क्यों हर वक़्त आज ठहरा हुआ है
क्यों हर जख्म आज गहरा हुआ है
इन आँखों में पानी कम था क्या
जो यूँ बेबजाह आज बारिश हुआ है
ये तेरी नजरो का ही कमाल है ना
उन खुले जुल्फे का ही बबाल है ना
क्यों हर गली गली आज महका हुआ है
अरे बता तो सही क्या कोई और आशिक़ फ़िदा हुआ है।।
हमने लोगो को मनाना छोड़ दिया
समझदारों को समझाना छोड़ दिया ।
माना कि हम गलत थे और गलत ही रहेंगे
आप भले हो चलो आपसे हमने झगड़ना छोड़ दिया ।।
क्या करे उन रिस्तो का जो हर वक़्त पे दाग दे जाते हैं
तनहा रहना बेहतर है अब से में गिड़गिड़ाना छोड़ दिया ।।
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