Unsplash यार मेरे अमन, तू यारों का यार था
कैसे हो वो बयां,जो अपने दरमिया प्यार था
कैसे भुला जाएगा भला?वो रोज शाम तेरा मिलना
कैसे भुला जाएगा भला?मेरे गुस्सा होने पे, तेरे लबों का खिलना
अब मैं किसे? और बेटे! कह कर बुलाऊंगा
अब मैं किसे? दिन भर का राग सुनाऊंगा
इक तू ही तो था, जो मेरी ख़ामोशी को भी सुनता था
इक तू ही तो था,जो मेरे सही- गलत के फैसले चुनता था
तू कहने को दोस्त था मगर मेरे भाई से कम थोड़ी ना था
यार याराना अपना, ज़माने से छुपा थोड़ी ना था
तुझे ले कर बनाया था जो ख्वाबों का शहर,,वो चकना चूर हो गया
यार क्यों तू मुझ से? इतना दूर हो गया
जाटू की टूटी उम्मीदों का एक तू ही तो आधार था
यार मेरे अमन, तू यारों का यार था
©राहुल जाटू
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