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दिल को छू जाए एसी बात लिखता हूं, मैं शायर हूं जज़्बात लिखता हूं।
चांद का बादलों में छिपना उतना आसान नहीं, जितना अपने मन की भावनाओं को छुपा लेना। ©#GUMNAAM BABA
#GUMNAAM BABA
15 Love
जमाने भर के उसूल खाक में मिल गये, जब जमाने को देखकर उसे उसका प्यार ना दे सका। ©#GUMNAAM BABA
लगेगा मेला और हिज्र की रात होगी। देखना, तुम आओगी,और उस दिन बरसात होगी। कि बढ़ी मुद्दतों से चाहा है हमने तुमको। कि हमारी चाहत में कुछ तो बात होगी। निकले थे घर से हम दोनों ही अलग अलग। की किसी न किसी मोड़ पर तो मुलाकात होगी। ठोकरें मारकर वो जो हम पर मुस्कुराते हैं बतलाऊँ उन्हें उनकी भी कभी हिज्र की रात होगी। इस गुमनाम से तू अपने जिक्र ए जज्बात तो कर फिर देख तू क्या,तेरे साथ सारी जमात होगी। ©#GUMNAAM BABA
27 Love
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गर तुम्हें प्यार है तो इज़हार कर, उसे बता! सागर की लहरों पर नाम लिख और सागर से कह दे मिटा! ©#GUMNAAM BABA
36 Love
मिट्टी के घरौंदे अक्सर बिखर जाया करते हैं, जो मां बाप ना हो तो बच्चे अक्सर बिछड़ जाया करते हैं। रेत की जमीं पर रेत से मैं घर बनाया करता हूं, अपने ही मिटाते, अपने ही बिखराते, मैं बार बार उसको ही सजाया करता हूं। वो गरीब भी होती है,अमीर भी होती है, वह पढ़ी लिखी, सड़क छाप भी होती है। यारों मां तो मां है वह सिर्फ मां होती है। ©#GUMNAAM BABA
37 Love
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