़ख्म पर मरहम नही मिर्च लगाते है लोग जानकर
अब तो आँशु,तन्हाई,बेचैनी और तकलीफें इस ज़ख्म का दवा लगता है।
-प्रिति द्विवेदी
©Priti Dwivedi
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