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a residant in Barh,Patna, Bihar,India.
DEO PRAKASH ARYA.
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खुद पर रखो विश्वास क्योंकि तर्क वितर्क छोङ दो।मान्यताओं को मान लो।। तर्क वितर्क जो करता रहा। असफल जीवन उसी का रहा।। करने का सामर्थ्य अपने मे भरूॅ। अपना सामर्थ्य भुजाओ का दिखलाकर करूॅ हर कार्य खुद पर भरोसा रखकर। ©DEO PRAKASH ARYA.
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बीते कल याद ना जाएगी कभी बीते दिनो की। आ आ कर सताती मुझे यादे तेरी। चाहो तुम रहो जहॉ भी। पीछे यादो को तेरी लिए रहूॅगा वहॉ भी।। करता हूॅ तुमसे आज फिर ये वादा। ©DEO PRAKASH ARYA.
बीते कल कोई नही है यहॉ,हमारा। मिलो मुझे तुम दोबारा।। रहता हूॅ यूॅ ही खोया खोया। आहें भरती श्वसन हमारा।। क्यो रहती तुम छुपी छुपी सी क्यो लगती हो डरी डरी सी।। कुछ नही वैसा तुम्हारे लिए। दिग्दिगंत राहें है खुली खुली सी।। ©DEO PRAKASH ARYA.
बीते कल परेशॉ रहता हूॅ मै तुम्हारे लिए। राहो पर रहते है तुम्हारे लिए।। होती नही है जब रूबरू। बेचैन निगाहें बरसते है तुम्हारे लिए।। ©DEO PRAKASH ARYA.
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