देती है सही किसी को, गलत नहीं देती।
तकदीर हर किसी को शोहरत नहीं देती।
खुदा ने खुद बनाई है, दुनिया ही ऐसी,
करने यहाँ किसी को हूकूमत नहीं देती।
देती है सर पे ताज कई बार रखने लेकिन,
सिकंदर के जैसे सबको किस्मत नहीं देती।
पहले कहता था जो है सब तुम्हारा है,
वो लड़का अब मुझको वक्त नही देता!
चाहता है खरीदना बेशक मुझे लेकिन,
मुझको वो मेरी सही, कीमत नहीं देता!
दो सांसें खरीद ले कोई जीने के लिये,
किस्मत कभी इतनी, दौलत नहीं देती।
आती हैं तो जाना ही पड़ता है, "प्रीति"
ये मौत किसी को, मोहलत नही देती...
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©Jaishree
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