मेरी ख़ामोशी को भी समझने
का दावा करता था कल तक..
वो शख्स...
अाज मेरे लफ़्ज़ो से
बेखबर बैठा है कहीं!!!...
-pankhuri gupta
5 Love
#OpenPoetry फितूर...
इश्क़ का फितूर इस कदर चढ़ गया यारों...
पहली मुलाक़ात में मुतासीर कर गया यारों...
उसकी तिश्नगी सर चढ़ कर बोली हमारे...
इबरत-ए-जिंदगी वो दे गया यारों...
इश्क़ का फितूर इस कदर चढ़ गया यारों...
उसका अपनाना एक रस्म मात्र रह गया यारों..
मोहब्बत का आबशार आखिर थमता कब तलक...
बेधड़क हवाओं सा वो बह गया यारों...
इश्क़ का फितूर इस कदर चढ़ गया यारों...
शग़फ़-ए-हक़ीक़त कहीं खो गया यारों..
खौफ तो समर का रहा नहीं दिल को...
कुछ इस तरह रब्त उनसे हो गया यारों...
मुतासीर-प्रभावित तिश्नगी-जुनून
इबरत- शिक्षा आबशार-झरना
शग़फ़- दिलचस्पी समर-परीणाम
रब्त-लगाव
-pankhuri gupta
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