S J Singh

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गहन सघन मनमोहक वन तरु, मुझको आज बुलाते हैं, किन्तु किये जो वादे मैने याद मुझे आ जाते हैं अभी कहाँ आराम बदा, यह मूक निमंत्रण छलना है अरे अभी तो मीलों मुझको, मीलों मुझको चलना है ।

https://youtu.be/CGtR1sQXKAE?si=jITrCvGRn79ytPxZ

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https://www.youthkiawaaz.com/2021/03/the-love-story-of-an-indian-artist-who-went-to-sweden-to-meet-his-girlfriend-on-a-bicycle-hindi-article/ ©S J Singh

#ज़िन्दगी #Smile  https://www.youthkiawaaz.com/2021/03/the-love-story-of-an-indian-artist-who-went-to-sweden-to-meet-his-girlfriend-on-a-bicycle-hindi-article/

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#Smile

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#वक्तपर #शायरी

तेरे लिये मेरी इबादतें वहीं है, तू शर्म कर हमारी आदत वही है।

#तेरेलिये  तेरे लिये मेरी इबादतें वहीं है, 
तू शर्म कर हमारी आदत वही है।
#ऐसीहँसीहै  #ऐसीहँसीहै
#Life_experience

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तेरे ख्यालों के पर तुझमें कहीं उड़ान ढ़ूढ़ते हैं बांध कर रखी है जो उड़ने की तुमनें आजादियां, उन्हीं उड़ानों को न जाने कितने आसमान ढ़ूढ़ते हैं वही बातें जो अब तक मैं तुम से करता था, वही लफ्ज़ तेरी बोली तेरा निशान ढ़ूढ़ते हैं, वही चोट जो कल तक तुमने खायी होगी, वही जख्म मेरे अंदर तेरी खराशे तेरा निशान ढ़ूढ़ते हैं, तुम रंग-रंग बदल सकती हो, गुजरे हुए कल की तस्वीर, तुम पल- पल बदल सकती हो, लिखी हुयी अपनी तकदीर बस तुम अपनी सोच के पिंजरे से निकालो खुद को, बस तुम इन बहके हुए हालातों में संभालों खुद को।

#thought  तेरे ख्यालों के पर तुझमें कहीं उड़ान ढ़ूढ़ते हैं
बांध कर रखी है जो उड़ने की तुमनें आजादियां,
उन्हीं उड़ानों को न जाने कितने आसमान ढ़ूढ़ते हैं
वही बातें जो अब तक मैं तुम से करता था,
वही लफ्ज़ तेरी बोली तेरा निशान ढ़ूढ़ते हैं,
वही चोट जो कल तक तुमने खायी होगी,
वही जख्म मेरे अंदर तेरी खराशे तेरा निशान ढ़ूढ़ते हैं,
तुम रंग-रंग बदल सकती हो, गुजरे हुए कल की तस्वीर,
तुम पल- पल बदल सकती हो, लिखी हुयी अपनी तकदीर 
बस तुम अपनी सोच के पिंजरे से निकालो खुद को,
बस तुम इन बहके हुए हालातों में संभालों  खुद को।

तेरे ख्यालों के पर तुझमें कहीं उड़ान ढ़ूढ़ते हैं बांध कर रखी है जो उड़ने की तुमनें आजादियां, उन्हीं उड़ानों को न जाने कितने आसमान ढ़ूढ़ते हैं वही बातें जो अब तक मैं तुम से करता था, वही लफ्ज़ तेरी बोली तेरा निशान ढ़ूढ़ते हैं, वही चोट जो कल तक तुमने खायी होगी, वही जख्म मेरे अंदर तेरी खराशे तेरा निशान ढ़ूढ़ते हैं, तुम रंग-रंग बदल सकती हो, गुजरे हुए कल की तस्वीर, तुम पल- पल बदल सकती हो, लिखी हुयी अपनी तकदीर बस तुम अपनी सोच के पिंजरे से निकालो खुद को, बस तुम इन बहके हुए हालातों में संभालों खुद को।

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