लो मुस्कुराके नज़र फिर मिलाई जाती है।
यही अदा तो मेरे दिल पे छाई जाती है।
तजल्ली ए रुख़ ए अनवर दिखाई जाती है,
नज़र में आतिश ए उल्फत लगाई जाती है।
नज़र मिला के नज़र से पिलाई जाती है,
अदा, अदा में अदा एक पाई जाती है।
अदा ए शान ए कराम यूं दिखाई जाती है,
गुनहगार की ढांढस बंधाई जाती है।
ये दर्द ए दिल, ये अलम, ये तड़प, ये बेचैनी,
कभी कभी तेरी फुरकत में पाई जाती है।
भले की बात तो दुनिया में सितम होती है,
बुरे के साथ हमेशा बुराई जाती है।
नई अदा से, नये रूप से, नई देह से,
हमारे सर पे कयामत बुलाई जाती है।
"असर" उन्हीं की तजल्ली के सब करिशमे हैं,
ये रौशनी जो सितारों में पाई जाती है।
- शाहरुख़ "असर"
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